टीकाकरण अभियानों ने, भारतीय बच्चों को दिया है, एक सेहतमंद भविष्य

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
18-01-2025 09:23 AM
टीकाकरण अभियानों ने, भारतीय बच्चों को दिया है, एक सेहतमंद भविष्य

रामपुर के सभी लोगों से अनुरोध है कि अपने बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए टीकाकरण को प्राथमिकता दें। बचपन में लगाए जाने वाले टीके बच्चों को पोलियो, खसरा और डिप्थीरिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। सही समय पर टीका न लगवाने के कारण, ये बीमारियाँ, बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। टीकाकरण के ज़रिए आप अपने बच्चों को एक मज़बूत और स्वस्थ जीवन की शुरुआत करने में मदद कर सकते हैं। टीके न केवल बच्चों की जान बचाते हैं, बल्कि गंभीर बीमारियों को पूरे समुदाय में फैलने से भी रोकते हैं। इससे सभी के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार होता है।
आज के इस लेख में, हम यह समझेंगे कि, टीकाकरण बचपन की बीमारियों को कैसे रोकता है, और यह छोटे बच्चों के लिए क्यों इतना ज़रूरी है। इसके अलावा, हम यह भी जानेंगे कि भारत सरकार पोलियो जैसी बीमारियों को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रही है। अंत में, उन सरकारी योजनाओं पर नज़र डालेंगे, जो टीकाकरण और अन्य मदद के ज़रिए बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान दे रही हैं।
आइए शुरुआत, बचपन की बीमारियों को रोकने में टीकाकरण की भूमिका को समझने के साथ करते हैं!
टीकाकरण हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। यह बच्चों को खतरनाक बीमारियों से बचाने में मदद करता है। बचपन में टीकाकरण जन्म के तुरंत बाद शुरू हो जाता है और किशोरावस्था तक जारी रहता है। टीकाकरण कार्यक्रम, खासतौर पर खसरा, पोलियो, डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, रोटावायरस और न्यूमोकोकस जैसी बीमारियों के निदान पर ध्यान देते हैं। हर टीका कमज़ोर या मरे हुए कीटाणुओं या उनके विषाक्त पदार्थों से बनाया जाता है। इससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इन कीटाणुओं को पहचानकर उनसे लड़ना सीखती है। 
बचपन की बीमारियों को रोकने में टीके काफ़ी हद तक सफ़ल रहे हैं। उदाहरण के लिए, चेचक जैसी बीमारी अब पूरी तरह से खत्म हो गई है। पोलियो भी लगभग खत्म हो चुका है और केवल कुछ ही देशों में बचा है। खसरा, जो पहले कई बच्चों की जान ले लेता था, अब उन क्षेत्रों में बहुत कम हो गया है जहाँ बच्चों को नियमित रूप से टीके लगाए जाते हैं। 
टीकाकरण का एक और फ़ायदा झुंड प्रतिरक्षा (Herd Immunity) भी है। जब एक समुदाय के ज़्यादातर लोगों को टीका लगाया जाता है, तो यह उन लोगों को भी सुरक्षा देता है, जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है। यह नवजात शिशुओं, बुज़ुर्गों और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है। 
बचपन की बीमारियों को रोकने में टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है। टीकाकरण न केवल टीका लगवाने वालों की बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा करता है। टीकाकरण की वजह से कई गंभीर बीमारियों को या तो नियंत्रित किया जा चुका है या इन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इससे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। हमें टीकाकरण को बढ़ावा देना चाहिए, इससे जुड़ी चिंताओं को दूर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर किसी को टीका मिल सके। इस तरह हम बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित बना सकते हैं।
भारत सरकार हर साल राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर पोलियो टीकाकरण अभियान चलाती है। ये अभियान सामुदायिक प्रतिरक्षा बनाए रखने में मदद करते हैं। सरकार पोलियो वायरस के किसी भी लक्षण पर कड़ी नज़र रखती है। इसके लिए सीवेज के नमूनों का पर्यावरणीय परीक्षण किया जाता है। यह काम मुंबई, दिल्ली, पटना, कोलकाता, पंजाब और गुजरात जैसे शहरों में होता है, ताकि वायरस के प्रसार का पता लगाया जा सके। 
पोलियो के किसी भी प्रकोप का तुरंत सामना करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रैपिड रिस्पांस टीम (Rapid Response Team) बनाई गई है। इसके साथ ही, सरकार ने आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया योजना तैयार की है। इस योजना में, पोलियो के मामलों से निपटने के लिए कई कदम बताए गए हैं। 
पड़ोसी देशों से पोलियो के प्रवेश को रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यांमार की सीमाओं पर विशेष टीकाकरण बूथ भी लगाए गए हैं। इन बूथों पर बच्चों को पोलियो के टीके लगाए जाते हैं। 
अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए भी सरकार द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। 1 मार्च, 2014 से, उन यात्रियों को पोलियो का टीका लगवाना ज़रूरी है, जो पोलियो प्रभावित देशों में जा रहे हैं। इनमें अफ़ग़ानिस्तान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, कीनिया, सोमालिया, सीरिया और कैमरून शामिल हैं।
सरकार अपने पास पोलियो वैक्सीन (polio vaccine) का एक आपातकालीन स्टॉक भी रखती है। इस स्टॉक को जंगली पोलियोवायरस या वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस के किसी भी मामले के लिए तैयार रखा जाता है। 2015 में, राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) ने डीपीटी की तीसरी खुराक के साथ एक अतिरिक्त खुराक के रूप में इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (IPV) देने की सिफ़ारिश की थी। 
13 जनवरी, 2011 के बाद से भारत में पोलियो का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 24 फ़रवरी, 2012 को भारत को जंगली पोलियोवायरस वाले देशों की सूची से हटा दिया। भारत का पल्स पोलियो कार्यक्रम आज भी सफलतापूर्वक चल रहा है। इस कार्यक्रम में 2,40,000 टीका लगाने वाले और 1,50,000 पर्यवेक्षक शामिल हैं।
भारत सरकार ने बच्चों को बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए कई सरकारी पहलें भी शुरू की हैं, इनमें शामिल हैं: 
मिशन इंद्रधनुष: मिशन इंद्रधनुष (MI) दिसंबर 2014 में शुरू हुआ। इसका उद्देश्य बच्चों को पूरी तरह से टीकाकरण कवरेज प्रदान करना और इस कवरेज को 90% तक बढ़ाना है। इस कार्यक्रम के तहत उन इलाकों पर ध्यान दिया जाता है, जहाँ टीकाकरण दर कम है या जहाँ तक पहुँचना मुश्किल है। इन क्षेत्रों में बिना टीकाकरण वाले या आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या अधिक होती है। 
अब तक, मिशन इंद्रधनुष के छह चरण पूरे हो चुके हैं। इसमें भारत के 554 ज़िले शामिल हैं। यह मिशन ग्राम स्वराज अभियान का हिस्सा है, जिसमें 541 ज़िलों के 16,850 गाँव आते हैं। इसके अलावा, विस्तारित ग्राम स्वराज अभियान के तहत 117 आकांक्षी ज़िलों के 48,929 गाँवों को कवर किया गया है। मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों में, एक साल में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 6.7% की वृद्धि हुई। मिशन के पांचवें चरण में 190 ज़िलों में किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि 2015-16 में हुए एनएफएचएस-4 सर्वेक्षण की तुलना में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 18.5% की बढ़ोतरी हुई।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यू आई पी): सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यू आई पी), भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। यह कार्यक्रम हर साल लगभग 26.7 मिलियन नवजात शिशुओं और 29 मिलियन गर्भवती महिलाओं को कवर करता है। यह कार्यक्रम बहुत किफ़ायती साबित हुआ है और इसने बच्चों में टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों से होने वाली मौतों को काफ़ी हद तक सीमित किया है। 
यू आई पी के तहत, 12 बीमारियों के लिए टीके मुफ़्त में उपलब्ध कराए जाते हैं। इनमें 9 बीमारियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर और 3 बीमारियों के लिए उप-राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण किया जाता है। 
राष्ट्रीय स्तर पर शामिल बीमारियाँ: 
- डिप्थीरिया 
- काली खांसी (पर्टुसिस) 
- टेटनस 
- पोलियो 
- खसरा 
- रूबेला 
- बचपन में होने वाली टी बी के गंभीर रूप 
- हेपेटाइटिस बी 
- हीमोफिलस इन्फ़्लुएंज़ा टाइप बी के कारण होने वाला मेनिनजाइटिस और निमोनिया 
उप-राष्ट्रीय स्तर पर शामिल अतिरिक्त बीमारियाँ: 
- रोटावायरस डायरिया 
- न्यूमोकोकल निमोनिया 
- जापानी इंसेफेलाइटिस 
रोटावायरस और न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन का कवरेज लगातार बढ़ रहा है। जापानी इंसेफ़ेलाइटिस का टीका केवल उन क्षेत्रों में दिया जाता है जहाँ यह बीमारी अधिक आम है। सरकार के इन प्रयासों से बच्चों को घातक बीमारियों से बचाने में बड़ी मदद मिल रही है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/2d6clbjq
https://tinyurl.com/2763lspz
https://flyl.ink/EMesgR-

चित्र संदर्भ

1. टीका लगवाती एक स्कूल की छात्रा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अपने बच्चे को टीका लगवाती एक भारतीय महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. टीकाकरण के लिए तैयार होते स्वास्थ कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. कोवाक्सिन (Covaxin) BBV152 की एक शीशी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


 

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