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मनुष्य और मदिरा या आधुनिक भाषा में कहें तो अल्कोहल (alcohol) के बीच का संबंध कम से कम 30,000 सालों से भी अधिक पुराना बताया जाता है! अल्कोहल एक ज्वलनशील तरल पदार्थ है, जिसे शर्करा के प्राकृतिक किण्वन (natural fermentation) के माध्यम से बनाया जाता है। आज, यह लोगों की मनोदशा बदलने के संदर्भ में निकोटीन (Nicotine), कैफ़ीन (caffeine) और सुपारी को भी पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला उत्पाद बन चुका है। प्रागैतिहासिक काल से ही अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर शराब का उत्पादन और उपभोग किया जाता आ रहा है। इंसानी पूर्वजों ने अनाज और फलों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक शर्करा को किण्वित करके अल्कोहल के विभिन्न रूपों का निर्माण किया। व्हिस्की (Whiskey) भी अल्कोहल के ऐसे ही सबसे प्रचलित रूपों में से एक है।
2019 में, पूरी दुनिया में भारत स्कॉच व्हिस्की (Scotch Whiskey) का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता था । आपको जानकर हैरानी होगी कि इस साल भारत में 700 मिलीलीटर की मात्रा वाली 131 मिलियन स्कॉच व्हिस्की की बोतलों की खपत हुई थी।
वास्तव में भारत और स्कॉच व्हिस्की के बीच की प्रेम कहानी 19वीं सदी के अंत में शुरू हुई। उस समय, पूरा यूरोप, फाइलोक्सेरा वास्टैट्रिक्स (Phylloxera vastatrix) नामक एक परजीवी से जूझ रहा था, जिसने अंगूर के बागों को तबाह कर दिया। इसके मद्देनज़र शराब उत्पादन में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। इस संकट ने कॉन्यैक (cognac) को भी प्रभावित किया, जो वाइन से आसवित एक स्पिरिट (spirit) है, और स्कॉच व्हिस्की के समान पुरानी मानी जाती है। कॉन्यैक की आपूर्ति कम होने के कारण, अभिजात वर्ग को अपने रात्रिभोज के बाद के पेय के लिए एक विकल्प की आवश्यकता थी।
इसके बाद 1800 के दशक के अंत में, इंग्लैंड में स्कॉच व्हिस्की लोकप्रिय होने लगी। इसका उत्पादन करना आसान था तथा इसके लिए केवल अनाज, पानी और खमीर की आवश्यकता होती थी।
इसके बाद व्हिस्की की लोकप्रियता कभी भी कम न हुई। स्कॉच व्हिस्की का पहला दर्ज उल्लेख 1494 के कालखंड के बौद्ध भिक्षु के एक पत्र में मिलता है।
जैसे-जैसे स्कॉच व्हिस्की की दुनिया विकसित हुई, वैसे-वैसे मिश्रित व्हिस्की तेजी से लोकप्रिय हो गई।
19वीं सदी के अंत में जब अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया, तो उन्होंने भारत के स्थानीय लोगों के बीच में स्कॉच व्हिस्की की शुरुआत की। हालाँकि, अपने स्थानीय पेय पदार्थों के आदी हो चुके उस समय के भारतीय लोग शुरूआत में व्हिस्की का विरोध कर रहे थे। उन्हें समझाने के लिए, ब्रिटिश राज ने स्कॉच व्हिस्की पर एक अध्ययन शुरू किया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि यह सामाजिक अवसरों के लिए उपयुक्त उच्च गुणवत्ता वाला, हानिरहित पेय था। तब से, स्कॉच व्हिस्की भारत में स्वाद और संस्कृति का प्रतीक बन गई है। आज इसे सामाजिक समारोहों और विशेष समारोहों में अक्सर परोसा जाता है।
प्रारंभ में, स्कॉच का आनंद केवल ब्रिटिश अधिकारियों और भारत में संपन्न अभिजात वर्ग द्वारा ही लिया जाता था। हालाँकि समय के यह भारत की आबादी के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध हो गई। लेकिन इसके बावजूद इसने अपनी विशिष्टता बरकरार रखी। व्हिस्की की एक और ख़ासियत यह भी है, कि इसे बनाना तुलनात्मक रूप से आसान होता है।
आमतौर पर व्हिस्की को कुछ इस प्रकार बनाया जाता है :-
सबसे पहले घान बनाने के लिए अनाज (जौ, मक्का, राई, गेहूं, आदि) को पीसा जाता है। फिर मिश्रण बनाने के लिए इसमें पानी मिलाया जाता है। इस मिश्रण को उबालकर ठंडा किया जाता है। उसके बाद इसमें खमीर (जो किण्वन के माध्यम से शक्कर को एल्कोहॉल में बदल देता है) डाला जाता है। इसके बाद आख़िर में इस मिश्रण को निचोड़कर इसमें से तरल को अलग कर दिया जाता है। तैयार तरल (व्हिस्की) को लकड़ी के पीपे में रख दिया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि व्हिस्की में अल्कोहल की मात्रा इसके उत्पादन के विभिन्न चरणों में भिन्न-भिन्न होती है।
किण्वन: इस प्रारंभिक चरण में अनाज को मैश करके एक तरल तैयार किया जाता है, जिसे डिस्टिलर बियर कहा जाता है, जिसमें अल्कोहल की मात्रा (एबीवी) 7-10% होती है।
आसवन: इसके बाद तरल को आसुत किया जाता है, जिसके बाद इसमें अल्कोहल की मात्रा 80% एबीवी तक पहुंच जाती है।
बैरलिंग: ओक बैरल में डालने से पहले, व्हिस्की को अधिकतम 62.5% एबीवी तक पतला किया जाता है।
