| Post Viewership from Post Date to 14- Jun-2024 (31st Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2126 | 92 | 0 | 2218 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
आज महिलाओं को फैक्टरियों, या निर्माण कार्यों में, अथवा दैनिक मज़दूरी देने वाली नौकरियों में काम करते हुए देखना आम बात है। संविधान के अनुसार, ये नौकरियाँ श्रम कानून के अंतर्गत आती हैं, और इस कानून के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें हम सभी को जरूर पता होनी चाहिए।
भारत में महिलाएँ, कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत के रजिस्ट्रार जनरल, और जनगणना आयुक्त के 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 149.8 मिलियन महिला श्रमिक कार्यरत हैं। इनमें से 121.8 मिलियन महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में काम करती हैं, जबकि 28.0 मिलियन शहरी क्षेत्रों में काम करती हैं।
कार्य के प्रकार:
- कृषक: 35.9 मिलियन महिलाएँ कृषक (खेती में संलग्न) के रूप में काम करती हैं।
- कृषि मजदूर: अन्य 61.5 मिलियन महिलाएँ खेतिहर मजदूर के रूप में काम करती हैं।
- अन्य श्रमिक: शेष महिला श्रमिक (8.5 मिलियन) घरेलू उद्योगों में कार्यरत हैं, और 43.7 मिलियन महिलाओं को अन्य श्रमिकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
2001 के 25.63 प्रतिशत की तुलना में, 2011 में महिलाओं के लिए समग्र कार्य भागीदारी दर 25.51 प्रतिशत आंकी गई थी। हालाँकि 2001 की तुलना में थोड़ी गिरावट
थी , लेकिन इसमें 1991 (22.27 प्रतिशत,) और 1981 (19.67 प्रतिशत) की तुलना में सुधार था
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की कार्य भागीदारी दर 30.02 प्रतिशत से अधिक है, जबकि शहरी क्षेत्रों में, यह 15.44 प्रतिशत है। मार्च 2011 में, संगठित क्षेत्र (सार्वजनिक और निजी दोनों) में कार्यरत महिलाओं की कुल हिस्सेदारी 20.5 प्रतिशत थी। संगठित क्षेत्र में लगभग 59.54 लाख (5.95 मिलियन) महिलाएँ कार्यरत थीं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या (32.14 लाख या 3.21 मिलियन) महिलाएं सामुदायिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत सेवा क्षेत्रों में कार्यरत थीं। यह डेटा भारत के ग्रामीण, और शहरी दोनों ही क्षेत्रों के कार्यबल में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। हालाँकि, संगठित क्षेत्र में कार्य भागीदारी दर, और अवसरों के मामले में सुधार की गुंजाइश है।
कामकाजी क्षेत्र में बड़ी भागीदारी के कारण सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षा कई उपाय भी लागू किये गए हैं। जैसे:
- -फ़ैक्टरी अधिनियम 1948 के तहत, महिलाओं को कुछ ऐसे कार्य करने की अनुमति नहीं है, जो उन्हें जोखिम में डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब कोई भारी मशीन चल रही हो, तो वे मशीनरी के पुर्जों को साफ या समायोजित नहीं कर सकती। ऐसा उस मशीन, या आस-पास की किसी मशीनरी के हिलते हुए हिस्सों से होने वाली, किसी भी चोट को रोकने के लिए किया जाता है।
- महिलाओं को कारखाने के उन क्षेत्रों में भी काम करने की अनुमति नहीं है, जहां कपास दबाने का काम होता है।
रात के काम पर प्रतिबंध:
- इसी फ़ैक्टरी एक्ट में कहा गया है, कि महिलाएं केवल सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही फ़ैक्टरियों में काम कर सकती हैं।
- 1966 का बीड़ी, और सिगार श्रमिक अधिनियम भी कहता है, कि महिलाएं इन घंटों के बीच केवल औद्योगिक परिसर में ही काम कर सकती हैं।
- 1952 का खान अधिनियम भी जमीन से ऊपर की खदानों में महिलाओं के काम के घंटों को सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक सीमित करता है।
भूमिगत कार्य पर प्रतिबंध:
- 1952 का खान अधिनियम, महिलाओं को भूमिगत खदान के किसी भी हिस्से में काम करने से प्रतिबंधित करता है।
1961 के मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत मिलने वाला ‘मातृत्व अवकाश’ एक ऐसा समय होता है, जब गर्भवती हुई कामकाजी महिलाएं अपने बच्चे के जन्म से पहले और/या उसके बाद में अपने काम से छुट्टी ले सकती हैं।’ 1961 का मातृत्व लाभ अधिनियम (The Maternity Benefit Act of 1961), भारत में मातृत्व अवकाश के नियम निर्धारित करता है। इस कानून के अनुसार, जो महिलाएं मातृत्व अवकाश की पात्र हैं, और मान्यता प्राप्त संगठनों तथा कारखानों में काम करती हैं, वे 6 महीने तक का मातृत्व अवकाश ले सकती हैं। इस छुट्टी को वह अपने बच्चे के जन्म से पहले या बाद में भी ले सकती हैं। इस छुट्टी के दौरान महिला को उसके नियोक्ता द्वारा उसका पूरा वेतन देना जरूरी है।
