बालू खनन से जिले में भूमि उपयोग पर असर

भूमि और मिट्टी के प्रकार : कृषि योग्य, बंजर, मैदान
19-05-2018 01:27 PM
बालू खनन से जिले में भूमि उपयोग पर असर

बालू किसी भी स्थान का एक प्रमुख खनिज है। इसके ही आधार पर वर्तमान काल में भवनों आदि का निर्माण किया जाता है। जैसा कि वर्तमान काल में शहरीकरण तीव्र गति से हो रहा है और यह एक प्रमुख कारण है कि बालू का उत्खनन बड़े पैमाने पर किया जाता है। बालू का उत्खनन सरकारी संविदा पर होता है परन्तु सरकारी आदेशों के अलावा इसका अवैध उत्खनन भी किया जाता है जिसका सीधा प्रभाव एक स्थान पर दिखाई देता है। बालू के बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन से बाढ़ और अन्य कई समस्याएं सामने आती हैं। इसके अत्यधिक शोषण से वातावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। रामपुर में प्रमुख नदी कोसी है जिसमें बालू का उत्खनन किया जाता है।

यदि रामपुर में जमीन के प्रयोग पर नजर डालते हैं तो यह पता चलता है कि यहाँ पर कुल 81.80% भूमि पर बुवाई का कार्य होता है जो कि प्रदेश की 69.2% से कहीं ज्यादा है। यह आंकडा यह भी प्रदर्शित करता है कि रामपुर एक कृषि प्रधान जिला है। रामपुर में 11% जमीन को खेती के लिए नहीं प्रयोग में लाया जाता है। रामपुर में जंगल द्वारा घेरी गयी भूमि 2.8% है। प्रदेश के स्तर पर रिहायशी व अन्य मायनों में यदि जमीन का उपयोग रामपुर में देखा जाये तो यह 11% है जो कि प्रदेश भर के 10.7% से ज्यादा है। आंकड़ो को निम्नलिखित सारणी के आधार पर समझा जा सकता है-

सम्पूर्ण क्षेत्र- 2,35,726 हेक्टेयर, जंगल- 2.8%, अपशिष्ट भूमि- 0.1%, वर्तमान समय में जमीन में हुयी गिरावट- 0.9%, अन्य जमीनी गिरावट- 0.3%, कृषि के लिए ना प्रयोग की जाने वाली भूमि- 11%, कृषि अयोग्य उसर भूमि- 2.7%, पेड़ों द्वारा लिया गया क्षेत्र- 0.4%, कृषि के लिए बुवाई का क्षेत्र- 81.8%।
(उपरोक्त आंकड़े सन 2004-05 के हैं)

बालू के खनन के लिए सरकारों द्वारा विभिन्न नियम बनाये गए हैं। यदि इन नियमों पर नजर डालें तो निम्नलिखित चीजें प्रमुखता से सामने आती हैं-

1. बालू उत्खनन के लिए मृतक स्थान का चयन किया जाना चाहिए न कि ऐसे स्थान का जहाँ पर नदी सुचारू रूप से चल रही है।
2. जल की धारा को निष्क्रिय पड़े स्थान की तरफ नहीं बदला जाना चाहिए। ऐसे स्थान पर खनन हो जहाँ पर भूमिगत जल पर किसी प्रकार का प्रभाव न पड़े।
3. खनन के लिए ऐसी नदियों का चयन किया जाना चाहिए जो आकार में बड़ी हों और जिनका तलछट बड़ा हो।
4. परतीय स्थान को चुना जाना आवश्यक होता है। जो समय के साथ साथ अपनी वास्तविक रूप में आ सके।
5. नदी चैनल के अवतल में खनन से बचा जाना चाहिए।
6. नदी के किनारों का कटान नहीं होना चाहिए और खनन के लिए ऐसे स्थान को लेना चाहिए जो प्राकृतिक रूप से बने हों।
7. नदी के बहाव का भी ध्यान देना आवश्यक होता है क्यूंकि यदि गलत इलाके में उत्खनन कर दिया गया तो उस स्थान को भरा जाना दुर्गम कार्य होता है।
8. पक्की सतह और स्तम्भ के साथ ही खनन किया जाना आवश्यक होता है इससे अवैध और अनौपचारिक खनन से बचा जा सकता है।

इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि बालू के खनन को लेकर कई नियम बनाये गए हैं। देश भर में बालू का अवैध उत्खनन पर्यावरण पर एक गलत प्रभाव डाल रहा है। इस मामले के खिलाफ कई योजनायें चलाई गईं परन्तु उत्खनन एक गूढ़ विषय है। मोरेना, बिहार की सोन नदी का मामला बालू उत्खनन की गहराई को प्रदर्शित करता है।

1. http://rampur.nic.in/rampur%20sand.pdf