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भूमि में आम, अमरूद, पपीता, लीची आदि जैसे फलों और भिंडी, खीरा, लौकी, टमाटर, प्याज आदि जैसी सब्ज़ियों की बड़े पैमाने में खेती की जाती है। हमारे शहर में एंजियोस्पर्म (Angiosperms) की बहुतायत है। एंजियोस्पर्म, वे पौधे होते हैं जिनमें फूल, पत्तियाँ, तने, और जड़ें पायी जाती हैं। ये पौधे प्रजनन के लिए परागण पर निर्भर होते हैं। इसके साथ ही, एक स्वस्थ ग्रह के लिए परागण की प्रक्रिया अत्यधिक महत्वपूर्ण है। दुनिया के 80% से अधिक फूल वाले पौधों को प्रजनन के लिए परागण की आवश्यकता होती है। यह परागण हमारे लिए भी उतने ही आवश्यक हैं जितने कि पौधों के लिए क्योंकि हमारा अधिकांश भोजन इन्हीं पौधों से आता है। तो, आज हम, एंजियोस्पर्म, उनकी विशेषताओं, वर्गीकरण और उपयोगों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। उसके बाद, हम परागण के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हम इसके महत्व, पर्यावरणीय प्रभाव, और समाज के लिए आर्थिक महत्व पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम अपने शहर रामपुर में सबसे अधिक पाए जाने वाले कुछ पौधों के बारे में भी बात करेंगे।
एंजियोस्पर्म (Angiosperms) का परिचय: एंजियोस्पर्म, बीजधारी पौधे होते हैं | जब अंडा या बीजांड निषेचित होता है, तो बीज अंडाशय के अंदर विकसित हो जाता है। ये पौधे हमारे पारिस्थितिक तंत्र में व्यापक रूप से फैले हुए हैं और वर्तमान में जीवित सभी ज्ञात हरे पौधों का लगभग 80% हिस्सा हैं। एंजियोस्पर्म पौधे आकार में छोटे (जैसे वोल्फिया (Wolffia), 0.5 सेमी व्यास) से लेकर सबसे लंबे (जैसे नीलगिरी, 120 मीटर ऊँचाई) तक हो सकते हैं। सबसे बड़ा एंजियोस्पर्म पौधा फिकस बेंघालेंसिस (Ficus benghalensis) है, जो एक बड़े क्षेत्रफल में फैलता है। ये पौधे विभिन्न आवासों में विकसित होते हैं। एंजियोस्पर्म में जड़ी-बूटियाँ, झाड़ियाँ, और पेड़ शामिल हैं। 'एंजियोस्पर्म' शब्द ग्रीक शब्द 'एंजियन' (Angion) (जिसका अर्थ है 'बर्तन') और 'स्पर्मा' (Sperma) (जिसका अर्थ है 'बीज') को जोड़कर बना है। इस समूह में 250,000 से अधिक विभिन्न प्रजातियाँ, 8,000 पीढ़ियाँ और लगभग 453 परिवार पाए जाते हैं। यह पादप जगत का सबसे बड़ा समूह है।
एंजियोस्पर्म की विशेषताएं:
➜ इन पादपों का निकाय द्विगुणित और बीजाणु-उद्भिद होता है। बीजाणु-उद्भिद तने, पत्तियों और जड़ों में विभाजित होता है।
➜ सभी एंजियोस्पर्म पौधों में फूल होते हैं; ये फूल यौन प्रजनन की क्रिया करते हैं और आनुवंशिक पदार्थों के आदान-प्रदान में मदद करते हैं।
➜ सभी एंजियोस्पर्म, ऑटोट्रॉफ़ (Autotrophs) होते हैं, जो अपनी ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्राप्त करते हैं, जबकि कुछ हेटरोट्रॉफ़ (Heterotroph) भी होते हैं।
➜ इनमें संवहनी तंत्र जिसमें ज़ाइलम (xylem) तथा फ्लोएम (phloem) शामिल होते हैं, अच्छी तरह से विकसित होता है, जो जल और पोषक तत्वों के परिवहन में मदद करते हैं।
➜ ज़ाइलम में ट्रेकिड्स (Tracheids) और वाहिकाएँ होती हैं, जो जल और खनिजों के परिवहन में मदद करती हैं, जबकि फ्लोएम में साथी कोशिकाएँ होती हैं, जो पोषक तत्वों के परिवहन का काम करती हैं।
➜ इनमें आर्किगोनिया (Archegonia) अनुपस्थित होते हैं। एंजियोस्पर्म में अंडाशय की उपस्थिति के कारण आर्किगोनिया की आवश्यकता नहीं होती है, जो अंडाणु के निषेचन और बीज के विकास की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
➜ प्रजनन अप्रत्यक्ष परागण द्वारा होता है, जिसमें पराग कण पुष्पों के शीर्ष पर, जो कार्पेल के सिरे पर होता है, जमा होते हैं।
एंजियोस्पर्म का वर्गीकरण बीजों में मौजूद बीजपत्रों के आधार पर दो मुख्य वर्गों में किया जाता है:
