हमारा रामपुर शहर, हाथ से बुने गए अपने उत्कृष्ट कपड़ों के लिए जाना जाता है। रामपुरी चिकन कढ़ाई एवं रामपुरी मलमल, अपने जटिल डिज़ाइन और बेहतर शिल्प कौशल के लिए मूल्यवान हैं। इसके अलावा, ‘रामपुर का खेस’ एक प्रसिद्ध मोटा सूती कंबल है, जिसका 19वीं और 20वीं शताब्दी के बीच, मुख्य रूप से उत्पादन किया गया था। तो आइए, इस कंबल के बारे में विस्तार से बात करते हैं। इसके अलावा, जो कपड़े हवा प्रसरणशील, टिकाऊ, मज़बूत और सामान्य कपड़ों की तुलना में अधिक चमकदार होते हैं, उन्हें फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक (Furnishing fabrics) या असबाब कहा जाता है। तो आज, हम फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक्स और उनके प्रकारों के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम इन कपड़ों के इतिहास और विकास पर भी नज़र डालेंगे। उसके बाद, हम भारत के कुछ बेहतरीन आवासीय फ़र्निशिंग ब्रांडों के बारे में भी जानेंगे।
खेस, हमारे राज्य उत्तर प्रदेश एवं भारत में, एक मोटा सूती कंबल का कपड़ा है। यह एक जामदानी कपड़ा है, जिसका उपयोग कंबल के तौर पर किया जाता है। खेस, आम तौर पर, मोटे सूती धागों से हाथ से बुना जाता है। साथ ही, खेस, पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत में, पुरुषों द्वारा उनके ऊपरी शरीर को ढकने के लिए पहना जाने वाला एक साधारण परिधान भी है।
आपको प्रश्न आ सकता है कि, खेस के पैटर्न और रामपुर का खेस क्यों प्रसिद्ध है? दरअसल, अधिकांश खेस कपास से बने होते थे, लेकिन, कपास और रेशम की कुछ विशेष किस्में थीं। साथ ही, खेस की किस्में अलग-अलग बुनाई पैटर्न और उत्पत्ति से भिन्न थीं। मुख्य रूप से, खेस, सादे या ज्यामितीय डिज़ाइन वाले होते थे, जिनमें चेकर्ड पैटर्न (चारखाना) और हीरे के पैटर्न शामिल थे। चेकर्ड शैली की आवृत्ति के कारण, खेस को कभी-कभी एक प्रकार के टार्टन कपड़े(Tartan cloth) के रूप में संदर्भित किया जाता है। जबकि, डब्बा खेस, रंगे हुए धागों का उपयोग करके बनाए गए, वर्गों वाला एक पैटर्न है।
दिलचस्प बात यह है कि, रामपुर राज्य का खेस, अपनी बेहतर गुणवत्ता वाले कपास और आपस में बुने हुए अद्वितीय पैटर्न के लिए प्रसिद्ध था। इसमें अक्सर ही, विभिन्न रंगों के धागों में सोने के धागे और किनारी होती थी। एक तरफ़, खेस पटपट्टी में सफ़ेद और लाल चेक पैटर्न थे, जबकि, खेस टुकड़ीदार सफ़ेद और नीले चेक पैटर्न वाले खेस का नाम था। और, खेसबाफ़ बुनाई, विकर्ण पैटर्न बनाने की कला के लिए शब्द था।
यह खेस, आज के फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक्स से स्पर्धा करता है।
फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक्स या को दो मुख्य समूहों में विभाजित किया जा सकता है:
१. पहले समूह में तकिया, पर्दे और थ्रो(Throws) जैसी मुलायम साज-सज्जा बनाने के लिए, उपयुक्त कपड़े शामिल हैं।
२. जबकि, दूसरे समूह में असबाब कपड़े शामिल हैं, जिनका उपयोग कुर्सियां, सोफे और बिस्तर के हेडबोर्ड(Headboard) जैसे फ़र्नीचर पर आवरण चढ़ाने के लिए किया जाता है।
अपने असबाब के लिए, फ़र्निशिंग कपड़ा चुनते समय, कुछ बिंदुओं पर विचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित प्रश्नों पर गौर करें: “क्या उस कपड़े को साफ़ किया जा सकता है?”; “यह कैसे पुराना दिखेगा?” एवं “क्या कपड़ा आसानी से फट जाएगा?”