काम के दौरान महिलाओं को मिलने वाले कुछ अन्य अतिरिक्त लाभ:
1. महिला श्रमिकों के लिए अलग शौचालय और मूत्रालय: महिलाओं के लिए कई ऐसे कानून हैं जिनके अनुसार महिला श्रमिकों के लिए अलग शौचालय और मूत्रालय की व्यवस्था करनी जरूरी है।
ये कानून यहां पाए जा सकते हैं:
- संविदा श्रम अधिनियम, 1970 का नियम 53
- कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 19
- अंतरराज्यीय प्रवासी कर्मकार नियम, 1980 का नियम 42
- खान अधिनियम, 1952 की धारा 20
- बागान श्रम अधिनियम, 1951 की धारा 9
2. कार्यक्षेत्र में महिला श्रमिकों के लिए अलग से धुलाई की सुविधा होनी चाहिए।
ये प्रावधान निम्नलिखित कानूनों द्वारा कवर किए गए हैं:
- संविदा श्रम अधिनियम, 1970 की धारा 57
- कारखाना अधिनियम की धारा 42
- अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम, 1979 की धारा 43
3. क्रेच या बाल देखभाल सुविधाएं: ऐसे भी कानून हैं, जिनके तहत कार्यस्थलों पर क्रेच या बाल देखभाल सुविधाएं प्रदान करना जरूरी है।
ये प्रावधान निम्नलिखित कानूनों में उल्लिखित हैं:
- कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 48
- अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम, 1979 की धारा 44
- बागान श्रम अधिनियम, 1951 की धारा 12
- बीड़ी और सिगार श्रमिक अधिनियम, 1966 की धारा 14
- भवन एवं अन्य निर्माण अधिनियम, 1996 की धारा 35
ये सभी कानून सुनिश्चित करते हैं, कि कार्यस्थल या नियोक्ता, महिला श्रमिकों के लिए अलग शौचालय, कपड़े धोने की सुविधा, और बाल-देखभाल की सुविधा प्रदान करें। प्रत्येक कानून विभिन्न प्रकार के कार्यस्थलों जैसे कारखानों, खदानों, बागानों आदि पर लागू होता है।
भारत में रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (DGE&T) मुख्य संगठन है, जो महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह संगठन पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के पाठ्यक्रम पेश करता है, जो महिलाओं को विभिन्न उद्योगों और सेवाओं के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने में मदद करते हैं। ये पाठ्यक्रम महिलाओं को उनके लक्ष्य हासिल करने और आत्मनिर्भर बनने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
महिला व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, भारत में महिलाओं के लिए, व्यावसायिक प्रशिक्षण से संबंधित नीतियां बनाने, और लागू करने के लिए जिम्मेदार है। इस कार्यक्रम में 11 संस्थान शामिल हैं, जो महिलाओं को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। ये संस्थान महिलाओं को उपयुक्त नौकरी खोजने, या अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक पेशेवर कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।
महिला व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत महिलाओं को विशेष रूप से प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संस्थानों में शामिल हैं:
- नोएडा में महिलाओं के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान (एनवीटीआई (NVTI)।
- मुंबई, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, पानीपत, कोलकाता, तुरा, इलाहाबाद, इंदौर, वडोदरा और जयपुर में महिलाओं के लिए क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान (आरवीटीआई (RVTI)
इसके अतिरिक्त, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में भी नए आरवीटीआई स्थापित करने की मंजूरी दी गई है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/zdpnp6ah
चित्र संदर्भ
1. आत्मविश्वास से भरपूर एक भारतीय महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
2. खेतों में काम करती महिलाओ को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
3. सड़क निर्माण का काम करती महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
4. कार्यालय में काम करती महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. फैक्ट्री में काम सीखती एक दिव्यांग महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)