कचरा सिर्फ फेंकें नहीं, उसे बदलें खाद में इनकी मदद से

रामपुर

 25-06-2018 02:41 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

वर्तमान काल में यदि देखा जाए तो कचरा एक अत्यंत ही दुर्गम समस्या है जिसका समाधान प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। रामपुर शहर में हम अक्सर इस दिक्कत से जूझते हैं। बड़े शहरों और छोटे शहरों में हम पाते हैं कि कचरा काफी बड़ी मात्रा में घरों और कारखानों आदि से निकलता है। ऐसी स्थिति में इस कचरे को किसी एक स्थान पर ले जाकर फेंक दिया जाता है। कुछ शहरों में इस कचरे को पुनर्चक्रण करने का कार्य किया जाता है और कई शहरों या स्थानों पर नहीं। कचरों के टीले से तमाम समस्याएं आये दिन हमें देखने को मिलती रहती है। कचरों में जैविक कचरे की भी एक बड़ी मात्रा पायी जाती है।

जैविक कचरा एक अत्यंत ही खतरनाक प्रकार का कचरा होता है जो कि विभिन्न केमिकलों आदि से बने पदार्थों में पाया जाता है जैसे कि दवाइयां, कृषि में प्रयुक्त खाद, औद्योगिक कचरा आदि। ये कचरे विभिन्न बीमारियों को निमंत्रण देते हैं जो मानव शरीर के लिए अत्यंत ही खतरनाक हो जाता है। इन कचरों के पुनर्चक्रण और इनके ठीक तरीके से उपचार किये जाने पर ये अपशिष्ट (कचरे) खाद के रूप में कार्य कर सकते हैं जिनसे खेती आदि में भी प्रयोग किया जा सकता है तथा इनके हानिकारक तत्वों को पूर्ण रूप से ख़त्म किया जा सकता है। इन कचरों का मशीन आदि से उपचार किया जाता है परन्तु प्राकृतिक केचुओं से भी इन कचरों को पुनर्चक्रित किया जा सकता है। भारत में प्रति दिन लगभग 1,33,760 टन कचरा उत्पन्न किया जाता है। इसमें से 91,152 टन कचरा प्रति दिन एकत्रित किया जाता है जिसमें से मात्र 25,884 टन कचरा प्रति दिन नगर पालिकाओं द्वारा ठीक से निष्पादित (उपचारित) किया जा सका है।

अब ऐसी स्थिति में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कचरे का उपचार किया जाना कितना महत्वपूर्ण है। कचरे के उपचार में केचुओं का एक महत्वपूर्ण योगदान है। इनके द्वारा उपचारित किये गए कचरे से बकायदे खाद, वर्मीवाश आदि बनाया जा सकता है जो कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। केचुओं द्वारा पुनर्चक्रित किया जाने वाले कचरे में प्लास्टिक, धातु आदि नहीं होता है। केचुएँ 1,000 टन गीले कार्बनिक कचरे को 300 टन का अत्यंत उत्तम खाद बनाने का दम रखते हैं। केचुओं से किये जाने वाले पुनर्चक्रण को यदि देखा जाए तो मशीनों से किये जाने वाले पुनर्चक्रण या उपचार से अत्यधिक सस्ते और कारगर साबित होते हैं। केचुएँ प्रकृति का ही अंग हैं और इनके द्वारा किये जाने वाले कचरे के उत्पाद से हम कई चीजें प्राप्त करते हैं जो कि वातावरण और कृषि आदि के लिए उत्तम है।

संदर्भ:
1. http://www.indiawaterportal.org/articles/treating-waste-worms
2. http://www.krishisewa.com/articles/organic-agriculture/81-organic-waste-recycle.html



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id