भारत में प्रचलित शास्त्रीय संगीत एक प्राचीन एवं समृद्ध कला है, जो विभिन्न राजाओं और शासकों के संरक्षण में जन साधारण के बीच फ़ली-फ़ूली। शास्त्रीय संगीत का जन्मदाता ‘सामवेद’ को माना जाता है। संगीत के कई मुखौटे हैं, इसकी दिव्यता और प्रभावशीलता एक वरदान की तरह है। भारतीय शास्त्रीय संगीत ने सभी संगीत शैलियों में अपना अनुकरणीय स्थान सदियों से बनाए रखा है। इस संगीत ने पूरी दुनिया को सम्मोहित कर रखा है, इसलिए भारतीय संस्कृति में ‘संगीत’ शब्द का अर्थ दुनिया के अन्य अर्थों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है।
अब हम आपको हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को संजो के रखने वाले सहसवान घराने के बारे में बताते हैं, जो कि रामपुर और सहसवान के कस्बों में स्थित है। इसके संस्थापक उस्ताद इनायत हुसैन खान (1849-1919) थे। घराने का विकास उस्ताद मेहबूब खान द्वारा किया गया, जो रामपुर राज्य के शाही दरबार में मुख्य खयाल गायक थे। उनकी इस परंपरा को उनके बेटे उस्ताद इनायत हुसैन खान ने आगे बढ़ाया। उनके साथ उनके भाइयों ने भी इसका अनुगमन किया। उस्ताद इनायत हुसैन ने अपने बेटे सबीर हुसैन व दामाद मुश्ताक हुसैन खान (सन 1957 में पद्म भूषण पुरस्कार के प्राप्तकर्ता) को भी प्रशिक्षित किया। उनके परिवार ने इस शानदार पारिवारिक विरासत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रकार सभी गायक एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और इसलिए घराने का नाम उनके पूर्वजों के स्थान, सहसवान, के नाम पर रखा गया है। वर्तमान में यह घराना बदायूं ज़िले में स्थित हैं। रामपुर घराने के इतिहास को ऊपर दिए गए वीडियो में भी समझाया गया है।
रामपुर-सहसवान गायकी ग्वालियर घराने से संबंधित है, जो कि मध्यम धीमी ताल, पूर्ण कंठ की आवाज़ और जटिल तालबद्ध क्रीडा जैसी विशेषतओं को प्रकट करता है। इस घराने की शैली अपनी विविधता और तान की जटिलता (तेजी से विस्तार), व तराना गायन के लिए जानी जाती है। सहसवान घराने की गायकी की कुछ विभिन्न विशेषताएं हैं जैसे कि, "बहलावा" इस घराने की विशिष्ट शैली है। गौड़ सारंग, मियां मल्हार, छायानट, गौड़ मल्हार, केदार हमीर, तिलककामोद आदि इस घराने के प्रमुख राग हैं। इसमें गम्भीर प्रकृति के रागों की जगह चंचल प्रकृति के रागों का प्रयोग अधिक किया जाता है।
आधुनिकता के इस दौर में शास्त्रीय संगीत ने हमें ऐतिहासिकता से जोड़कर रखा, जो अपनी विभिन्न विषेशताओं से आज भी संगीत की दुनिया में विख्यात है तथा विभिन्न घरानों की शान बना हुआ है।
संदर्भ:
1. https://indianraga.wordpress.com/2010/12/02/gharana-tradition-rampur-sahaswan/comment-page-1/
2. https://www.youtube.com/watch?v=i3b3DgPkh4c
3. https://www.pumhka.com/phk/about/
4. रानी, डॉ. संध्या. 2005. उत्तर प्रदेश के रुहेलखण्ड क्षेत्र की संगीत परम्परा: एक विवेचनात्मक अध्ययन, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी.
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.