विवर्तनिक प्लेटें विशाल और अनियमित ठोस पत्थर से बनी हैं और इन्हें लिथोस्फेरिक (Lithospheric) प्लेटें भी कहा जाता है क्योंकि यह महाद्वीपी और समुद्री स्थलमंडल (Lithosphere) से बनती हैं। यह प्लेट कई हज़ार मीलों तक फैली हुई होती हैं; और इनमें पैसिफिक (Pacific) प्लेटें और अंटार्कटिक (Antarctic) प्लेटें सबसे बड़ी हैं। प्लेटों की चौड़ाई भी काफ़ी ज्यादा होती है, यह समुद्री स्थलमंडल में 15 किलोमीटर से कम होती हैं और प्राचीन महाद्वीपी स्थलमंडल में 200 किलोमीटर होती हैं। सवाल यह उठता है कि यह विशाल प्लेटें अत्यधिक भारी होने के बावज़ूद तैरती कैसे हैं?
यह पत्थरों के सम्मलेन से होता है। महाद्वीपी क्रस्ट (Crust) ग्रेनाइट(granite) पत्थरों के सम्मलेन से बने हुए हैं जो कि बेहद कम वज़न के खनिज जैसे कि क्वार्टज़ (Quartz) और फेल्डस्पार (Feldspar) से बने होते हैं। जबकि समुद्री क्रस्ट बसाल्टिक (Basaltic) पत्थरों से बने हुए होते हैं, यह पत्थर भारी और घने होते हैं जिसके कारण इन प्लेटों की चौड़ाई काफ़ी बढ़ जाती है। विश्व में बहुत से विवर्तनिक प्लेटें हैं लेकिन इनमें सात प्लेटें काफी महत्वपूर्ण हैं,
यह प्लेटें हज़ारों मील तक फैली हैं :
* पैसिफिक प्लेट - 103,300,000 स्क्वायर कि.मी.
* उत्तरी अमेरिकी प्लेट - 75,900,000 स्क्वायर कि.मी.
* यूरेशियन प्लेट- 67,800,000 स्क्वायर कि.मी.
* अफ्रीकी प्लेट - 61,300,000 स्क्वायर कि.मी.
* इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट- 58,900,000 स्क्वायर कि.मी.
हर साल या कुछ सालों के अंतराल में विवर्तनिक प्लेटों में बदलाव आता है; यह प्लेटें अपनी जगह से खिसकने लगती हैं और इससे भूकंप, सुनामी और वातावरण में बदलाव आते हैं। जब दो प्लेटें आपस में टकराती हैं तब क्रस्ट पर बहुत विशाल भूकंप होते हैं, सुनामी आती है और ज्वालामुखी भी जागरूक हो जाती है। 1973 में यूरेशियन प्लेट में आए बदलाव से विशाल ज्वालामुखी फूट गई थी जिससे बहुत तबाही मची। ऐसी ही घटना 2015 में नेपाल में हुई थी , नेपाल में 7.8 मैग्नीट्यूड (Magnitude) का भूकंप महसूस किया गया था और इस भूकंप का कारण भारतीय और यूरेशियन प्लेट में टकराव होना था। विवर्तनिक प्लेटों में टकराव और बदलाव तीन तरीकों से होता है;
1- जब प्लेटें फैलती हैं तब क्रस्ट एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और इन्हें डाईवर्जेंट मार्जिन (Divergent Margin) कहते हैं, इसमें समुद्री स्थल्मंडल की बनावट होती है।
2- जब प्लेटें फैलती है तब क्रस्ट एक दुसरे की और खिसकती हैं और इसे कॉनवर्जेंट मार्जिन (Convergent Margin) कहते हैं, इससे समुद्री स्थल्मंडल तबाह हो जाता है।
3- जब प्लेटों में हलकी फिसलन होती है तब क्रस्ट अलग दिशाओं में खिसकता है और इसे ट्रांसफॉर्म मार्जिन (Transform Margin) कहते हैं, इससे स्थल्मंडल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
1. इंडिका प्रणय लाल
2. www.geologyin.com
3. प्लेट टेक्टॉनिक, मार्टिन मेशेडे
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