रामपुर मात्र रज़ा पुस्तकालय या ज़री के काम के लिए ही नहीं अपितु वायलिन के लिए भी विश्व भर में जाना जाता है। यहाँ पर वाइलिन बनाने की परंपरा की शुरुआत 20वीं शताब्दी के मध्य में मोहम्मद हसीनुद्दीन द्वारा की गयी थी। रामपुर भारत की सबसे पुरानी वाइलिन निर्माता शहर है। कहा जाता है कि यहाँ पर हसिनुद्दीन गलती से इस व्यापार में आये, साथ ही यहाँ वाइलिन निर्माण से जुड़ी एक कथा भी है।
कथा के अनुसार हसिनुद्दीन एक बढ़ई थे। उनके छोटे भाई ने बॉम्बे (अब मुंबई) से एक वायलिन खरीदा था। वह इसे घंटों तक बजाया करते थे लेकिन कुछ साल बाद, हसिनुद्दीन ने गलती से वह वायलिन तोड़ दिया। इससे हसिनुद्दीन के भाई निराशा में पड़ गए। बड़ा भाई होने के कारण हसिनुद्दीन ने खुद वायलिन बनाने का फैसला किया। उन्होंने टूटी हुई वायलिन की जांच की, और एक नया वायलिन बना दिया। और इस प्रकार से रामपुर में वायलिन बनाने की परंपरा की शुरुआत हुयी। यहाँ की वायलिन ब्राजील के मैपल की लकड़ी के साथ बनाया जाता है। हिमाचल प्रदेश की सुगंधित लकड़ी (एचपी) का उपयोग उपकरण के शीर्ष क्षेत्र में किया जाता है, और अन्य भागों में आबनूस की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान काल में यहाँ का वायलिन भारत समेत उत्तर मध्य और यूरोपीय देशों में भी भेजा जाता है। रामपुर में बनी वायलिन अन्य स्थानों की बनी वाइलिन से ज्यादा मजबूत और सस्ती होती है तथा ये अच्छे किस्म की आवाज भी प्रदान करती है। यहा की बनी वाइलिन 3,000-15,000 रूपए तक आती है। वाइलिन बनाने में अत्यंत सतर्कता बरती जाती है क्यूंकि छोटी सी भी गलती वायलिन की आवाज को ख़राब कर सकती है।
1.https://www.hindustantimes.com/lucknow/country-s-oldest-violin-manufacturers-tell-why-rampur-instruments-are-the-finest/story-oOSzgjbNrd43yTNjzjbdeP.html
2. http://gulfnews.com/culture/people/the-violin-maker-of-rampur-1.1885294
3. http://www.thehindu.com/features/friday-review/music/have-violin-will-repair/article5404900.ece
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