राजा रवि वर्मा की जीवंत चित्रकला शकुन्तला की कहानी

रामपुर

 06-09-2018 03:54 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

आज हम घर-घर में देवी-देवताओं की तस्वीरें देखते हैं। परंतु कई वर्षों पहले तक उनका स्थान केवल मंदिरों में था। तस्वीरों, कैलेंडरों में जो देवी-देवता आज दिखते हैं वे असल में राजा रवि वर्मा की कल्पनाशीलता की देन हैं। उन दिनों जात-पात का भेद होने के कारण सबको मंदिर में प्रवेश करने की इजाज़त नहीं थी तथा राजा रवि वर्मा द्वारा बनाये गए देवी-देवताओं के चित्र ऐसे लोगों के लिए एक मंदिर के भीतर के दृश्य देखने का एक ज़रिया थे।

राजा रवि वर्मा एक प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार थे जिन्हें भारतीय कला के इतिहास में महानतम चित्रकारों में गिना जाता है। उन्होंने सिर्फ देवी-देवताओं के ही नहीं वरन् भारतीय साहित्य, संस्कृति और पौराणिक कथाओं (जैसे महाभारत और रामायण) और उनके पात्रों का जीवन चित्रण भी किया। राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के किलिमानूर में हुआ। उनके चाचा जो कि एक कुशल कलाकार थे, उन्होंने राजा रवि वर्मा में छिपी प्रतिभा को पहचाना और कला की प्रारम्भिक शिक्षा दी। वड़ोदरा (गुजरात) स्थित लक्ष्मीविलास महल के संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।

राजा रवि वर्मा की मुख्य कलाकृतियों में से कुछ हैं खेड्यातील कुमारी, विचारमग्न युवती, दमयंती-हंस संवाद, अर्जुन व सुभद्रा, शकुन्तला, रावण द्वारा रामभक्त जटायु का वध, शकुंतला राजा दुष्यंतास प्रेम-पत्र लिहीताना, कण्व ऋषि के आश्रम की ऋषिकन्या आदि।

परंतु इनमें से सबसे प्रमुख कृति थी ‘शकुंतला’। राजा रवि वर्मा की यह पेंटिंग सबसे प्रसिद्ध है। उन्होनें इस पेंटिंग के माध्यम से प्रसिद्ध दुष्यंत और शकुंतला की पौराणिक कहानी को अंतर्दृष्टि दी है।

आइए जानते हैं महाकवि कालिदास के विश्वविख्यात नाटक ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ की प्रमुख पात्रा शकुंतला के बारे में जिनका वर्णन महाभारत के आदिपर्व में भी मिलता है:

शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र तथा स्वर्ग की अप्सरा, मेनका की पुत्री थी। मेनका द्वारा त्यागे जाने के बाद, उनका लालन-पालन कण्व ऋषि ने किया था। एक दिन राजा दुश्यंत शिकार करते हुए वन में साथियों से बिछड़ गये। वहाँ भटकते समय उन्होंने शकुंतला को देखा, और उनकी इजाज़त लेकर उनसे गान्धर्वविवाह किया और यह वचन देकर लौट गये कि राजधानी में पहुँच कर उन्हें बुलवा लेंगे। विवाह के पश्चात शकुंतला गर्भवती हो गई थी। हर दम शकुंतला दुष्यंत के विचारों में खोई रहती थी।

एक दिन एक महान ऋषि दुर्वासा आश्रम आये परन्तु अपने विचारों में मग्न रहने वाली शकुंतला ने ठीक से उनका स्वागत नहीं किया। क्रोधित होकर ऋषि ने उसे श्राप दिया कि वह जिसके भी विचारों में है, वह व्यक्ति उसे भूल जाएगा। परन्तु बाद में शकुंतला की एक सखी ने ऋषि को उसका कारण बताया तथा ऋषि ने अपने श्राप में यह बदलाव किया कि यदि शकुंतला राजा दुष्यंत द्वारा दी गयी अंगूठी उन्हें दिखा देगी तो उन्हें सब याद आ जाएगा। समय बीतता गया परन्तु राजा दुष्यंत का कोई सन्देश नहीं आया। राजा रवि वर्मा द्वारा बनाये गए प्रस्तुत चित्र शकुंतला के इंतज़ार को बखूबी व्यक्त करते हैं:

इसलिए शकुंतला खुद उनसे मिलने निकल पड़ी। नाव से नदी पार करते हुए शकुंतला ने अपना हाथ पानी में डाला और अनजाने में उसकी अंगूठी पानी में गिर गयी। बाद में जब गर्भवती शकुन्तला दुश्यंत के दरबार में गयी, तो राजा ने उसे नहीं पहचाना। कुछ दिनों के बाद एक मछुआरा मछली के पेट से मिली अँगूठी राजा को भेंट करने आया। इस अँगूठी को देखते ही दुश्यन्त को सब याद आ गया। इसके बाद दुश्यन्त ने शकुन्तला को ढूँढना शुरू किया और पुत्र भरत सहित उसे सम्मानपूर्वक राजमहल ले आए। उनके पुत्र भरत के ही नाम पर हमारे देश का नाम भारत कहलाया। भरत के वंश में ही पाण्डव और कौरवों ने जन्म लिया। भरत तथा उनके वंशजों की श्रृंखला को आधार मानकर हमारे इतिहास के सबसे प्रमुख महाकाव्य "महाभारत" की रचना की गई है।

हालांकि कालिदास की शकुंतला और महाभारत की शकुंतला काफी भिन्न है। माना जाता है कि कालिदास की शकुन्तला की कथा पद्मपुराण से ली गई है। परन्तु कुछ विद्वानों का कथन है कि पद्मपुराण का यह भाग शकुन्तला की रचना के बाद लिखा गया था। महाभारत की कथा में दुर्वासा के श्राप का उल्लेख नहीं है, बल्कि कालिदास ने दुर्वासा के श्राप की कल्पना की थी जिससे सभी किरदार निर्दोष और पवित्र नज़र आते हैं, किसी का कोई दोष नहीं होता बल्कि जो भी हुआ वह सब किस्मत पर निर्भर दिखाया जाता है ना कि किसी के चरित्र पर। कालिदास की शकुन्तला आभिजात्य, सौंदर्य और करुणा की मूर्ति है। वहीं दूसरी ओर महाभारत में शकुन्तला ने विवाह इस शर्त पर किया था कि राजसिंहासन उनके पुत्र को ही मिले।

संदर्भ:

1. https://youtu.be/UPkoB9TXZkQ
2. https://www.culturalindia.net/indian-art/painters/raja-ravi-varma.html
3. https://www.livemint.com/Leisure/1riLTi7w6XI5lbOD8jzKOO/The-tale-of-two-Shakuntalas.html
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Shakuntala



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id