किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त हैं तथा ये शिक्षा से लेकर मानव विकास के अध्यायों तक को प्रदर्शित करती हैं। भारत में अनेकों प्राचीन किताबों एवं पांडुलिपियों का लेखन किया गया है जो कि आज वर्तमान में यहाँ के पुस्तकालयों और संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। भारतीय मौसम में किताबों को सुरक्षित रखना एक चुनौती पूर्ण कार्य है। यहाँ के मौसम में नमी के अधिक होने के कारण कागज़ का संरक्षण करना एक कठिन कार्य हो जाता है। परंपरागत रूप से बनाये गए कागज़ लकड़ी के गाद से बनाये गए थे। अब लकड़ी से बनाये गए होने के कारण इनपर मौसम का प्रभाव और विभिन्न कीड़ों का प्रभाव पड़ने का खतरा हमेशा से बना रहता है।
मौसम के प्रभाव से किताब में फफूंद आदि लग जाती है जिससे किताबें बदरंग हो जाती हैं और उन पर पीलापन और कालापन आना शुरू हो जाता है। इस कारण धीरे-धीरे किताबें चूरा बन कर झड़ जाती हैं। इस प्रकार से क्षरण से बचाने के लिए इन किताबों और पांडुलिपियों का संरक्षण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। रामपुर के रज़ा पुस्तकालय में भारत ही नहीं अपितु विश्व की कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण पांडुलिपियों और किताबों का संग्रह है। यह पुस्तकालय अपने में भारत के स्वर्णिम इतिहास के कई प्रमुख बिन्दुओं को समेटे हुए है। रज़ा पुस्तकालय के अलावा पटना का खुदाबक्श और पूना का भंडारकर ओरियंटल इंस्टिट्यूट भारत के अन्य पुरातन पाण्डुलिपि संग्रहालय हैं।
पांडुलिपियाँ किताबों से अत्यंत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्यूंकि वो हाथ से लिखी गयीं अद्वितीय रचनाएँ हैं जिनकी और दूसरी प्रति नहीं होती है। यही एक कारण है कि इन सभी पांडुलिपियों और प्रमुख किताबों का संरक्षण करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। रामपुर रज़ा पुस्तकालय के अन्दर ही बनी संरक्षण प्रयोगशाला भारत के कुछ बेहतरीन चुनिन्दा संरक्षण प्रयोगशालाओं में से एक है। रामपुर के नज़दीक ही बसे अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में और दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षण सिखाने के शैक्षिक संस्थान हैं जहाँ पर व्यक्ति संरक्षण के गुणों को सीख सकता है।
संदर्भ:
1. https://heritagepreservationatelier.com/2018/07/06/team-working-towards-final-steps-of-an-intense-task-of-books-conservation/
2. http://razalibrary.gov.in/Conservation.html
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