वर्तमान समय में भारत अग्रणी दवा उत्पादक राष्ट्रों में सम्मिलित हो गया है। भारत में इन दवाओं के उत्पादन के साथ-साथ उपभोग की मात्रा भी बढ़ी है, जिसने भारतीय चिकित्सा क्षेत्र को नई-नई दवाएं उत्पादित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। किन्तु इन दवाओं के उत्पादन के साथ एक बड़ा प्रशन है इनकी प्रमाणिकता का निर्धारण। अर्थात यह जानना कि चिकित्सकों को रोगियों पर इन दवाओं के उपयोग की अनुमति का निर्धारण किसके द्वारा किया जाता है।
भारत में नयी औषधियों के आयात को केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization) द्वारा विनियमित किया जाता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है और देश भर में फैले छः क्षेत्रीय कार्यालय, चार उप क्षेत्रीय कार्यालय, तेरह पोर्ट कार्यालय (Port offices) और सात प्रयोगशालाएं भी हैं। नई औषधियों के उत्पादन, बिक्री तथा संवितरण के लिए लाइसेंस जारी करने हेतु राज्य के लाइसेंसिंग प्रधिकारियों को सी.डी.एस.सी.ओ. (CDSCO) से पूर्वानुमति लेनी आवश्यक होती है।
आयातित दवाओं को प्राधिकरण के रूप में विनियमित करने के लिए, दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड और औषधीय सलाहकार समिति सी.डी.एस.सी.ओ. को सलाह देते हैं, वहीं केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला इन दवाओं का परीक्षण करती है। नई दवाओं, देश में नैदानिक परीक्षणों, दवाओं के मानकों को निर्धारित करने, आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण, राज्य औषधि नियंत्रण संगठन की गतिविधियों का समन्वय और औषधि एवं कॉस्मेटिक (Cosmetic) अधिनियम के प्रवर्तन में एकात्मकता लाने के विचार से विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है। तथा राज्य प्रधिकारियों के लिए औषधि एवं कॉस्मेटिक अधिनियम 1940 और नियम 1945 गठित किया है।
केंद्रीय प्राधिकरण के कार्य:
• दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन, निदानिकी और उपकरणों के मानकों को निर्धारित करना।
• नियामक उपायों, अधिनियमों और नियमों में संशोधन करना।
• नई दवाओं के बाज़ार प्राधिकरण को नियंत्रित करना।
• भारत में नैदानिक शोध को विनियमित करना।
• दवाओं की कुछ श्रेणियों (जैसे, ब्लड बैंकों (Blood Banks), टीके आदि) के लिए लाइसेंस (License) की स्वीकृति प्रदान करना।
• भारतीय औषधकोश का प्रकाशन करना।
• डी एंड सी (D and C) अधिनियम और नियमों में संशोधन करना।
• आयातित दवाओं के मानकों को नियंत्रित करना।
• सेंट्रल ड्रग्स लैब्स (Central Drugs Labs) द्वारा दवाओं का परीक्षण करना।
राज्य प्राधिकरणों के कार्य:
• दवा निर्माण और बिक्री संस्थानों को लाइसेंस देना।
• दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं को लाइसेंस देना।
• दवा निर्माण के लिए फॉर्मूलेशन (Formulation) की स्वीकृति प्रदान करना।
• कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में जांच करना।
• प्रशासनिक कार्यवाही करना।
• लाइसेंस प्रदान करने से पहले तथा उसके बाद निरिक्षण करना।
• घटिया दवाओं का खण्डन करना।
• राज्य इकाइयों द्वारा निर्मित एवं विपणन की गयी दवाओं और प्रसाधन सामग्री की गुणवत्ता की निगरानी करना।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Central_Drugs_Standard_Control_Organization
2.https://cdsco.gov.in/opencms/opencms/en/Home/
3.http://www.jli.edu.in/blog/roles-and-responsibilities-of-cdsco/
4.http://www.cdsco.nic.in/writereaddata/Pr.pdf
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