1.) मोनोकोटाइलडॉन (Monocotyledons): मोनोकोटाइलडॉन (Monocotyledon) या मोनोकॉट पौधों के एक वर्ग को संदर्भित करता है जिसमें बीज के अंकुरण के दौरान केवल एक बीजपत्र (cotyledon) उत्पन्न होता है। ये पौधे, आम तौर पर हवा से परागित होते हैं। मोनोकोटाइलडॉन पौधों की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
➜ बीजपत्र: इनमें केवल एक बीजपत्र होता है।
➜ पत्तियां: पत्तियों में समानांतर नसें होती हैं।
➜ जड़ें: इनमें जड़ों का एक प्राथमिक जड़ तंत्र होता है जो बाद में रेशेदार जड़ तंत्र में परिवर्तित हो जाता है।
➜ फूल: फूलों के भाग आमतौर पर तीन या उनके गुणक में होते हैं।
➜ तने की संरचना: तने में संवहन ऊतक बंडल (vascular bundles) बिखरे होते हैं, जिनमें केंद्र में संगठित व्यवस्था नहीं होती।
उदाहरण के लिए, गेहूं, मक्का, चावल, और प्याज़, मोनोकोटाइलडॉन पौधों के उदाहरण हैं।
2.) द्विबीजपत्री : द्विबीजपत्री (Dicotyledon) या द्विकोट, पौधों के एक वर्ग को संदर्भित करता है जिसमें बीज के अंकुरण के दौरान दो बीजपत्र (cotyledons) उत्पन्न होते हैं। ये पौधे आमतौर पर कीटों द्वारा परागित होते हैं और फल आमतौर पर पंचकोशिकीय होते हैं। द्विबीजपत्री पौधों की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
➜ बीजपत्र: इनमें दो बीजपत्र होते हैं।
➜ पत्तियां: पत्तियों में जाल के समान, नसों का पैटर्न होता है।
➜ जड़ें: इनमें जड़ों का एक प्राथमिक जड़ तंत्र होता है जो बाद में एक प्रमुख जड़ (taproot) और शाखाओं में विकसित होता है।
➜ फूल: फूलों के भाग आमतौर पर चार या पांच या उनके गुणकों में होते हैं।
➜ तने की संरचना: तने में संवहन ऊतक बंडल (vascular bundles) एक वृत्ताकार पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं।
उदाहरण के लिए, मटर, सेम, सूरजमुखी, और गुलाब द्विबीजपत्री पौधों के उदाहरण हैं।
एंजियोस्पर्म के उपयोग:
1. एंजियोस्पर्म जानवरों, मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और कई आवश्यक पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होती है, जो हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए आवश्यक हैं।
2. एंजियोस्पर्म पारिस्थितिक जाल और खाद्य श्रृंखला के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये पौधे प्राथमिक उत्पादक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे वे ऊर्जा और पोषक तत्वों की नींव प्रदान करते हैं जो अन्य जीवों के लिए खाद्य स्रोत बनते हैं। एंजियोस्पर्म के बिना, पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बनाए रखना और खाद्य श्रृंखलाएँ पूरी करना मुश्किल हो जाएगा।
3. एंजियोस्पर्म विभिन्न पौधों को विदेशी आक्रमणकारियों या शाकाहारी जीवों से बचाने के लिए तेल, एल्कलॉइड और ग्लाइकोसाइड जैसे जहरीले माध्यमिक यौगिकों का उत्पादन करते हैं। ये यौगिक पौधों के रक्षा तंत्र का हिस्सा हैं और उन्हें हानिकारक जीवों से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
4. एंजियोस्पर्म पौधों के वानस्पतिक भाग विभिन्न प्रकार के कीटों और अकशेरुकी जीवों द्वारा खाए जाते हैं। इसके अलावा, ये पौधे जानवरों के लिए भोजन और बीज ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करते हैं, जो उनके जीवन चक्र और पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
5. पक्षियों, चमगादड़ों और स्तनधारियों जैसे कई जानवरों का जीवन चक्र और प्रजनन चक्र एंजियोस्पर्म पर उपलब्ध फलों से प्राप्त ऊर्जा पर निर्भर करता है। ये जानवर इन फलों को खाकर आवश्यक पोषक तत्व और ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जो उनके जीवन और प्रजनन के लिए आवश्यक होती है।
परागण क्या है?
