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मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल

रामपुर

 21-11-2024 09:26 AM
सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व
मेहरगढ़, एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है, जिसका इतिहास, नवपाषाण काल (Neolithic period) के दौरान, लगभग 7000 ईसा पूर्व से शुरू होता है। यह स्थल, बलूचिस्तान (आज के पाकिस्तान) में स्थित है। आज के इस लेख में, हम इस ऐतिहासिक स्थान और इसकी संस्कृति के बारे में गहराई से जानेंगे। इसी क्रम में, हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि समय के साथ, मेहरगढ़ की जीवनशैली और तकनीक में कैसे बदलाव आया। साथ ही हम यहाँ के निवासियों द्वारा खेती के विकास, मिट्टी के बर्तनों और अन्य औजारों के निर्माण की प्रक्रिया पर भी ध्यान देंगे। इसके अलावा, हम निर्माण तकनीकों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके बाद, हम मेहरगढ़ के मिट्टी के बर्तनों के एक विशेष प्रकार "टोगाऊ वेयर" (Togau ware) पर चर्चा करेंगे। अंत में, हम यह समझेंगे कि मेहरगढ़ सिंधु घाटी सभ्यता के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
भारतीय इतिहास में मेहरगढ़ को एक अत्यंत महत्वपूर्ण नवपाषाण और ताम्रपाषाण स्थल के रूप में जाना जाता है। यह बलूचिस्तान के कच्छी मैदान (Kacchi Plain) में, बोलन दर्रे के तल पर स्थित है। 7000 से 2600 ईसा पूर्व तक इस स्थान पर लोगों का निवास रहा है! यह उत्तर-पश्चिम भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पुराना ज्ञात नवपाषाण स्थल है।
मेहरगढ़ में हमें गेहूं और जौ जैसी फ़सलों की खेती के कुछ प्रारंभिक प्रमाण मिलते हैं। यहाँ के लोग मवेशियों, भेड़ों और बकरियों का पालन करते थे! इसके साथ ही वे धातु विज्ञान में भी रुचि रखते थे।
यह स्थल, एक प्रमुख व्यापार मार्ग पर स्थित है, जो वर्तमान अफ़ग़ानिस्तान को सिंधु घाटी से जोड़ता है। इस मार्ग ने निकट पूर्व और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच प्रारंभिक व्यापार संबंधों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मेहरगढ़ में जीवनशैली और प्रौद्योगिकी का विकास:
अवधि I: 7000 ईसा पूर्व-5500 ईसा पूर्व: इस प्रारंभिक काल में, मेहरगढ़ के निवासियों ने साधारण औज़ारों और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना शुरू किया। उन्होंने खेती की शुरुआत की, जिसमें गेहूं और जौ उगाने के साथ-साथ मवेशियों का पालन भी शामिल था। अपने बुनियादी औज़ारों के बावजूद, उन्होंने सीप, चूना पत्थर, फ़िरोज़ा और लापीस लाज़ुली जैसी सामग्रियों से खूबसूरत आभूषण बनाए। पुरातत्वविदों को इस काल की महिलाओं और जानवरों की सरल मूर्तियाँ भी मिली हैं।
अवधि II और III: 5500 ईसा पूर्व-3500 ईसा पूर्व: इन अवधियों को कई भागों में बांटा गया है। अवधि II साइट MR 4 पर स्थित है, जिसमें तीन उप-अवधियाँ हैं: II A, II B, और II C. इन समयावधियों में, लोगों ने सिरेमिक तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। इस दौरान, उन्होंने सुंदर चित्रित मिट्टी के बर्तन, विस्तृत टेराकोटा आकृतियाँ और चमकीले मोती बनाए। इस अवधि में, पहली बार टेराकोटा मुहरें भी दिखाई दीं, साथ ही विभिन्न प्रकार के आभूषण भी जो चमकीले मोतियों और ट्रिंकेट से बने थे।
इन अवधियों में, लोगों ने निर्माण के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया। उनके पास तांबे की ड्रिल, अपड्राफ़्ट भट्टि (updraft furnace) याँ, बड़े गड्ढे वाली भट्टियाँ और तांबे को पिघलाने के लिए क्रूसिबल (Crucible) थे। वील-टर्न पॉटरी और रेड वेयर पॉटरी (Wheel-turned pottery and red ware pottery) विशेष रूप से अवधि II A में लोकप्रिय थीं। मेहरगढ़ III में तोगाऊ बर्तनों का उदय: मेहरगढ़ III की शुरुआत में, इस स्थल पर तोगाऊ मिट्टी के बर्तन देखे गए। बीट्राइस डी कार्डी (Beatrice de Cardi) ने 1948 में सबसे पहले तोगाऊ बर्तनों का वर्णन किया। तोगाऊ, बलूचिस्तान में कलात से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, सरवन की छप्पर घाटी में स्थित एक बड़ा टीला है।आमतौर पर, इस प्रकार के बर्तन, बलूचिस्तान और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के मुंडीगाक, शेरी खान ताराकाई और पेरियानो घुंडई में पाए जाते हैं। पोसेहल के अनुसार, अब तक 84 स्थलों पर इनकी पहचान की जा चुकी है।
