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शालिग्राम वैष्णव द्वारा पूजा किया जाने वाला सबसे पवित्र पत्थर है और इसका उपयोग विष्णु की पूजा करने के लिए किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जीवन के छह मूल्यों के लिए (सदाचार, धन, संरक्षण, अच्छे स्वास्थ्य, सुख और आध्यात्मिक आशीर्वाद) श्री शलीग्राम की पूजा की जाती है।
गौतमीय तंत्र के अनुसार,
'गाण्डकायस कैव देसे च सालाग्राम स्थलम महात।
पाषाणा ताड़ भवम यात तत सालाग्राम इति स्मृतं।'
गण्डकी नदी में शालिग्राम पत्थर बड़े संख्या में पाया जाता है, वास्तविकता में शालिग्राम पत्थर एक प्रकार का जीवाश्म है जो कि हिमालय के बनने के पहले यहाँ पर उपस्थित टेथिस समुद्र में पाया जाता था। जब गोंडवाना भूमि का निर्माण हो रहा था उसी दौरान यहाँ पर बड़े संख्या में जमीन के नीचे की प्लेटों में उथल पुथल हुयी जिससे यह क्षेत्र ऊपर की तरफ उठने लगा और समुद्र के स्थान पर हिमालय का निर्माण हुआ। लाखों वर्ष बीत जाने के बाद वे जीव जीवाश्म में बदल गए और इस प्रकार से शालिग्राम का निर्माण हुआ। शालिग्राम में पाए जाने वाले जीव को अमोनाईट (Amonite) भी कहते है। शालिग्राम पत्थर सबसे ज्यादा नेपाल में पाए जाते हैं।
वैष्णवों के अनुसार शालिग्राम "भगवान विष्णु का निवास स्थान है" और जो कोई भी इसे रखता है, उसे इसकी रोज़ पूजा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण ने स्वयं महाविस्तार में 'युधिष्ठिर' से शालिग्राम के गुणों का उल्लेख किया है। शालिग्राम पत्थरों को केवल गंडकी नदी में पाया जाता है, जो हिमालयी धारा है, जिसे इतिहास से नारायणी, शालिग्राम और हिरण्यवती के रूप में जाना जाता है। नेपाल में दामोदर-कुंड नामक स्थान पर काली-गण्डकी के स्रोत पर एक झील है। निचली गण्डकी को 'मुक्ति-नाथा-क्षेत्र' के नाम से जाना जाता है, जिसे शालिग्राम क्षेत्र भी कहा जाता है।
अधिकांश पुराण इसका समर्थन करते हैं कि शालिग्राम की पूजा से धन, समृद्धि, सफलता, लंबे जीवन, स्वास्थ्य आदि जैसे भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।
'अपुत्रो लाहेत पत्राम सलाग्राम-पुजनात'
शालिग्राम का महत्व मात्र अध्यात्मिक ही नहीं है परन्तु इसका महत्त्व जैव वैज्ञानिक भी है जो की पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रागैतिहासिक जीवों की जानकारी प्रदान करता है।
1. द यूनिवर्स विदिन: एस्ससेंस ऑफ़ हिंदूइस्म, पार्थ राजगोपाल
2. http://www.rudrakshanepal.com/page-36-About_Saligram