हिन्दू धर्म विश्व के प्राचीन धर्मों में से एक है। प्राचीन हिन्दू धर्म की सीख और इससे जुड़े आध्यात्म को उजागर करने, समाज के समक्ष रखने और इसे संरक्षण देने के लिए भारत के विभिन्न महात्माओं ने अनेकों प्रयास किये। चलिए जानें इन्हीं प्रयासों में स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रारंभ किये गये रामकृष्ण मिशन के बारे में।
यह मिशन स्वामी विवेकानंद द्वारा 1 मई 1897 में प्रारंभ किया गया, इसका उद्देश्य वेदों में निहित हिन्दू दर्शन का प्रचार, शैक्षणिक और परोपकारी कार्य, इश्वर के प्रति समर्पण और निस्वार्थ सेवा को बढ़ावा देना था। साथ ही विश्व स्तर पर फैले इस मिशन में स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरू रामकृष्ण परमहंश के बताए मार्गों को आगे बढ़ाया। इस मठ का मुख्यालय बेलूर (कलकत्ता) में स्थित है तथा यहां पर 20 वर्ष पुराने संतों की सलाह से यहाँ के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने जाते हैं।
इस मिशन के प्रतीक चिन्ह को गौर से देखने पर इसके कुछ अंश नज़र आते हैं जैसे जल, कमल, सूर्योदय, नाग कुण्डली और हंस। आइये इन सभी का अर्थ समझा जाये। असल में हर एक चीज़ यहाँ किसी ना किसी अन्य चीज़ को दर्शा रही है, जैसे जल दर्शाता है कर्म को, कमल भक्ति को, उदय होता सूर्य ज्ञान को, नाग कुंडली दर्शाती है योग और जागृत कुंडलिनी शक्ति को, तथा हंस दर्शाता है परमात्मा को। इस तरह पूरे चित्र का अर्थ यह है कि कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के मिश्रण से परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है।
इनके द्वारा चलाए गए मिशन में यह लोगों को मुफ्त टी.बी. क्लिनिक और अन्य स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करते हैं, जो कि करोल बाग, नई दिल्ली में स्थित है। मरीजों से कम शुल्क लेकर उन्हें अच्छी चिकित्सा सुविधाएं दी जाती हैं। साथ ही 2013 में स्कूल के छात्रों के लिए एक व्यापक शिक्षा प्रोग्राम (Program) विकसित किया। इनके द्वारा गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जाती है, साथ ही उनके दैनिक भोजन की भी व्यवस्था की जाती है। हिंदुस्तान क्लासिक संगीत, लेजर शो इवेंट, स्वामी विवेकानंद पर मोनो एक्ट और कठपुतली शो जैसे कई अन्य कार्यक्रम मिशन पर नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
प्रकृति से लगाव के कारण स्वामी जी ने अपने शिष्य स्वरूपानंद और अंग्रेजी शिष्य कैप्टन जे. एच. सेवियर और उनकी पत्नी श्रीमती सी. ई. सेवियर को हिमालय में एक अद्वैत समर्पित आश्रम बनाने के लिए प्रेरित किया। उनके इस विचार को ध्यान में रखते हुए 11 मार्च 1899 में इन्होंने उत्तराखण्ड के मायावती (कुमांऊ क्षेत्र) में एक आश्रम बनाया। इस आश्रम में एक पुस्तकालय भी है जहां से स्वामी जी के जीवन तथा आध्यात्म से संबंधित पुस्तकों के संस्करण प्रकाशित होते हैं। अद्वैत दर्शन को बढ़ाने वाला यह आश्रम, अतिथियों के सत्कार की सुविधा भी प्रदान करता है किंतु यहां किसी अजनबी को जाने की अनुमति नहीं है, इसके लिए आश्रम के प्रमुख से अनुमति लेनी पड़ती है। रामकृष्ण मिशन का कोई भी केंद्र रामपुर में तो उपस्थित नहीं है परन्तु यह अद्वैत आश्रम (मायावती) रामपुर से मात्र चार घण्टे की यात्रा की दूरी पर ही है।
संदर्भ:
1. http://www.advaitaashrama.org/mayavati/
2. https://belurmath.org/
3. http://www.rkmdelhi.org/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Ramakrishna_Mission
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