बैरल में बंद करने के बाद: अंत में, बोतलबंद करने से पहले व्हिस्की में अल्कोहल की मात्रा को 40% एबीवी तक कम किया जाता है।
आपके लिये अल्कोहल की मात्रा के बारे में जानना, इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि इससे पीने वाले के स्वास्थ पर प्रभाव पड़ सकता है। यदि इसका सेवन समझदारी के साथ नहीं किया गया तो उच्च एबीवी के कारण अल्कोहल, विषाक्तता का कारण बन सकता है। इसलिए व्हिस्की का सुरक्षित रूप से आनंद लेने के लिए एबीवी को समझना महत्वपूर्ण है। समय के साथ व्हिस्की और रम जैसे मादक पदार्थों का सेवन बाज़ार भी तेज़ी के साथ उभर रहा है।
2022 में स्टेटिस्टा (Statista) के एक अध्ययन से पता चला कि अकेले मादक पेय पदार्थ के बाजार से 47,500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है। 2022 से 2025 के बीच इस बाजार के 8.86% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का भी अनुमान है। पिछले कुछ वर्षों में इन परिवर्तनों से संकेत मिलता है कि शराब उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रारंभिक कोविड लॉकडाउन (Covid lockdown ) के दौरान, शराब को आवश्यक वस्तुओं की सूची में नहीं गिना गया था, जिस कारण मादक पेय पदार्थों के आर्थिक बाज़ार पर गहरा असर पड़ा। हालाँकि बाद में विभिन्न राज्यों ने शराब की दुकानों को फिर से खोलने का आग्रह किया। इसके बाद जब शराब की दुकाने खोली गई, तो शराब की बिक्री रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दौरान कर्नाटक ने मादक पेय की बिक्री से एक दिन में ₹197 करोड़ अर्जित करने का रिकॉर्ड बनाया। साथ ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की बढ़ोतरी देखी गई।
लॉकडाउन के बाद लोगों की पीने की आदतें भी बदल गई। लोगों को घर पर ही महंगे पेय पीने की आदत हो गई। शहरी विकास और समृद्ध मध्यम वर्ग के बीच आए इस बदलाव ने देश भर में शराब की मांग को काफी बढ़ा दिया है।
इंटरनेशनल वाइन एंड स्पिरिट्स रिकॉर्ड (IWSR) की रिपोर्ट के अनुसार, आज वैश्विक स्तर पर भारत व्हिस्की का शीर्ष उपभोक्ता बन गया है। भारत में शराब का बाज़ार खूब फलफूल रहा है। वाइन और वोदका की माँग भी बहुत अधिक बढ़ गई है।
अधिकांश राज्यों के लिए मादक पेय पदार्थ, राजस्व अर्जित करने का एक प्रमुख स्रोत बन गया हैं। हालाँकि शराब पर जीएसटी (GST) लागू नहीं होता है। लेकिन इसकी बिक्री पर राज्य वैट (state VAT), और गैलन और लाइसेंस शुल्क जैसे अन्य शुल्क, अभी भी लागू हैं। पूर्वोत्तर राज्य, जिनमें शराब पीने वाले पुरुषों का प्रतिशत सबसे अधिक है, अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा शराब करों से ही प्राप्त करते हैं। अरुणाचल प्रदेश में (53% पुरुषों और 24% महिलाओं) दोनों के बीच शराब की खपत की दर सबसे अधिक है।
केंद्र सरकार जो कर एकत्र करती है, उसे राज्यों के साथ भी साझा करती है। शराब उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है।
वर्तमान में इस क्षेत्र में लगभग 20 मिलियन लोग कार्यरत हैं। आने वाले समय में जैसे-जैसे क्षेत्र का विस्तार होगा, इससे रोजगार के और भी अधिक अवसर पैदा होने की उम्मीद है। यह उद्योग न सिर्फ़ राज्य के राजस्व में ₹2 ट्रिलियन की धनराशि जोड़ता है। साथ ही इस क्षेत्र से लगभग 4 मिलियन किसानों की आजीविका चल रही है। इन विकास प्रवृत्तियों को देखते हुए, भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक शराब बाजार में एक अग्रणी खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/ynzvurdw
https://tinyurl.com/5x3yxnue
https://tinyurl.com/74npbu4n
https://tinyurl.com/7mt4ury5
चित्र संदर्भ
1. रामपुर व्हिस्की को संदर्भित करता एक चित्रण (Rampur, wikimedia)
2. व्हिस्की के एक गिलास को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. फाइलोक्सेरा वास्टैट्रिक्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. स्कॉच व्हिस्की को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक जली हुई ओक बैरल जिसका उपयोग व्हिस्की को संरक्षित करने के लिए किया जाता है! को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. माल्टेड जौ कुछ व्हिस्की का एक घटक है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. व्हिस्की निर्माण इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. स्टोर की अलमारियों में रखी गई व्हिस्की की बोतलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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