मेहंदी का पौधा और उसके उपयोग

रामपुर

 12-06-2018 01:45 PM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

मेहंदी या हीना सौंदर्य में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। इसका प्रयोग विभिन्न समय पर किया जाता है। मेहंदी को सुहाग की निशानी के रूप में भी जाना जाता है तथा इसका सौन्दर्य ही नहीं बल्कि आध्यात्म से भी जोड़ है। भारत के कई भाग में शादी से एक दिन पहले की रात को हीना की रात के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस रात को दुल्हन समेत अन्य कई लोगों को मेहंदी लगाई जाती है। मेहंदी को दुल्हन की हथेली और पैर दोनों जगह पर बड़ी सजावट के साथ लगाया जाता है। यह मातृत्व को प्रदर्शित करती है तथा यह पति और पत्नी के मध्य अटूट प्रेम की भावना को प्रदर्शित करती है।

हीना सौंदर्य के रूप मे मात्र भारत ही नहीं बल्कि अन्य कई देशों में प्रचलित है जहाँ पर लोग इसका प्रयोग करते हैं। हीना या मेहंदी का प्रयोग बाल को रंगने के लिए भी किया जाता है। उत्तर मध्य देशों मे यह एक अत्यंत सामान्य रूप से पाया जाने वाला पौधा है। मिस्र में पायी गयी ममी से हीना के अवशेष प्राप्त हुए हैं जो इस बात का प्रमाण देते हैं कि प्राचीन काल से ही हीना का प्रयोग सौन्दर्य के रूप में किया जाता आ रहा है। हीना मिस्र में ‘साईप्रस ऑफ़ इजिप्ट’ के नाम से जाना जाता है। भारत में हीना या मेहंदी का प्रयोग हजारों सालों से किया जा रहा है। यह महिलाओं द्वारा हाथ रंगने और नाखून रंगने के काम में लायी जाती थी तो वहीँ पुरुषो द्वारा मूछ और दाढ़ी आदि के बाल रंगने का काम किया जाता था।

मेहंदी पादप जगत का पौधा है, इसका वंश लासोनिया है। मेहंदी का वैज्ञानिक नाम लासोनिया इनर्मिस (Lawsonia Inermis) है तथा यह एक कटीला पुष्पीय पौधा होता है। मेहंदी उत्तरी अफ्रीका, अरब, भारत तथा पूर्वी द्वीप समूह में पाया जाता है। यह एक घरेलु और जंगली दोनों प्रकार का पौधा है। रामपुर में यह पौधा घरों के बाड़ों में पाया जाता है तथा यहाँ पर इस पौधे का बड़ी मात्रा में प्रयोग किया जाता है। मेहंदी या हीना अपने आयुर्वेदिक गुणों के लिए भी जानी जाती है। इसके इस्तेमाल से दिमाग शांत रहता है तथा उल्टी, कब्ज, कुष्ठ, बुखार, जलन, रक्तपित्त, पेशाब में कठिनाई, रक्त चाप आदि के उपचार के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

1. http://www.ayurvedichomeremedies.net/henna/
2. द गार्डन ऑफ़ लाइफ, नवीन पाठक, डबलडे पब्लिशर्स, 1993
3. चित्र स्रोत – फ्लोरा दे फिलिपिनास, फ्रांसिस्को मनुएल ब्लांको



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id