गुरु ग्रंथ साहिब की रचना एवं उसमें मौजूद राग का महत्व

रामपुर

 02-11-2018 04:14 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

“आज्ञा पई अकाल दी, तबे चलायो पंथ, सब सिखन को हुक्म है गुरु मानयो ग्रंथ”

गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा यह अनमोल वचन बोलकर सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानने और केवल गुरु ग्रंथ साहिब के आगे सिर झुकाने का हुकुम दिया गया था। गुरु ग्रंथ साहिब को लिखने का कार्य गुरु नानक देव जी द्वारा ही आरंभ कर दिया गया था। गुरु ग्रंथ साहिब लिखने के कार्य को पूर्ण कर उनका संपादन सिखों के पांचवें गुरु ‘गुरु अर्जन देव जी’ द्वारा सन 1604 ईसवी में किया गया तथा ‘पोथी साहिब’ नाम देकर श्री हरमंदिर साहिब में इनकी स्थापना करवाई। और सिखों के दसवें गुरु ‘गुरु गोबिंद सिंह जी’ द्वारा इसका पूर्ण निर्माण कर इसे गुरु ग्रंथ साहिब नाम दिया गया। गुरु ग्रंथ साहिब 1,430 पन्नों में रागमयी गुरुबाणी में उल्लेखित है। जिसमें 12वीं सदी से लेकर 17वीं सदी तक भारत के कोने-कोने में रची गई ईश्वरीय बाणी लिखी गई है। गुरु ग्रंथ साहिब में ना केवल सिख धर्म की वरन अन्य धर्म के संतों की भी बाणी दर्ज है। इसमें 6 सिख गुरुओं, 15 भक्तों, 17 भट्ट कवियों तथा 4 अन्य सिखों (भाई सत्ता, राय बलवंद, भाई मरदाना और माता सुन्दर कौर) की बाणी को जोड़ा गया है।

ग्रंथ में दी गयी बाणी वैज्ञानिक और योजनाबद्ध तरीके से बनायी गयी है। गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे गये रागों को विशिष्ट भावनाओं, विषयों और समय से जोड़ा जाता है और इनका आत्मा पर विभिन्न प्रभाव पड़ता है। इन विषयों को हम संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं:

राग बिलावल आत्मा को सुंदर करने के विषय के बारे में बताता है।

राग गौंड और तुखारी में अलगाव और संघ के विषय में बताया गया है।

राग श्री में माया और अलगाव के विषय के बारे में बताया गया है।

राग माझ में आत्मा को भगवान में लीन होने और नकारात्मकता को त्यागने के बारे में बताया गया है।

राग गौरी में आध्यात्मिक सिद्धांतों और विचारशीलता के बारे में बताया गया है।

राग आसा आशा पर केंद्रित हैं।

राग गुजरी पूजा (प्रार्थना) के विषय में बताता है।

राग देवगंधारी में पति/पत्नी को आत्मानुभूति में लीन होने के बारे में बताया है।

राग सोरठ में भगवान की योग्यता के बारे में दर्शाया गया है।

राग धनाश्री में कई अलग-अलग विषयों के बारे में बताया गया है।

राग जैतश्री में स्थिरता के बारे में बताया गया है।

राग तोडी में माया और उससे अलगाव दोनों शामिल हैं।

राग बैरारी में ईश्वर की आराधना करने की प्रेरणा के बारे में बताया है।

राग तिलंग कविता में इस्लामिक परंपरा के कई शब्दों का उपयोग उदासी और सुंदरता को दर्शाने के लिए किया गया है।

राग रामकाली में जीवन त्याग के योगी बनने के विषय में बताया गया है।

राग नट नारायण में भगवन से मिलने के उपरान्त होने वाली खुशी के बारे में बताया गया है।

राग माली गौरा और बसंत में खुशियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

राग मारू में बहादुरी और गहन दर्शन के विषयों को दर्शाया गया है।

राग केदार प्रेम पर केंद्रित है।

राग भैरव नरक की स्थिति को दिखाता है।

राग सरंग भगवान से मिलने की प्यास को दर्शाता है।

राग जयजयवंती और वडहंस अलगाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

राग कल्याण, प्रभाती और कानरा में भक्ति को दर्शाया गया है।

राग सोही, बिहाग और मल्हार में आत्मा का भगवान के घर से दूर होने और पति के मिलने की खुशी को दिखाया गया है।

राग एक व्यक्ति के भावनात्मक झुकाव का प्रतिबिंब होता है और इसे संगीत बनाने के लिए कुछ नियमों में संग्रहित किया जाता है। ऐसे ही राग का एक समय चक्र भी होता है, जो निचे दर्शाया गया है।

a. सोहिनी, परज - सवेरे के पूर्व (2 बजे से 4 बजे के बीच)
b. भटियार, ललित - भोर (4 बजे से 6 बजे के बीच)
c. भैरव, रामकाली, जोगिया - सवेरे (6 बजे से 8 बजे के बीच)
d. अहीर भैरव, बिलास्खानी-टोडी, कोमल-ऋषभ-आशावारी, टोडी - सवेरे (8 बजे से 10 बजे के बीच)
e. भैरवी, देशकर, अलहिया-बिलावल, जौनपुरी - दिन चढ़ने पर (10 बजे से 12 बजे के बीच)
f. ब्रिंदावनी-सारंग, शुद्ध-सारंग, गौड़-सरंग - दोपहर (12 बजे से 2 बजे के बीच)
g. मपलासी, मुल्तानी - देर दोपहर (2 बजे से 4 बजे के बीच)
h. पूर्वी, श्री, पटदीप - संध्याकाल (4 बजे से 6 बजे के बीच)
i. यमन, पुरिया, शुद्ध-कल्याण, हमीर - सायंकाल (6 बजे से 8 बजे के बीच)
j. जयजयवंती, केदार, दुर्गा, देश - देर रात (8 बजे से 10 बजे के बीच)
k. बिहाग, बागेश्री, शंकर, चन्द्रकौन्स - रात्रि (10 बजे से 12 बजे के बीच)
l. मालकौन्स, दरबारी कान्हड़ा, शहाना, अडाना - आधी रात्रि (12 बजे से 2 बजे के बीच)

संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Sikh_scriptures
2.http://www.sikhiwiki.org/index.php/Structure_of_Guru_Granth_Sahib
3.https://www.facebook.com/search/top/?q=ratnesh%20mathur%20music%20guru%20granth%20ragas
4.https://goo.gl/Qca8He



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id