समय - सीमा 265
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1047
मानव और उनके आविष्कार 811
भूगोल 260
जीव-जंतु 313
वर्तमान काल में यदि देखा जाए तो कचरा एक अत्यंत ही दुर्गम समस्या है जिसका समाधान प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। रामपुर शहर में हम अक्सर इस दिक्कत से जूझते हैं। बड़े शहरों और छोटे शहरों में हम पाते हैं कि कचरा काफी बड़ी मात्रा में घरों और कारखानों आदि से निकलता है। ऐसी स्थिति में इस कचरे को किसी एक स्थान पर ले जाकर फेंक दिया जाता है। कुछ शहरों में इस कचरे को पुनर्चक्रण करने का कार्य किया जाता है और कई शहरों या स्थानों पर नहीं। कचरों के टीले से तमाम समस्याएं आये दिन हमें देखने को मिलती रहती है। कचरों में जैविक कचरे की भी एक बड़ी मात्रा पायी जाती है।
जैविक कचरा एक अत्यंत ही खतरनाक प्रकार का कचरा होता है जो कि विभिन्न केमिकलों आदि से बने पदार्थों में पाया जाता है जैसे कि दवाइयां, कृषि में प्रयुक्त खाद, औद्योगिक कचरा आदि। ये कचरे विभिन्न बीमारियों को निमंत्रण देते हैं जो मानव शरीर के लिए अत्यंत ही खतरनाक हो जाता है। इन कचरों के पुनर्चक्रण और इनके ठीक तरीके से उपचार किये जाने पर ये अपशिष्ट (कचरे) खाद के रूप में कार्य कर सकते हैं जिनसे खेती आदि में भी प्रयोग किया जा सकता है तथा इनके हानिकारक तत्वों को पूर्ण रूप से ख़त्म किया जा सकता है। इन कचरों का मशीन आदि से उपचार किया जाता है परन्तु प्राकृतिक केचुओं से भी इन कचरों को पुनर्चक्रित किया जा सकता है। भारत में प्रति दिन लगभग 1,33,760 टन कचरा उत्पन्न किया जाता है। इसमें से 91,152 टन कचरा प्रति दिन एकत्रित किया जाता है जिसमें से मात्र 25,884 टन कचरा प्रति दिन नगर पालिकाओं द्वारा ठीक से निष्पादित (उपचारित) किया जा सका है।
अब ऐसी स्थिति में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कचरे का उपचार किया जाना कितना महत्वपूर्ण है। कचरे के उपचार में केचुओं का एक महत्वपूर्ण योगदान है। इनके द्वारा उपचारित किये गए कचरे से बकायदे खाद, वर्मीवाश आदि बनाया जा सकता है जो कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। केचुओं द्वारा पुनर्चक्रित किया जाने वाले कचरे में प्लास्टिक, धातु आदि नहीं होता है। केचुएँ 1,000 टन गीले कार्बनिक कचरे को 300 टन का अत्यंत उत्तम खाद बनाने का दम रखते हैं। केचुओं से किये जाने वाले पुनर्चक्रण को यदि देखा जाए तो मशीनों से किये जाने वाले पुनर्चक्रण या उपचार से अत्यधिक सस्ते और कारगर साबित होते हैं। केचुएँ प्रकृति का ही अंग हैं और इनके द्वारा किये जाने वाले कचरे के उत्पाद से हम कई चीजें प्राप्त करते हैं जो कि वातावरण और कृषि आदि के लिए उत्तम है।
संदर्भ:
1. http://www.indiawaterportal.org/articles/treating-waste-worms
2. http://www.krishisewa.com/articles/organic-agriculture/81-organic-waste-recycle.html