यह पारिवारिक क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले असबाब कपड़ों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां फ़र्नीचर की वस्तु का उपयोग बच्चों और पालतू जानवरों द्वारा किया जा सकता है। फ़र्निशिंग कपड़ों द्वारा आवरण किए जाने वाले, फ़र्नीचर के आकार पर भी विचार करने की आवश्यकता होती है, खासकर, यदि आप उच्च पैटर्न वाले कपड़े का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं।
समय के साथ, असबाब और साज-सज्जा के कपड़ों का विकास हुआ है। इसलिए, इसका इतिहास भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
1.) मध्यकालीन असबाब: मध्यकालीन युग में लोगों के जीवन स्तर में सुधार होने लगा, और अतः उनके विचार सुख-साधन की ओर मुड़ गए। तब, ओक कुर्सियों के पीछे कोई तकिए जोड़े नहीं गए थे। इटली(Italy) में बेहतरीन रेशम बनना शुरू हुआ, जो तेज़ी से ब्रिटेन(Britain) तक फैल गया। तब बुनकरों ने दीवार व बिस्तर के पर्दे और तकिए बनाए, जो केवल बहुत अमीर लोग ही खरीद सकते थे।
2.) एलिज़ाबेथन युग(Elizabethan era): एलिज़ाबेथन युग के दौरान, लोगों के सुख साधन स्तर में काफ़ी वृद्धि हुई। आराम पाने हेतु, बेडहेड्स(Bedheads) पर भारी पर्दे लपेटे गए थे। मैंटलपीस(Mantelpiece) पर्दे भी बहुत लोकप्रिय थे, और सभी प्रकार के पर्दे अधिक से अधिक विस्तृत हो गए। बड़े एलिज़ाबेथन स्कर्ट(Elizabethan skirts) को समायोजित करने के लिए, अतः फ़ार्थिंगेल कुर्सी(Farthingale chair) पेश की गई। इसके पीछे, चमड़े का एक टुकड़ा फैला हुआ होता था। इस प्रकार, इस समय की असबाब सामग्री में निम्नलिखित वस्तुएं शामिल हैं: चमड़ा, ब्रोकेड(Brocade) या कढ़ाई वाला कपड़ा, और भारी झालर के साथ मखमल।
3.) पुनर्जागरण शैली: इस समय भी, फ़र्नीचर ओक से बनाया जाता था, और बढ़ई द्वारा इसे बनाने के लिए बढ़ईगीरी उपकरणों का उपयोग किया जाता था। पुनर्जागरण के दौरान, स्पेन(Spain) में सुंदर व औजारयुक्त सजावटी चमड़े की लोकप्रियता बढ़ने लगी। तुर्की के दीवान भी लोकप्रिय होने लगे। जबकि, छोटे सोफ़े पूरी तरह से तकियों से ढके हुए थे, और छोटी कुर्सियों पर रंगीन टेपेस्ट्री(Tapestry) की गई थी।
4.)सजावटी कलाएं: चार्ल्स द्वितीय(Charles II) के सिंहासन पर बैठने के साथ, सजावटी कलाएं, इंग्लैंड(England) में फलने-फूलने लगीं। लोग असबाब वाले फ़र्नीचर के आराम के आदी हो रहे थे, और पहली पूरी तरह से असबाब वाली कुर्सी 1705 में बनाई गई थी। इस कुर्सी को “स्लीपिंग चेयर(Sleeping chayre)” के रूप में जाना जाता था। लंदन और पेरिस में टेपेस्ट्री और कपड़े के कारखाने खुलने लगे, और असबाब व्यवसाय में तेज़ी आने लगी। तब, घरों के बिस्तर भी पूरी तरह से मखमल जैसे मुलायम कपड़ों से ढके हुए थे।
5.) 20वीं सदी की शैली: 20वीं सदी में हुआ नायलॉन का आविष्कार, रेशम का एक टिकाऊ विकल्प था। इसके अलावा, बेंट स्टील(Bent steel), फ़ाइबरग्लास(Fiberglass), मोल्डेड फ़ोम कोर(Molded foam cores) जैसे अन्य आविष्कारों ने फ़र्नीचर डिज़ाइन में क्रांति ला दी।
आज, भारत में प्रसिद्ध सर्वोत्तम व सुलभ आवासीय फ़र्निशिंग ब्रांड निम्नलिखित हैं:
1.) कॉटन्स और सैटिंस (Cottons and Satins): कॉटन्स और सैटिंस, उच्च गुणवत्ता वाले घरेलू साज-सज्जा उत्पाद उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करता है। अपने विस्तार पर गहरी नज़र और शिल्प कौशल के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, वे शानदार लेकिन किफायती घरेलू साज-सज्जा बनाते हैं।
2.) वुडन स्ट्रीट (Wooden Street): यह ब्रांड ठोस लकड़ी के फ़र्नीचर और घर सजावट में विशेषज्ञ है । लेकिन, घरेलू साज-सज्जा के इसके उत्पाद भी काफ़ी सुंदर है। किफायती दाम में बेहतरीन उत्पाद गुणवत्ता की पेशकश करते हुए, वुडन स्ट्रीट के पास कई विकल्प हैं ।
3.) द येलो ड्वेलिंग (The Yellow Dwelling): आवासीय फ़र्निशिंग बाज़ार का एक नया ब्रांड – द येलो ड्वेलिंग ने अपने आधुनिक और जीवंत डिज़ाइनों के लिए तेज़ी से पहचान हासिल की है। यह फ़र्निशिंग ब्रांड, भारतीय घरों में ताज़ा और युवा ऊर्जा ला सकता है। यदि आप साज-सज्जा के माध्यम से अपने घर में रंगों, पैटर्न या बनावट का मिश्रण देखना चाहते हैं, यह ब्रांड आपके लिए उचित विकल्प है।
4.) फ़ैबइंडिया (FabIndia): यह ब्रांड हस्तनिर्मित उत्पादों का पर्याय बन गया है। यह भारत की समृद्ध विरासत और पारंपरिक शिल्प कौशल को अपनाता है एवं स्थानीय कला रूपों से प्रेरित घरेलू साज-सज्जा की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करता है। इसके कुछ उत्पाद, स्थानीय समुदायों का समर्थन करते हुए, भारतीय शिल्प कौशल की सुंदरता का प्रदर्शन करते हैं।
5.) बॉम्बे डाइंग(Bombay Dyeing): बॉम्बे डाइंग, दशकों से, घरेलू वस्त्रों का एक विश्वसनीय प्रदाता रहा है। भारतीय बाज़ार में बॉम्बे डाइंग के समृद्ध इतिहास ने, इसे विश्वसनीय और बजट-अनुकूल घरेलू साज-सज्जा की तलाश करने वालों के लिए, एक पसंदीदा विकल्प बना दिया है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4mh76juw
https://tinyurl.com/mwb3dax3
https://tinyurl.com/32c7w9p7
https://tinyurl.com/3pepuzaw
चित्र संदर्भ
1. खेस कपड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. खेस कंबल को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
3. फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक्स को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
4. कॉटन कपड़े के टुकड़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)