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भारत जैसे विशाल जंनसंख्या वाले लोकतांत्रिक उपमहाद्वीप में चुनाव के दौरान प्रचार हेतु या चुनाव स्थल तक पहुंचने तथा चुनाव सामाग्री पहुंचाने के लिए वाहनों की मांग अक्सर बढ़ जाती है। हालांकि चुनाव के दौरान पहले सरकारी और फिर व्यावसायिक या सार्वजनिक वाहनों का चयन होता है। परंतु अधिक से अधिक लोग निजी वाहनों की तुलना में सार्वजनिक वाहनों पर निर्भर हैं। अगर केवल सार्वजनिक और सरकारी वाहन का चयन होगा तो संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था गिर जाएगी। इसलिये निजी वाहनों की आवश्यकता होती है।
क्या आप जानते हैं यदि कोई चुनावी पार्टी आपसे आपके व्यक्तिगत वाहन के लिए अनुरोध करती है तो आप उसे मना कर सकते हैं? या यदि किसी कारणवश आपका वाहन क्षतिग्रस्त हो जाता है तो इसकी भरपाई किसके द्वारा की जाएगी ? चलो इसी चुनाव से संबंधी इसी प्रकार के कुछ मानदंडों को जानने का प्रयास करते हैं।
विधानसभा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 के प्राविधानों के तहत चुनाव शुरु होते ही छोटे-बड़े चार पहिया वाहनों का अधिग्रहण कर सकती है। इसके लिए वाहन स्वामियों को एआरटीओ(R.T.O) कार्यालय की ओर से अधिग्रहण नोटिस भेज दिया जाता हैं। इस अधिनियम की उपधारा 1(b) के तहत किसी भी मतदान केंद्र से मतपत्र बॉक्स को ले जाने के उद्देश्य से या चुनाव के दौरान आचरण को बनाए रखने के लिए पुलिस बल के सदस्यों या अधिकारी को पहुंचाने के उद्देश्य से, या उम्मीदवार के चुनाव से जुड़े किसी भी उद्देश्य के लिए वैध रूप से ऐसा कोई यान या वाहन जो सड़क परिवहन के प्रयोजन के लिए उपयोग में आता है या उपयोग में लाए जाने योग्य है, भले ही वह यांत्रिक शक्ति से नोदित हो या न हो, चुनाव में मतदान पूरा होने तक इसका अधिग्रहण किया जा सकता है।
परंतु लोक प्रतिनिधित्व नियम 1951 की धारा 160 के तहत निर्वाचन आयोग कोई भवन या वाहन के चुनाव के लिए अधिग्रहित करने का अधिकार तो देती है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति जो अपने वाहन के साथ इस प्रक्रिया में भाग लेने में सक्षम नहीं है और उसके पास वास्तविक कारण हैं, तो वह अपने दस्तावेज डीईओ (जिला निर्वाचन अधिकारी) कार्यालय में ले जा सकता है और इस मांग को ना बोल सकता है। अधिकारी आपकी बात सुनेंगे, और वाहन नही लेंगे। वैसे तो चुनाव में इस्तेमाल होने वाले वाहनों की सुरक्षा ड्राइवरों और मालिकों के स्वयं के हाथ में होती है परंतु वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त या क्षतिग्रस्त हो जाने पर अलग-अलग मामलों की जांच की जाती है। यदि आपको अधिग्रहण नोटिस मिल गया है और आपको समझ नही आ रहा है कि क्या करें तो भी आप जिला निर्वाचन अधिकारी से बात कर सकते है, समस्याएं वास्तविक हुई तो वाहन नहीं लिया जाएगा हैं।
1.https://indiankanoon.org/doc/76051674/
2.https://timesofindia.indiatimes.com/assembly-elections-2011/west-bengal/You-can-refuse-to-give-your-car-but-cite-a-genuine-reason/articleshow/7938613.cms