रसीले आम पक रहे जानलेवा रसायनों से

रामपुर

 10-06-2018 11:50 AM
साग-सब्जियाँ

गर्मी आते ही आम आदमी की पहली पसन्द बन जाता है ‘आम’, और हो भी क्यों न। आखिर सभी फलों का राजा भी तो आम ही है। इसका स्वाद ही कुछ ऐसा है कि हर आदमी इसे बड़े चाव से खाता है। भले ही इसके लिए हाथ और मुंह को रस में सानना ही क्यों न पड़े। आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के आम की। क्यों आ गया न मुंह में पानी। भला ऐसे ही हर उम्र के लोगों की पसन्द नहीं बन जाता आम।

आम भाषा में हम आम को आम ही कहते हैं। संस्कृत भाषा के आम्र शब्द से आम शब्द का जन्म हुआ है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘मेंगीफेरा इंडिका’ है और यह ‘ऐनाकार्डियेसी’ परिवार से सम्बंधित है। भारत आम के उत्पादन में दुनिया में सबसे आगे है। भारत के अलावा, पाकिस्तान और फिलीपींस में भी आम राष्ट्रीय फल के रूप में ही जाना जाता है। बांग्लादेश में तो आम के पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा प्राप्त है।

सिकन्दर को 327 ईसा पूर्व में सिन्धु घाटी में आम का एक बगीचा मिला। 1330 ईसवी में तुर्कमन के संत और कवि अमीर ख़ुसरो ने आम पर एक कविता लिखी। अकबर ने सन 1556-1605 तक अपने बाग में एक लाख आम के पेड़ लगवाये थे, जो ‘लाख बाग’ नाम से प्रसिद्ध हुआ।

भारत में सबसे अधिक आम की पैदावार उत्तर प्रदेश में होती है और रामपुर के आम का तो क्या कहना। लेकिन आज अधिक पैसा कमाने की चाह ने हमें अंधा बना दिया है। इस अंधी दौड़ में हमने अपने स्वास्थ्य को ही दाव पर लगा डाला। आज बाज़ार में जो आम हम देख रहे हैं और उन्हें खा रहे हैं, वो प्राकृतिक रूप से न पककर रासायनिक पदार्थ से पके हुए होते हैं। आम को पकाने के लिए कैल्सियम कार्बाइड (Calcium Carbide) का प्रयोग होता है, जो काफी बिमारियों की जड़ है जैसे, सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी-दस्त, फोड़े फुंसी और यहाँ तक कि जानलेवा कैंसर कारक रसायन है और यह जहर बेचने का कार्य खुले आम किया जा रहा है। आम भाषा में इसे मसाला कहा जाता है। इसके अलावा और भी कई रसायनों का प्रयोग आम पकाने में किया जाता है, जिसके कारण पेट सम्बंधी बीमारियाँ, बच्चों में डायरिया, हाइपर टेंशन और गर्भ में पल रहे शिशु को तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इनसे बचने का संभव घरेलू उपाय बस यही है कि फलों को ढंग से धोकर खाना चाहिए। इसलिए अंततः, आम खाएँ ज़रूर, लेकिन सावधान होकर।

1.https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/rampur/camical-used-to-ready-mango-in-rampur
2.https://www.indiatoday.in/mail-today/story/mangoes-ripening-fruits-calcium-carbide-chemical-cancer-260018-2015-06-28



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id