रावण की नगरी श्रीलंका में भगवान शिव के अद्भुत मंदिर

रामपुर

 19-10-2018 01:48 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

रामायण की कथा से तो हम सभी वाकिफ हैं। जिसमें हम सब जानते हैं सिता माँ को वापस लाने के लिए भगवान राम और रावण के बीच बहुत बड़ा युद्ध हुआ था। युद्ध जीतने के बाद जब राम ने अयोध्या वापस जाने की यात्रा शुरू की, तो उन्हें अहसास हुआ की उन पर एक ब्राह्मण हत्या दोष लग गया है। तभी मुनेश्वरम में, उन्होंने भगवान शिव की प्रार्थना करके उनसे इसका समाधान मांगा। भगवान शिव ने उन्हें दोष से छुटकारा पाने के लिए मनावरी, थिरुकोनेश्वरम, तिरुकेतेश्वरम और रामेश्वरम में चार शिव लिंगों को स्थापित करने और उनसे प्रार्थना करने की सलाह दी।

सबसे पहले हम आपको बताते है मुन्नेश्वरम मंदिर परिसर में कई छोटे मंदिर स्थित हैं, जिनमें मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ पर एक अनोखी प्रथा का पालन किया जाता है, यहाँ भगवान को चढ़ावे में तरबूज, पपीता, नारंगी, केले, सेब व अन्य कई फलों को चढ़ाया जाता है।

भगवान राम द्वारा पहला शिवलिंग यहीं स्थापित किया गया था, चूंकि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी, इसलिए इसे रामलिंगम भी कहा जाता है।

तिरुकेतीश्वरम मंदिर मन्नार राजमार्ग पर स्थित है, किंवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण रावण के ससुर माया अथवा मायासुर ने किया था। वे एक कुशल वास्तुकार थे, जिन्होंने इन्द्रप्रस्थ के मायासभा का भी निर्माण किया था। यहां भगवान राम ने दूसरा शिवलिंग स्थापित किया था।

त्रिंकोमाली स्थित कोनेश्वरम मंदिर का उल्लेख रामायण व महाभारत दोनों महाकाव्यों में किया गया है। यह मंदिर चोलवंशी राजाओं के संरक्षण में काफी विकसित हुआ और यह एक विशाल गोपुरम और हजार स्तंभों का मंदिर बन गया। लेकिन इसे सन 1622 में पुर्तगालियों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। जिसका पुनःनिर्माण सन 1974 में भगवान शिव, पार्वती और गणेश जी की मूर्तियों की खोज के उपरांत किया गया था। यहां भगवान राम द्वारा तीसरा शिवलिंग स्थापित किया गया था और साथ ही उन्होंने यहाँ ब्राह्मण हत्या दोश हेतु पूजा अर्चना भी की थी। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है, क्योंकि यह उसी देशांतर पर स्थित है जिस पर कैलाश पर्वत स्थित है।

सबसे अंतिम शिवलिंग भगवान राम ने रामेश्वरम में स्थापित किया था। यह वो स्थान है जहाँ रामसेतु का निर्मान हुआ था। हम सभी जानते हैं रामसेतु का निर्माण सिता माँ तक पहुंचने के लिए किया गया था। आज तलैमन्नार में स्थित पुराने प्रकाश स्तम्भ के समीप तट से श्रीलंका नौकासेवा उपलब्ध कराती है जो इस सेतु के दर्शन हेतु अति उपयुक्त है।

संदर्भ :-

1.https://www.inditales.com/ramayana-places-to-see-sri-lanka/
2.fbid=10153745803031239&set=a.10150426417856239&type=3&theater
3.http://kataragama.org/sacred/koneswaram.htm
4.https://www.youtube.com/watch?v=PibAqsHTlXY



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