रामपुर समझिए, कैसे लाल चंदन की खूबियां ही, इसके विनाश का कारण बन रही हैं ?

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29-03-2025 09:15 AM
रामपुर समझिए, कैसे लाल चंदन की खूबियां ही, इसके विनाश का कारण बन रही हैं ?

रामपुर के सिनेमाघरों में सुपरहिट रही दक्षिण भारतीय फिल्म 'पुष्पा' की कहानी, लाल चंदन (Red sandalwood) की तस्करी के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह लकड़ी भारत की सबसे महंगी लकड़ियों में से एक है? रक्त चंदन के नाम से भी मशहूर, इस लकड़ी का इस्तेमाल दवा, इत्र, हवन-पूजा सामग्री, महंगे फ़र्नीचर, प्राकृतिक रंग, कॉस्मेटिक उत्पाद और यहां तक कि शराब बनाने तक में भी होता है।

मुख्य रूप से दक्षिण भारत के दक्षिण-पूर्वी घाटों में पाए जाने वाले इस पेड़ की लकड़ी का रंग गहरा लाल होता है, जो इसे और भी खास बना देता है। दुर्लभता और भारी मांग के चलते इसकी कीमत आसमान छूती है। आई यू सी एन (International Union for Conservation of Nature (IUCN)) ने इसे "निकट संकटग्रस्त" (Near Threatened) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया है। इसकी वृद्धि दर बेहद धीमी होती है, लेकिन इसके बहुपयोगी होने के कारण यह पेड़ तेजी से दुर्लभ होता जा रहा है।

 लाल चंदन का पेड़ | चित्र स्रोत : wikimedia 

इसलिए, आज के इस लेख में हम लाल चंदन को अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले, हम इसकी भौतिक और रूपात्मक विशेषताओं के बारे में जानेंगे। फिर, इसके कुछ स्वास्थ्य लाभों पर बात करेंगे। इसके बाद, भारत में लाल चंदन से जुड़े ख़तरों पर नज़र डालेंगे। और आखिर में, इस पेड़ के अवैध व्यापार को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों के बारे में चर्चा करेंगे।

लाल चंदन को वैज्ञानिक रूप से टेरोकार्पस सैंटालिनस (Pterocarpus santalinus) कहा जाता है। यह एक छोटा लेकिन मज़बूत पेड़ होता है। यह लगभग 8 मीटर (26 फ़ीट) ऊंचा होता है, और इसके तने का व्यास 50 से 150 सेमी तक हो सकता है। यह पेड़ धूप पसंद करता है और युवा अवस्था में तेजी से बढ़ता है। सिर्फ़ तीन साल में यह 5 मीटर (16 फ़ीट) तक लंबा हो सकता है, फिर चाहे मिट्टी खराब ही क्यों न हो। लेकिन ठंड इसे बर्दाश्त नहीं होती। अगर तापमान -1°C तक गिर जाए, तो यह सूखकर मर सकता है। इसकी पत्तियां त्रिपर्णी (तीन पत्तियों वाली) होती हैं और इनकी लंबाई 3 से 9 सेमी तक हो सकती है। इसके फूल छोटे होते हैं और गुच्छों (रेसमेस) में खिलते हैं। फल 6 से 9 सेमी लंबी फली के रूप में होता है, जिसमें एक या दो बीज पाए जाते हैं। इस पेड़ का तना साफ़ होता है, और इसकी शाखाएँ घनी होकर एक गोलाकार मुकुट बनाती हैं। इसकी छाल काले-भूरे रंग की होती है, जिसमें दरारें होती हैं, जिससे यह मगरमच्छ की खाल जैसी दिखती है। अगर इसकी अंदरूनी छाल कट जाए या किसी वजह से चोट लगे, तो इससे लाल रंग का 'सैंटोलिन' (Santolin) रंग निकलता है। इसकी लकड़ी बहुत कठोर होती है और इसका रंग गहरा लाल होता है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 1.109 होता है, जो इसकी मज़बूती को दर्शाता है।

लाल चंदन का तना चित्र स्रोत : wikimedia 

इसकी पत्तियाँ शुरू में अपरिपक्व होती हैं। वे पेटियोलेट (डंठल वाली) और वैकल्पिक रूप में बढ़ती हैं। अंकुर अवस्था में ये पत्तियाँ सरल होती हैं, लेकिन जैसे-जैसे बढ़ती हैं, वे त्रिपर्णी (तीन पत्तियों वाली) हो जाती हैं। कुछ मामलों में ये पंचपर्णी (पाँच पत्तियों वाली) भी हो सकती हैं।
लाल चंदन सिर्फ़ एक जड़ी-बूटी नहीं, बल्कि एक बेहतरीन प्राकृतिक उपचारक भी है। 
यह कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। आइए इसके प्रमुख फ़ायदों के बारे में जानते हैं—