परागण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें एक फूल के नर पुंकेसर से मादा स्त्रीकेसर तक पराग कणों का स्थानांतरण होता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से बीजों का उत्पादन शुरू होता है, जो पौधे की प्रजनन प्रक्रिया का अंतिम चरण होता है। बीजों के उत्पादन के लिए पौधे के नर और मादा, दोनों भागों की उपस्थिति और सहयोग आवश्यक होता है।
परागण का पर्यावरणीय प्रभाव:
➜ कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन (carbon sequestration) और ऑक्सीजन उत्पादन: कार्बन डाइऑक्साइड ऊष्मा को अवशोषित करने वाली गैस है, जो प्रकृति में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती है। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस (Greenhouse) गैसों का निर्माण गर्मी को अवशोषित करता है और जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है। फूल वाले पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके इस ग्रीनहाउस प्रभाव से बचने में मदद करते हैं | वे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और अपने चयापचय के अपशिष्ट उत्पाद के रूप में ऑक्सीजन को बाहर निकालते हैं। परागण और इन पौधों के बिना, हमारा वातावरण न केवल तेज़ी से गर्म होगा, बल्कि हमारे ऑक्सीजन का स्तर गिर जाएगा।
➜ जल शोधन और जल चक्र: परागण से भूमि आवरण बढ़ता है, जो अपवाह को रोकने में मदद करता है। अपवाह उर्वरक, तेल, कीटनाशक, गंदगी, बैक्टीरिया और जो कुछ भी इसके संपर्क में आता है, उसे अपने साथ ले लेता है और आस-पास की खाड़ियों और धाराओं में ले जाता है। यह जल प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन पौधे अपवाह की संभावना को कम करते हैं।
➜ जैव विविधता: परागण के बिना, हमारे ग्रह के वनस्पति और जीव, दोनों आज की तुलना में बहुत अलग दिखेंगे। परागणकर्ता, खाद्य जाल का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कीट, जैसे पतंगे और भृंग, अमेरिका (America) में 80% से अधिक पक्षियों, साथ ही सरीसृपों, उभयचरों और स्तनधारियों को खाते हैं। साथ ही, परागण ही वह तत्व है जो खाद्य जाल की नींव बनाने वाले अधिकांश पौधों के निरंतर अस्तित्व को बनाऐ रखता है। परागण के बिना, पूरी खाद्य श्रृंखला बिखर जाएगी ।
परागण का आर्थिक प्रभाव: परागणकर्ता, कुल मिलाकर वैश्विक खाद्य उत्पादन में सालाना 577 बिलियन डॉलर तक का योगदान करते हैं | अकेले अमेरिका में मधुमक्खियाँ लगभग 20 बिलियन डॉलर का योगदान करती हैं। यदि आप मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली दवाओं, जैव ईंधन, रेशों, कच्चे माल और उत्पादों को शामिल करते हैं, तो वैश्विक स्तर पर परागण योगदान संभवतः तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक की है।
खाद्य उत्पादन के अलावा, मधुमक्खियाँ शहद, मोम, प्रोपोलिस (Propolis) और रॉयल जेली (Royal Jelly) के कमोडिटीकरण (Commodification) के माध्यम से अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं। ग्रैंड व्यू रिसर्च (Grand View Research) के अनुसार, वैश्विक शहद बाज़ार का मूल्य, 2030 तक, 13.6 बिलियन डॉलर हो सकता है है। 2017 में, अमेरिकी शहद उद्योग, 22,000 से अधिक नौकरियों के लिए ज़िम्मेदार था।
रामपुर में पाए जाने वाले कुछ सबसे आम पौधे:
1.) मेडागास्कर पेरीविंकल (कैथरनथस रोजस) (Madagascar Periwinkle (Catharanthus roseus)): ब्राइट आइज़ या ओल्ड मेड (Bright Eyes or Old Maid) के रूप में भी प्रसिद्ध , मेडागास्कर पेरीविंकल, एक सदाबहार उप-झाड़ी या शाकाहारी पौधा है। इसकी खेती का एक लंबा इतिहास रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, इसकी कई किस्में विकसित की गई हैं, जिनमें से अधिकांश का उद्देश्य नए रंगों को शामिल करना या पौधे को ठंड के प्रति अधिक सहनशील बनाना है।
