सरसों का नाम सुनते ही हमारे मन में पीले फूलों से लहलहाते खेतों की एक मनमोहक छवि उतर आती है। सरसों रबी की प्रमुख तिलहनी फसल है जिसका भारत की अर्थव्यवस्था में एक विशेष स्थान है।
सरसों भारत का अत्यन्त प्राचीन पौधा है तथा इसकी प्राचीन आयुर्वेद के विज्ञान में एक प्रमुख विशेषता है। खाद्य इतिहासकारों का मानना हैं कि लगभग 3000 ईसा पूर्व, प्राचीन भारतीय किसानों ने सरसों की खेती शुरू कर दी थी, तथा पुरातात्त्विक तथ्य बताते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा जैसे शहरों में सरसों और सरसों का तेल उपयोग किया जाता था। प्राचीन काल से ही भारत में सरसों को एक औषिधि के रुप में उपयोग किया जाता है, भारतीय प्राचीन आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर सरसों, सरसों के पत्तों और सरसों के तेल के उपयोग से बने कई नुस्खे हैं। यहां तक की 16वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आइन-ए-अकबरी में रोहिलखंड साम्राज्य, जिस क्षेत्र में आज रामपुर स्तिथ है, के वर्णन में सरसों का भी उल्लेख मिलता है।
पूर्व सहस्राब्दी में, सरसों और सरसों का तेल पाक कला में उपयोग होने के साथ साथ अपने औषधीय और परिरक्षक गुणों के कारण मासालों के मार्ग (Spice Route) से तथा अन्य व्यापार मार्गों से मिस्र (Egypt), और फिर रोम, गॉल, तथा यूनान (Greece) तक पहुंच कर पूरी दुनिया भर में फैल गया। आपको विश्वास नहीं होगा, परंतु प्राचीन यूनानी चिकित्सा वैज्ञानिक जैसे हिप्पोक्रेटस (Hippocrates) तथा पाइथागोरस (Pythagoras) ने भी सरसों के उपचारात्मक गुणों के बारे में दुनिया को बताया है।
सरसों के तेल में एंटी इंफ्लेमेटरी (Anti Inflammatory), रोगाणुरोधी (Anti Microbial), कवकरोधी (Anti Fungal) और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। सरसों का तेल दर्दनाशक होता है, और प्राचीन यूनान में इनका दांतों के दर्द के लिए औषध-निर्देशन बताया जाता था। प्राचीन मिस्र के पेपाइरस कागजों में इसका उल्लेख है, और उनके मकबरों में सरसों के बीज विदाई कि भेंट के तौर पर रखे जाते थे।
संदर्भ:
1.https://themustardspecialist.wordpress.com/2017/09/13/indian-mustard-a-part-of-world-history/
2.https://www.alimentarium.org/en/knowledge/mustard-condiment
3.http://aromatherapybible.com/mustard/
4.http://epgp.inflibnet.ac.in/epgpdata/uploads/epgp_content/food_technology/technology_of_spices_and_condiments/02.history_of_spices_and_condiments/et/2871_et_m2.pdf
5.http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/52638/10/10_chapter%201.pdf
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