तुलसी का पौधा हिन्दू धरम में बहुत पवित्र, लाभधारी माना जाता है। तुलसी का पेड़ ज़्यादातर लोग अपने घर के बरामदे में लगाते है। पारंपरिक रूप से सभी के घर के सामने एक वेदी होती थी जिसके बीच में एक सामान्य ऊंचाई का मीनार होता था जिसमें तुलसी का पौधा उगाया जाता था। कई घरों में तुलसी ने अभी तक यही स्थान ग्रहण कर रखा है और कुछ में यह बदल चुका है।
आधुनिक विज्ञान ने स्थापित किया है कि यह पवित्र पौधा अपने आस-पास की हवा को शुद्ध करता है जो कि सूर्योदय से पूर्व बहुत प्रभावी है। शायद इसीलिए हिन्दू धर्म में कहा गया है कि यमराज ने भी तुलसी को अपने से आगे रखा है। हिन्दू धर्म के अनुसार तुलसी वृक्ष को जल चढ़ाने से यमराज भी भयभीत हो जाते हैं। किसी भी घर के बरामदे में अगर तुलसी का पौधा पाया जाता है तो उस घर में शान्ति एवं नैतिक सद्गुण का प्रतीक माना जाता है।
चिकित्सा की दृष्टि से देखें तो तुलसी का पौधा बहुत लाभकारी है। इसकी पत्तियों को पीस कर इनका इस्तेमाल शहद के साथ किया जाता है जो कि खांसी, जुखाम, ब्रोंकाइटिस जैसी छोटी बड़ी बीमारियों के इलाज में काम आता है। तुलसी की पत्तियों और अदरक का मिश्रण पूरे भारत में पेट दर्द की घरेलु औषधि है। इसका महत्वपूर्ण तेल एंटीसेप्टिक और कीट प्रतिरोधी है तथा इसकी जड़ों का पेस्ट बना के अगर कीड़े की काटे हुई जगह पर शारीर पर लगा दिया जाये तो ये बहुत आराम देता है और यह साँप और बिच्छू के जहर के लिए एक विषहर औषधि के रूप में कार्य करता है।
तुलसी के पौधे की जड़ें धार्मिक तीर्थयात्रा का प्रतीक हैं, इसकी शाखाएं दिव्यता और इसका ताज शास्त्रों की समझ है। पारंपरिक रूप से तुलसी के पौधे को लगाये जाने के बाद उसका 3 महीने तक बारीकी से ध्यान रखा जाता है। और उसके बाद हर सुबह उसकी पूजा चावल, फूल एवं दीये के साथ की जाती है। कुंवारी कन्याएं प्रार्थना में अपने लिए एक उत्तम वर्ग की प्रार्थना करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने घर की सुख शान्ति एवं समृद्धि के लिए तुलसी से प्रार्थना करती हैं।
1. द गार्डन ऑफ़ लाइफ, नवीन पटनायक
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