ईद-उल-जुहा में कुर्बानी के सही मायने

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
22-08-2018 02:57 PM
ईद-उल-जुहा में कुर्बानी के सही मायने

ईद-उल-जुहा आज देशभर में जोर-शोर से मनाया जा रहा है। कुर्बानी का पर्व ईद-उल-जुहा अर्थात बकरीद मुसलमानों का प्रमुख त्योहार है। इस दिन रामपुर के बाजारों की रौनक बढ़ जाती है। बकरीद पर खरीददार बकरे, नए कपड़े, खजूर और सेवईयाँ खरीदते हैं। बलिदान और त्याग का यह त्योहार विशेष रूप से खास है और एक विशेष संदेश देता है। रमज़ान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इस्लामिक समाज में कुछ खास ही है।

बकरीद शब्द का संबंध बकरों से नहीं है। न ही यह उर्दू का शब्द है। दरसल ये अरबी शब्द है जिसमें 'बक़र' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जिबह (हलाल) किया जाता है। उसी शब्द से आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' नाम से बोला जाता हैं। यह बलिदान का त्योहार भी है, इस दिन बकरे की बलि दी जाती है। परंतु अक्सर अन्य लोगों के द्वारा इसे गलत समझा गया है। इस्लाम में बलिदान का महत्व कुछ खास ही है, कहा गया है कि अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में क़ुरबान कर दो, यहां अल्लाह की राह में क़ुरबान करने का अर्थ नेकी और भलाई के कामों को करने और हर इंसान के अपने फर्ज के प्रति हमेशा तत्पर रहने से है।

इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम (इस्लाम धर्म के पैगंबर) ने अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन अल्लाह की

रजा से अपना फर्ज निभाते हुए अल्लाह कि राह में कुर्बान कर दिया। जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। ईद के इस सुनहरे मौके पर भगवान इंसान के बहुत करीब हो जाते हैं।

वास्तव में ईद का त्यौहार समाज में त्याग की भावना और खुशियाँ फैलाने, पड़ोसियों के सुख-दु:ख में भागीदार बनने में महत्चपूर्ण भूमिका अदा करता है। इस दिन हर मुसलमान अल्लाह के लिए बकरे को कुर्बान कर देता है जिसे फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता हैं। इसका मांस तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाता है। एक हिस्सा गरीबों के लिए, एक हिस्सा मिलने-जुलने के समय रिश्तेदारों के लिए और एक हिस्सा अपने परिवार के लिए होता है। साथ ही साथ इस दिन गरीबों को दान भी दिया जाता है। यह इस्लामी पर्व जहां सबको मिल जुल कर रहने की सीख देता है वहीं ईद-उल-जुहा यह भी सिखाता है कि अपने फर्ज और सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए हमेशा तैयार रहें।

संदर्भ:

1.https://www.thoughtco.com/eid-al-adha-2004304
2.https://www.speakingtree.in/allslides/significance-of-eiduladha-or-bakried
3.https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%88%E0%A4%A6-%E0%A4%89%E0%A4%B2-%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%B9%E0%A4%BE
4.https://www.jagran.com/spiritual/religion-so-the-festival-of-eid-ul-adha-is-celebrated-14683109.html