तोगाऊ मिट्टी के बर्तनों पर आकर्षक ज्यामितीय डिज़ाइन होते हैं, और इन्हें कुम्हार के चाक का उपयोग करके बनाया जाता था।
मेहरगढ़ काल III, जो चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के उत्तरार्ध में हुआ, के दौरान, कई महत्वपूर्ण विकास हुए। इस समय क्वेटा घाटी, सुरब क्षेत्र, कच्छी मैदान और अन्य क्षेत्रों में बस्तियों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई। किली गुल मोहम्मद (II-III) से प्राप्त मिट्टी के बर्तन तोगाऊ बर्तनों के समान हैं।
अवधि IV, V, VI और VII: 3500 से 2000 ईसा पूर्व: इन अवधियों को MR 1 के रूप में नामित किया गया है। इस अवधि को उन्नत सिरेमिक कार्य, प्रभावशाली इमारतों और पत्थर के औज़ारों के अधिक उपयोग के लिए जाना जाता है। जैसे-जैसे बड़ी नवपाषाण और ताम्रपाषाण बस्तियों का पतन हुआ, लोग छोटे, अधिक सघन समुदायों में बसने लगे। अवधि VII तक, मेहरगढ़ मध्य सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन बन गया। इस समय के दौरान, संभवतः लोग मेहरगढ़ छोड़कर नौशूरो के निकट के स्थलों की ओर चले गए।
इन अवधियों के मिट्टी के बर्तन, अपनी गुणवत्ता और कलात्मक डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध हैं। इस समय के विभिन्न प्रकार के बर्तनों में के जी एम वेयर (KGM Ware), केची बेग वेयर (Kechi Beg Ware), टोगाऊ बी और सी पॉटरी (Togau B and C Pottery), ब्लैक ऑन रेड वेयर और क्वेटा वेयर (Black on Red Ware and Quetta Ware) शामिल हैं। इस समय के बर्तनों में बनाई जाने वाली आम डिज़ाइन में मछली और पीपल के पत्ते की आकृतियाँ, साथ ही ज्यामितीय पैटर्न शामिल थे। ये मिट्टी के बर्तन मेहरगढ़ के आसपास के जैसे लाल शाह, कियानी दंब, हमदा I, हम्पदा II और खानवा जैसे विभिन्न स्थलों पर पाए गए। अवधि VII में, टेराकोटा मूर्तियों का उत्पादन हुआ, जिन्हें अक्सर ज़ोब मूर्तियाँ कहा जाता है।
अवधि VIII: लगभग 1900 ईसा पूर्व: मेहरगढ़ का अंतिम काल सिबरी कब्रिस्तान में स्थित है, जो मेहरगढ़ गाँव से लगभग 8 किमी दूर है। यह चरण बलूचिस्तान और मध्य एशिया के बैक्ट्रिया-मार्जियाना (Bactria-Margiana) क्षेत्र में नौशूरो और अन्य संस्कृतियों के साथ मज़बूत संबंध को दर्शाता है। इस समय की समान ज्यामितीय मुहरें और मिट्टी के बर्तन, मेहरगढ़ के सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधों को भी उजागर करते हैं, जो हमारे ऐतिहासिक पूर्वजों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
जी हाँ! मेहरगढ़ ने सिंधु घाटी सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका प्रभाव, हड़प्पा और मोहनजो-दारो जैसे उन्नत शहरी केंद्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मेहरगढ़ के लोग, मिट्टी के बर्तन, धातु के काम और बुनाई जैसे विभिन्न शिल्प में माहिर थे और उन्होंने ये कौशल सिंधु घाटी सभ्यता को प्रदान किए।
मेहरगढ़ में की गई सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक, प्रारंभिक कृषि और पशुपालन के साक्ष्य हैं। पुरातत्वविदों ने यहाँ गेहूँ, जौ, मटर और अन्य फ़सलों के निशान पाए हैं, साथ ही भेड़ और बकरियों जैसी पालतू जानवरों की हड्डियाँ भी मिली हैं। ये साक्ष्य, मेहरगढ़ के लोगों के उन्नत कृषि कौशल और उनके स्थानीय पर्यावरण के प्रति गहरी समझ को दर्शाते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2amm5sto
https://tinyurl.com/26w96wda
https://tinyurl.com/2xr2hnng
https://tinyurl.com/24kj298e

चित्र संदर्भ
1. मेहरगढ़, बलूचिस्तान में घरों के खंडहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेहरगढ़ के एक प्राचीन स्थल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. 5000 वर्षों से भी पुरानी, मेहरगढ़ में खोजी गई एक शानदार प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मेहरगढ़ से संबंधित चित्रित मिट्टी के बर्तन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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