1. त्वचा की रंजकता कम करता है: लाल चंदन को त्वचा के लिए सबसे असरदार तत्वों में से एक माना जाता है। इसके जीवाणुरोधी गुण त्वचा की गहराई से सफ़ाई करते हैं और मुंहासों, दाग-धब्बों और रंजकता (पिगमेंटेशन) को हल्का करने में मदद करते हैं। यही कारण है कि घरेलू स्किनकेयर में इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है।

2. मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक: लाल चंदन में मौजूद सक्रिय तत्व शरीर में ब्लड शुगर (Bllod Sugar) को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह अग्न्याशय (पैंक्रियास (Pancreas)) की कोशिकाओं को नुकसान से बचाकर इंसुलिन के स्राव को बेहतर बनाता है। इसलिए, मधुमेह के मरीजों के लिए यह एक कारगर प्राकृतिक उपाय हो सकता है।

3. रक्त को शुद्ध करता है: हमारे लिए शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना बहुत जरूरी होता है, और लाल चंदन इस काम में मदद करता है। इसके मूत्रवर्धक (डाययूरेटिक Diuretic) गुण शरीर में तरल संतुलन बनाए रखते हैं और बार-बार पेशाब आने में मदद करते हैं। इससे मूत्र मार्ग (यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary Tract) ) साफ रहता है और रक्त को शुद्ध करने की प्रक्रिया तेज होती है।

4. रक्त संचार को बेहतर बनाता है: लाल चंदन का अर्क शरीर में रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है। इससे नसों (नर्व्स (Nerves)) की कार्यक्षमता बेहतर होती है, जिससे पूरे शरीर को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल फ़ेस मास्क (Face Mask) और स्क्रब (Scrub) में किया जाता है, ताकि त्वचा को गहराई से साफ किया जा सके और उसे नया जीवन मिल सके। हालांकि लाल चंदन की यही सब खूबियां उसके पतन का कारण बन रही हैं। आई यू सी एन ने द्वारा इसे "निकट संकटग्रस्त" प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया है। 

लाल चंदन की लकड़ी से बने शतरंज के मोहरे | चित्र स्रोत : wikimedia 

आइए, अब लाल चंदन के लिए बढ़ते ख़तरों पर एक नज़र डालते हैं:

1) अवैध कटाई और तस्करी: लाल चंदन का बाज़ार मूल्य बहुत अधिक है, जिससे इसकी अवैध कटाई और तस्करी तेज़ी से बढ़ रही है। संगठित अपराध समूह स्थानीय लोगों को लालच देकर या मजबूर करके इन कामों में शामिल कर लेते हैं।

2) प्राकृतवास नुकसान: आवास की हानिवनों की कटाई और कृषि या शहरी विकास के लिए जंगलों को खत्म किया जा रहा है। इसका सीधा असर लाल चंदन की आबादी पर पड़ता है, क्योंकि यह पहले से ही सीमित क्षेत्र में पाया जाता है।

3) जंगल की आग: प्राकृतिक और इंसानों द्वारा लगाई गई आग लाल चंदन के लिए बड़ा खतरा है। एक बार आग लगने पर यह पूरे जंगल को तबाह कर सकती है, जिससे इन पेड़ों का अस्तित्व और भी मुश्किल में पड़ जाता है।

4) जलवायु परिवर्तन: बदलते मौसम और लंबे समय तक सूखा पड़ने से लाल चंदन के पेड़ों की वृद्धि और पुनर्जनन प्रभावित होता है। अगर यह जारी रहा, तो इनकी संख्या और कम हो सकती है।

हालांकि इसके सरकार द्वारा इसके संरक्षण के लिए कुछ प्रयास भी किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल है:

1) निगरानी और सुरक्षा: वन विभाग ने जंगलों में गश्त बढ़ा दी है। ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी (Satellite Imagery) जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि अवैध कटाई और तस्करी को रोका जा सके।

2) सख्त कानून और कार्रवाई: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत लाल चंदन की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। तस्करों और शिकारियों को पकड़ने के लिए नियमित छापेमारी भी की जाती है।

3) अंतरराष्ट्रीय सहयोग: लाल चंदन की तस्करी अक्सर सीमाओं के पार की जाती है। इसे रोकने के लिए भारत अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

4) वैज्ञानिक अनुसंधान और पुनर्वनीकरण: वैज्ञानिक तरीके अपनाकर, लाल चंदन के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। जंगलों को दोबारा हरा-भरा करने के लिए बड़े स्तर पर पुनर्वनीकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

कुल मिलाकर लाल चंदन भारत की अनमोल प्राकृतिक संपदा है। अगर इसे बचाने के लिए सही कदम न उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह विलुप्त भी हो सकता है। इसलिए, सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी इसके संरक्षण में योगदान देना होगा।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/zo7p94x
https://tinyurl.com/2626rulw
https://tinyurl.com/247lj8hg
https://tinyurl.com/287ylxk3

मुख्य चित्र: एक साथ एकत्रित किए गए लाल चंदन के तने : (Wikimedia) 

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