'Laughter is the best medicine' अर्थात 'हंसी सबसे अच्छी दवा है' ये बात हमने बहुत लोगों के मुँह से सुनी है। आपको याद है कैसे आप अपने दोस्तों और छोटे भाई-बहनों को गुदगुदी किया करते थे और वे खिलखिलाकर हंसने लगते थे। हम समय बीतने के साथ-साथ बड़े तो होते गए मगर कभी इस बात पर गौर नहीं किया कि आखिर हमें गुदगुदी दूसरों के हाथ से ही क्यों होती है? क्या आपने कभी सोचा है कि खुद को गुदगुदी करना लगभग क्यों नामुनकिन है? और वहीं दूसरों के छूने मात्र से हम हंसते-हंसते लोट-पोट हो जाते हैं। यदि नहीं तो जानें कि आखिर क्या है गुदगुदी के पीछे का साइंस (Science)।
आपके इन सावालों का जवाब मस्तिष्क के पीछे अनुमस्तिष्क पिंड (Cerebellum) नामक क्षेत्र में स्थित है, जो गति और संवेदनाओं की निगरानी करता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में सारा-जेन ब्लेकमोर के अध्ययनों से पता चला है कि अनुमस्तिष्क संवेदनाओं की भविष्यवाणी कर सकता है। जब आप स्वयं को अपने हाथों से स्पर्श करते हैं तो अनुमस्तिष्क को होने वाली संवेदना की जानकारी पहले से ही होती है क्योंकि अनुमस्तिष्क को आपकी क्रिया का अनुमान पहले से ही होता है। इस भविष्यवाणी का उपयोग अन्य मस्तिष्क क्षेत्रों की प्रतिक्रिया को रद्द करने के लिए किया जाता है।
हमें गुदगुदी का एहसास कराने के लिए हमारे अंदर दो कॉर्टेक्स मौजूद होते हैं। ‘सोमैटोसेंसरी कॉर्टेक्स’ (Somatosensory cortex), जो हमें किसी के छूने का एहसास दिलाते हैं, और ‘एंटीरियर सिंगुलेट कॉर्टेक्स’ (Anterior cingulate cortex), जो हमें गुदगुदी के समय आनंद या खुशी का भाव देता है।
जब हम खुद को गुदगुदी करने की कोशिश करते हैं तो हमारा दिमाग इस बात को पहले ही जान जाता है कि हम खुद को गुदगुदाने जा रहे हैं या हमारे दिमाग का अनुमस्तिष्क हिस्सा इसका पहले ही अनुमान लगा लेता है और ये दोनों कॉर्टेक्स को इसकी जानकारी दे देता है। जिस कारण ये दोनों कॉर्टेक्स अपना काम सही से नहीं करते हैं और यही कारण है कि हम खुद को गुदगुदी नहीं कर सकते। लेकिन जब हमें कोई और गुदगुदी करता है तो ऐसा नहीं होता। हालांकि अपने ही हाथों में किसी पंख को लेकर शरीर पर फिराने से आप खुद को गुदगुदा सकते हैं। मगर ऐसा नहीं होता है कि आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएं। परंतु जब कोई और हमें गुदगुदी करता है तो हमारे दिमाग को उसके स्पर्श का पहले से आभास नहीं होता है और हम एकदम से आश्चर्यचकित हो जाते हैं। ऐसे में हमारा दिमाग दूसरे हिस्सों को मिलने वाले संवेदात्मक संकेतों को पहले से पहचान नहीं पाता है और हम हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं।
‘स्किज़ोफ्रेनिया’ (Schizophrenia) एक विकार है जो किसी व्यक्ति की सोच, अनुभव और स्पष्ट रूप से व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इससे ग्रस्त लोग खुद को गुदगुदी कर सकते हैं। क्योंकि ऐसे लोगों का न्यूरॉन सिस्टम (Neuron System) लगभग ख़राब हो चूका होता है और अनुमस्तिष्क दोनों कोर्टेक्स तक इसकी जानकारी नही पंहुचा सकता, इसलिए ऐसे लोग खुद को गुदगुदी कर सकते हैं। ऐसे लोगों में स्वयं के किए गए कार्यों को दूसरों द्वारा किये गए कार्य से अलग करने की क्षमता नहीं होती है।
आधुनिकता के इस दौर में अब आप खुद को गुदगुदी भी कर सकते है। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है परंतु यह सत्य है। अध्ययनों से पता चला है कि रोबोटों (Robots) का उपयोग करके हम खुद को गुदगुदी कर सकते हैं। गुदगुदी के लिये हम रोबोट का उपयोग करके मस्तिष्क को धोखा दे कर रिमोट कंट्रोल (Remote Control) के द्वारा खुद को गुदगुदी करने में सक्षम बना सकते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के ज्ञान के साथ, लोगों को गुदगुदी करने के लिए भी रोबोट डिज़ाइन (Design) किया गया है।
संदर्भ:
1.https://www.scientificamerican.com/article/why-cant-a-person-tickle/
2.https://science.howstuffworks.com/life/inside-the-mind/human-brain/question511.htm
3.https://www.youtube.com/watch?v=gldhOlTGx_o
4.https://www.smithsonianmag.com/smart-news/some-people-can-tickle-themselves-69065/
5.http://www.bbc.com/future/story/20150109-why-you-cant-tickle-yourself
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.