सर-सर-सर-सर उड़ी पतंग, फर-फर-फर-फर उड़ी पतंग
इसको काटा, उसको काटा, खूब लगाया सैर-सपाटा
उड़ते-उड़ते उड़ी पतंग, अरऽऽर...देखो कटी पतंग।
पतंग के प्रति उत्साह भारत में ही नहीं वरन् विश्व के अन्य भागों जैसे चीन, इरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ब्राजिल आदि में भी देखने को मिलता है। यह बच्चों को ही नहीं युवाओं को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। वास्तव में पतंग शब्द की उत्पत्ति फारसी शब्द परन से हुयी है। यदि अफगानिस्तान की बात करें तो यहां लगभग सौ वर्ष पूर्व से ही लोगों के मध्य पतंग उड़ाने या गुड़ी परान बाज़ी के प्रति अत्यंत उत्साह है खासकर काबुल वाले क्षेत्र में। शरद ऋतु के आगमन के साथ ही लोग अपनी रंग बिरंगी पतंग आकाश में उड़ाते हैं, यह मौसम पतंग उड़ाने के लिए सबसे ज्यादा अनुकुल होता है।
अफगानिस्तान युद्ध से पहले पतंग लड़ाई (kite fighting) अफगानिस्तान के राष्ट्रीय खेलों में शामिल थी। तालिबानियों द्वारा अफगानिस्तान में इस खेल को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसमें दो तरह के खेल होते हैं , प्रतिद्वंदी की पतंग काटना और दुसरा कटी पतंग वापस लाना । इस खेल में विजेता व्यक्ति को बहुत सम्मान दिया जाता है। प्रतियोगिता में उपयोग होने वाली पतंग कम वजन, एकल लाइन और तीव्रता से उड़ने वाली होती हैं। तथा दुसरे की पतंग को आसानी से काटने के लिए इसके धागे में कांच का उपयोग किया जाता है। इस खेल को "द काइट रनर" नामक पुस्तक (2003) और इस पर बनी हॉलिवुड फिल्म (2007) में दर्शाया गया है। यह खेल दिखने में जितना रोमांचक है वास्तविकता में उतना ही भयानक है ।
कटी पतंग को लाने के लिए जो दौड़ लगती है वह अत्यंत जोखिम भरी होती है इसमें चोट लगने के साथ साथ जान जाने तक का खतरा बना होता है। पतंग पकड़ने के लिए दौड़ते समय व्यक्ति आस-पास के क्षेत्र को देखे बिना सिर्फ पतंग पकड़ने के लिए दौड़ते हैं, जिस कारण कभी वे ऊंची इमारतों से गिर जाते हैं तो कभी सड़क के बीच में गाड़ी-मोटर के आगे आ जाते हैं। जिसका परिणाम बहुत दर्दनाक होता है। पतंग उड़ाने में उपयोग होने वाले धागे अत्यंत तीक्ष्ण हाते हैं। जो बच्चों के साथ साथ पशु पक्षियों को भी हानि पहुंचाते हैं ।
भारत में बसंत पंचमी के दौरान अलग अलग हिस्सों में आकाश रंग बिरंगी पतंगों से रंगीन दिखाई हो जाता है किंतु कई क्षेत्रों में पतंग सिर्फ मनोरंजन के लिए ही नहीं उड़ायी जाती बल्कि इसके लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें युवा वर्ग बहुत उत्साह से भाग लेते हैं । अफगानिस्तान की पतंग बनाने और पतंग दौड़ की परंपरा को रोहिल्यों द्वारा रामपुर लाया गया ।
1.https://prezi.com/eqn_s4sgj2ja/history-of-kite-running/
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Kite_running
3.http://www.thekabultimes.gov.af/old-site/index.php/opinions/social/4422-kite-flying-in-afghanistan.html
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