1857 का रामपुर

रामपुर

 19-03-2018 11:32 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

1857 वह दौर था जब भारत में आजादी की लड़ाई का पहला शंखनाद हुआ था। भारत भर में जगह-जगह पर क्रांति की लड़ाई शुरू हो गयी थी। मेरठ, लखनऊ, दिल्ली, इलाहबाद, कानपुर आदि स्थानों पर स्वतंत्रता की लड़ाई ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया था। मुरादाबाद, बुलंदशहर आदि स्थानों पर भी विद्रोह की घटनाएँ तेज़ होने लगी थी। 1857 के समय में रामपुर में नवाब युसुफ अली खान का शासन था, नवाब युसुफ अंग्रेजों के विश्वासपात्र थे। इस कारण रूहेलखंड के स्वतंत्रता संग्राम को गहरी क्षति का सामना करना पड़ा था। कई बार यह कहा जाता है की नवाब के अंग्रेजों के विश्वासपात्र होने के कारण रामपुर रियासत में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष नहीं हुआ था जबकि रामपुर रियासत में स्वतंत्रता संघर्ष के लिए क्रांतिकारियों ने भाग लिया था। परन्तु क्रांतिकारी रामपुर शहर में क्रांति का बिगुल फूक पाने में असफल रहे।

1857 की क्रांति के दौरान रामपुर में कई प्रकार की गतिविधियाँ हुयी थी जिनकी नीवं लाल डांग संधि (17 अक्टूबर 1774) से भी जुड़ी थी। इस दौर में फैजुल्लाह खान द्वारा 17,000 रोहेल्लाओं को रियासत से बाहर निकाल दिया गया था तथा ऐसी ही कई अन्य घटनाओं ने रामपुर की स्थिति को विभिन्न स्थानों से पेचीदा बना दिया था। उपरोक्त दिए कारणों से नवाब युसूफ अली खान को रोहेलों से भय था जो उनकी रियासत में रहते थे। उपरोक्त राजनीतिक स्थितियों पर नजर डालने से पता चलता है की जिस प्रकार से फैजुल्लाह खान ने रोहेलों से रियासत बचाने के लिए सुजा-उद-दौला से अंग्रेजों की ज़मानत के साथ लाल डांग संधि की थी। इसी तरह नवाब युसुफ अली खान ने अपनी रियासत रूहेला पठानों से बचाने के लिए अंग्रेजों का साथ दिया। यह तथ्य भारत के कई रियासतों से अलग था जैसे कि झाँसी, लखनऊ आदि।

नवाब युसुफ अली खान ने कमिश्नर रूहेलखंड से मुरादाबाद की निजामत (प्रशासन) की सनद प्राप्त कर ली थी। इस सनद से रामपुर रियासत का मुरादाबाद पर अधिकार हो गया था । 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई को कुचलने और मुरादाबाद पर अधिकार करने की कार्यवाही रामपुर रियासत ने की। इसके अलावा रामपुर के नवाब ने नैनीताल में शरण लिये अंग्रेजों की मदद की और कई सैनिक कार्यवाही कराइ जिससे अंग्रेजों की नजर में रामपुर के नवाब की वफ़ादारी साबित हो गयी। उपरोक्त घटनाओं के कारण रूहेलखंड के स्वतंत्रता संग्राम को हार का सामना करना पड़ा। इस प्रकार रामपुर में कोई विद्रोह नहीं हुआ। वहीँ मुरादाबाद में ब्रितानी सरकार के खिलाफ काफी विद्रोह हुए। रामपुर के सन्दर्भ में मौजा गिनतीपुतरिया, जो कि भावर के क्षेत्र में है, में खूनखराबा हुआ था जो कि उल्लेखनीय है।

1. रूहेलखंड 1857 में, ज़ेबा लतीफ़



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id