जीवधारियों के शरीर को क्रियाशील बनाने में सर्वप्रमुख भूमिका कोशिकाओं की होती है। अर्थात् मानवीय शरीर की संरचना पूर्णतः कोशिकाओं पर निर्भर है, जिसमें हमारे शरीर में होने वाली अंतःक्रियाएं भी शामिल हैं। कोशिकाओं की संरचना के आधार पर जीवधारियों को दो समूह में विभाजित किया गया है – एककोशिकीय जीव, बहुकोशिकीय जीव। मानव एक बहुकोशिकीय जीव है, जिसके शारीरिक विकास के साथ-साथ विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए भी कोशिकाएं उत्तरदायी होती हैं। अब प्रश्न उठता है कि यह कोशिकाएं बनती कैसे हैं और वे ऊर्जा कहां से प्राप्त करती हैं?
कोशिकाओं को गहनता से जानने के लिए इसके अभिन्न अंग एंज़ाइम को समझना होगा। एंज़ाइम प्रमुखतः 100 से 1,000 एमीनो एसिड (प्रोटीन का विघटित स्वरूप) की एक श्रृंखला हैं, यह श्रृंखला एक विशेष आकार की होती हैं, जो एंज़ाइम को रासायनिक प्रतिक्रिया की अनुमति देती हैं। यह एंज़ाइम कोशिकाओं की रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तीव्रता प्रदान करते हैं। इन रासायनिक प्रतिक्रियाओं से कोशिकाएं अपनी आवश्यकतानुसार तत्वों का निर्माण तथा उन्हें ग्रहण करती हैं, जिससे इनका विकास तथा पुनरूत्पादन होता है। कोशिकाओं के सही क्रियान्वयन के लिए विशेष प्रकार के एंज़ाइम होते हैं। शर्करा माल्टोज़ (Maltose) दो ग्लूकोज़ अणु के जोड़ से बना होता है। माल्टेज़ (Maltase) एंज़ाइम की रचना कुछ ऐसी होती है कि वह माल्टोज़ को विघटित करने तथा इनसे ग्लूकोज़ के अणु प्राप्त करने में सहायता करता है। माल्टेज़ की सहायता से ही अणुओं को तीव्रता से विघटित किया जा सकता है।
यह संपूर्ण प्रक्रिया प्रोटीन की उपस्थिति में होती है। शरीर के कुल वज़न का 20% भाग प्रोटीन का होता है, जिसमें लगभग 60% तरल है। प्रोटीन एमीनो अम्ल की एक श्रृंखला है, प्रकृति में लगभण 100 प्रकार के एमीनो अम्ल उपलब्ध हैं, जिनमें से 20 प्रकार के एमीनो अम्ल का उत्पादन मानव शरीर में होता है। प्रोटीन ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत होते हैं, इस ऊर्जा के उत्पादन की प्रक्रिया को कोशिकीय श्वसन कहते हैं। कोशिका द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को ए.टी.पी. (एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine Triphosphate) ) कहा जाता है, जो कोशिकीय श्वसन द्वारा उत्पादित होती है, यह ऑक्सिजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति दोनों में हो सकती है। जिसमें ऑक्सिजन की उपस्थिति ज्यादा प्रभावी सिद्ध होती है।
कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए शर्करा एक महत्वपूर्ण ईंधन की भूमिका निभाता है। शर्करा छोटे-छोटे चरणों में कार्बनडाइ ऑक्साइड और जल में ऑक्सिकृत होकर कोशिकाओं के लिए ए.टी.पी., एन.ए.डी.एच. के अणुओं का उत्पादन करती हैं। शरीर में हमारे द्वारा ग्रहण किये जाने वाले भोजन, पाचन क्रिया के दौरान छोटे-छोटे अणुओं में टूट जाते हैं, जिनसे प्रोटीन, वसा, शर्करा इत्यादि का उत्पादन होता है, इनका उपयोग कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा तथा अन्य आवश्यक अणुओं के रूप में किया जाता है। ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis) अभिक्रिया के दौरान शर्करा को पाइरूवेट (Pyruvate) के दो अणुओं में विभाजित किया जाता है। यह पाइरूवेट कोशिकाद्रव के माध्यम से सूत्रकणिका (कोशिकांग) में प्रवेश करता है। पाइरूवेट एसिटिल सी.ओ.ए. (acetyl CoA) के रूप में एक विशेष प्रक्रिया के पश्चात कोशिकाओं तक वसीय अम्ल ले जाने में सहायता प्रदान करते हैं। खाद्य अणुओं का अंतिम विखण्डन सूत्रकणिका में होता है, जहां से वे कोशिकीय ऊर्जा के लिए ए.टी.पी., एन.ए.डी.एच. के रूप में परिवर्तित होते हैं।
उपरोक्त विवरण से ज्ञात हो गया है कि कोशिकाओं के लिए ऊर्जा उत्पादन में वसा और प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका है किंतु इनकी आवश्यकता से अधिक मात्रा की उपलब्धता और कमी दोनों ही हमारे लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है। आवश्यकता से अधिक वसा और प्रोटीन का उपभोग मोटापे के साथ-साथ मधुमेह और हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसी भयानक समस्याओं को बढ़ा सकता है, जो प्रत्यक्ष रूप से हमारी कोशिकाओं पर प्रभाव डालते हैं। वहीं इसके विपरीत उचित मात्रा में प्रोटीन और वसा ग्रहण ना करने से वजन घटना, मांसपेशियों में कमजोरी या इनकी क्षति होना, हृदय गति और रक्तचाप में कमी इत्यादि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अतः एक स्वस्थ और सुचारू जीवन व्यतीत करने के लिए प्रोटीन और वसा की आवश्यक और उचित मात्रा लेना अनिवार्य है।
संदर्भ:
1.https://science.howstuffworks.com/life/cellular-microscopic/cell2.htm
2.https://science.howstuffworks.com/life/cellular-microscopic/cell3.htm
3.https://www.enotes.com/homework-help/how-cells-obtain-energy-636308
4.https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK26882/
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