2.) चीनी हिबिस्कस (Chinese Hibiscus): चीनी हिबिस्कस, एक छोटे फूल वाला पेड़ है। इसके सुगंधित फूल दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं, जिसके कारण, इसकी, कई प्रकार की खेती की जाती है। चीनी हिबिस्कस, मलेशिया (Malaysia) का राष्ट्रीय फूल है और मलेशियाई सिक्कों पर अंकित है। इसके लैटिन नाम, हिबिस्कस रोसा-सिनेंसिस (Hibiscus rosa-sinensis) का अर्थ है "चीन का गुलाब", लेकिन यह असली गुलाब से संबंधित नहीं है।
3.) गोल्डन पोथोस (Golden Pothos): गोल्डन पोथोस (एपिप्रेमनम ऑरीयम) (Golden Pothos (Epipremnum aureum)), एक लोकप्रिय घरेलु पौधा है जो आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया (Australia), एशिया (Asia ) और वेस्ट इंडीज (West Indies) में देखा जाता है। इसे कई उपनामों से जाना जाता है, जिसमें "डेविल्स आइवी" भी शामिल है, क्योंकि इसे नष्ट करना बहुत मुश्किल है और यह कम रोशनी की स्थिति में भी उग सकता है। गोल्डन पोथोस में ज़हरीला रस होता है, इसलिए इसे पालतू जानवरों और बच्चों से दूर रखना चाहिए।
4.) ऐरोहेड प्लांट (Arrowhead Plant): ऐरोहेड प्लांट (सिंगोनियम पोडोफिलम (Syngonium podophyllum)) एक सुंदर पत्तेदार पौधा है, जो एरेसी परिवार की सबसे लोकप्रिय प्रजातियों में से एक है। अपने वायु शोधक गुणों और अच्छे दिखने के कारण, ऐरोहेड प्लांट को अक्सर घर के पौधे के रूप में उगाया जाता है। इस पौधे का हर हिस्सा ज़हरीला होता है, इसलिए इसे बच्चों और पालतू जानवरों से दूर रखना सबसे अच्छा है।
5.) स्नेक प्लांट (Snake Plant): स्नेक प्लांट को घर का पौधा और वास्तुकला का एक नमूना माना जा सकता है, क्योंकि इसकी तलवार जैसी पत्तियाँ तीव्र धारियों वाले पैटर्न के साथ होती हैं, जो विशिष्ट और आकर्षक होती हैं। हालाँकि, इस पौधे के साथ सावधानी बरतें क्योंकि इसे खाने पर यह जहरीला होता है और मतली, उल्टी और यहाँ तक कि गले और जीभ में सूजन भी पैदा कर सकता है।
एंजियोस्पर्म पौधों की व्यापकता और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली अनगिनत सेवाओं को समझने के बाद, यह स्पष्ट हो जाता है कि ये पौधे, न केवल हमारे पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में बल्कि हमारे आर्थिक और सामाजिक ढांचे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परागण की प्रक्रिया, जो एंजियोस्पर्म पौधों के प्रजनन का आधार है, हमारे ग्रह की जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। रामपुर जैसे शहरों में इन पौधों की प्रचुरता हमें प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और संरक्षण की दिशा में जागरूक करती है। हमें इन पौधों और परागणकर्ताओं की रक्षा करने के लिए सतर्क रहना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इनसे मिलने वाले लाभों का आनंद ले सकें।
संदर्भ :
https://shorturl.at/h87Mg
https://shorturl.at/1IHfU
https://shorturl.at/XUIV1
चित्र संदर्भ
1. एंजियोस्पर्म फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. संगुइसोरबा माइनर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. छोटे-छोटे बीजों को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
4. मटर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मधुमक्खी द्वारा परागण की प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मेडागास्कर पेरीविंकल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. चीनी हिबिस्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
8. गोल्डन पोथोस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. ऐरोहेड प्लांट को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10. स्नेक प्लांट को दर्शाता चित्रण (pixels)
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