रामपुर का गौरवशाली इतिहास कौन नहीं जानता, और बेशक यहाँ के हर नागरिक को अपनी जड़ों का इतिहास पता होना चाहिए। इतिहास है ही ऐसा विषय जिसके बारे में यदि चर्चा शुरू हो जाए तो फिर आप जितना चाहे पीछे जा सकते हैं। तो आज थोड़ी बात करते हैं भौगोलिक इतिहास की।
आज हम आपके सामने एक नायाब नक्शा पेश करने जा रहे हैं। चित्र में दिखाया गया नक्शा बनाया गया था सन 1770 में। इसके रचयिता थे फ़्रांसीसी कर्नल जीन-बैप्टिस्ट-जोसफ-जेंटील। कर्नल जेंटील ने भारत में काफी समय बिताया था। प्रस्तुत नक्शा एक 21 नक्शों के समूह में से एक है जो उन्होंने फैज़ाबाद में रहते हुए 1770 में बनाये थे। सभी नक्शे आधारित थे अबुल फज़ल द्वारा बादशाह अकबर के लिए बनाये गए ऐन-ए-अकबरी पर जिनका अध्ययन कर्नल जेंटील ने अवध में रहते हुए किया था। साथ ही उन्होंने डी एंविल द्वारा बनाये गए नक्शों की भी मदद ली थी। 18वीं शताब्दी के नक्शों में से किसी नक्शे में इतने स्थानों का नाम मौजूद नहीं था जितना कि कर्नल जेंटील के नक्शों में था। ऐसा कहा जाता है कि भौगोलिक दृष्टि से ये नक्शे इतने सटीक नहीं थे क्योंकि उस समय विश्व के बहुत कम स्थानों का सर्वेक्षण हुआ था। उस समय के भारत के ज़्यादातर नक्शे कही-सुनी-लिखी-पढ़ी बातों पर ही आधारित होते थे।
नक्शे में हम रामपुर का नाम नहीं देख सकते हैं क्योंकि 1770 तक रामपुर की स्थापना नहीं हुई थी लेकिन हम उस भूगोल को ज़रूर देख सकते हैं जहाँ रामपुर मौजूद था, जैसे अमरोहा, संभल आदि को साफ़ साफ़ देखा जा सकता है। और यदि इस स्थान से थोड़ा ऊपर की ओर दायें में देखा जाये तो हम एक शेर का चित्र देख सकते हैं जो यहाँ इनकी मौजूदगी को चिह्नित करता है। नक्शे की बायीं और दायीं ओर ऊपर और नीचे कुछ फ़्रांसीसी लिखावट और कुछ चिह्न हमें दिखते हैं। ऊपरी बाएं भाग में लिखा है ‘मुग़ल साम्राज्य की प्रतिष्ठा’, और दायें भाग में लिखा है ‘संगीत के वाद्य यंत्र’, निचले दायें भाग में कुछ चिह्न हैं जो सिर्फ सम्राट के पद के लिए हैं जैसे सम्राट की गद्दी, उनके आभूषण और उनके नौकर। निचले बाएं भाग में दिए गए चित्र एक हिन्दू मंदिर और हिन्दू देवी-देवताओं को दिखाते हैं।
1. मैप्स ऑफ़ मुग़ल इंडिया – सूसन गोल
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