बाइबिल- अर्थ और संरचना

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
12-05-2018 01:47 PM
बाइबिल- अर्थ और संरचना

बाइबिल का इतिहास कई परतों में दबा हुआ है| यदि इसको देखें तो इसमें समय के साथ साथ कई बादलाव आये हैं| बाइबिल इसाई धर्म की पवित्र ग्रन्थ है| बाइबिल कई छोटी-छोटी कहानियों के समूह से बनी है, यह कहानियां अलग-अलग लेखकों द्वारा अलग-अलग समय में लिखी गई हैं| 13 वीं सदी से ही बाइबिल के कई स्वरुप मिलने लगे थे| 16 वीं सदी में संपादकों ने बाइबिल को अध्याय और बाद में छंदों में बाँट दिया, बाइबिल के हर छंद कुछ वाक्यों के होते हैं| बाइबिल की पुराने हस्तलिपियों में अध्याय और छंदों का अंको के रूप में बटवारा नहीं हुआ करता था| बाद में इसे कई खण्डों में बाँट दिया गया| बाइबिल के पूर्वविधान में 929 अध्याय हैं और नवविधान में 260 अध्याय| बाइबिल के समस्त पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामेंट) की मूल भाषा इब्रानी है जो कि एक प्राचीन भाषा है। तथा समस्त नवविधान (न्यू टेस्टामेंट) की भाषा कोइने है जो कि यूनानी बोलचाल की भाषा है।

यदि बाइबिल का रचनाकाल देखा जाए तो यह 1400 ई.पू. से सन् 100 ई. तक माना जाता है| यह वह दौर था जब विश्व भर में अनेकोनेक धर्म ग्रन्थ आदि की रचना की जा रही थी। भारत में भी इसी काल में अनेकों धर्म ग्रंथों की रचना की गयी थी जैसे कि वेद, महाकाव्य आदि। बाइबिल के प्रमुख लेखकों में से मूसा सबसे प्राचीन हैं, उन्होंने लगभग 1400 ई.पू. में पूर्वविधान का कुछ अंश लिखा था। पूर्वविधान की अधिकांश रचनाएँ 900 ई.पू. और 100 ई.पू. के बीच की हैं। समस्त नवविधान 50 वर्ष की अवधि में लिखा गया है अर्थात् सन् 50 ई. से सन् 100 ई. तक। बाइबिल में जो ग्रंथ सम्मिलित किए गए हैं वे एक ही शैली में नहीं, अनेक शैलियों में लिखे गए हैं - इसमें लोककथाएँ, काव्य और भजन, उपदेश और नीतिकथाएँ आदि अनेक प्रकार के साहित्यिक रूप पाए जाते हैं। अध्ययन तथा व्याख्यान करते समय प्रत्येक अंश की अपनी शैली का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। विभिन्न पुरातत्ववेत्ताओं ने बाइबिल में बताये या निर्देशित स्थानों की खुदाई की है जिनमें कई प्राचीन सामग्रियां प्राप्त हुयी हैं।

यदि बाइबिल के संस्करणों पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि इसका अनुवाद सदियों से होते आ रहा है। इसराएली लोग इब्रानी बाइबिल का छायानुवाद अरामेयिक बोलचाल में किया करते थे। सिकंदरिया के यहूदियों ने दूसरी शताब्दी ई.पू. में इब्रानी बाइबिल का यूनानी अनुवाद किया था जो सेप्टुआजिंट के नाम से विख्यात है। लगभग सन् 400 ई. में संत जेरोम ने समस्त बाइबिल का लैटिन अनुवाद प्रस्तुत किया था जो वुलगाता (प्रचलित पाठ) कहलाता है। आधुनिक काल में इब्रानी तथा यूनानी मूल के आधार पर हज़ार से भी अधिक भाषाओं में बाइबिल का अनुवाद हुआ है। हिंदी तमिल आदि भाषाओँ में भी बाइबिल का अनुवाद हुआ है।

यूनानी बाइबिल की प्राचीन हस्तलिपियों का विवरण इस प्रकार है -

(1) वैटिकानस (चौथी श.ई.)
(2) सायनेटिकस (चौथी श.ई.)
(3) एलेक्सैंड्रिनस (पाँचवीं श.ई.)
(4) एफ्राएम (पाँचवीं श.ई.)

इनके अतिरिक्त 15 संपूर्ण तथा 4000 से अधिक आंशिक नवविधान की यूनानी हस्तलिपियाँ प्राप्त हैं जिनका लिपिकाल सन् 200 ई. तथा 700 ई. के बीच है। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में प्रोटेस्टैंट मिशनरी कैरे ने बाइबिल का हिंदी अनुवाद तैयार किया था।

1. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_English_Bible_translations
2. http://www.historyworld.net/wrldhis/PlainTextHistories.asp?historyid=ac66
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Chapters_and_verses_of_the_Bible