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मानव शरीर जितना सुंदर बाहर से दिखाई देता है, उससे कहीं अधिक सुंदर और रोमांचक भीतर से होता है। हालांकि इस भीतरी सुंदरता को देखने के लिए आपको अनैटिमी प्रदर्शनी (Anatomy Exhibition ) को देखना होगा। यह प्रदर्शनी न केवल भीतरी शरीर की सुंदरता से रूबरू कराती है, साथ ही यह आपको मानव शरीर की कार्यशैली की गहरी समझ भी प्रदान करती है।
आज के समय में लोग चिकित्सकों पर भरोसा करते हैं, और उनकी सलाह का पालन करते हैं। लेकिन कोरोना महामारी ने हमें दिखाया है कि आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो वायरस (Virus) या टीकों पर अधिक विश्वास नहीं करते हैं। इससे चिकित्सा विज्ञान के लिए महामारी को रोकना और जीवन बचाना कठिन हो गया। इसलिए हमें यह भी सोचना चाहिए कि लोगों को नए विचारों को समझाने और स्वीकार करने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग कैसे किया जा सकता है। इस संदर्भ में कला का उपयोग करना, लोगों को किसी भी घटना की वास्तविक स्थिति की अनुभूति करा सकता है। महान कलाकार जानते हैं कि लोगों को चीज़ों को अलग ढंग से देखने या उनका मन बदलने के लिए अपनी कला का उपयोग कैसे करना है। उदाहरण के लिए, एक समझदार कलाकार मानव शरीर की कार्यशैली या कोई बीमारी इसे कैसे प्रभावित करती है, यह दिखाने के लिए पेंटिंग का उपयोग कर सकता है।
प्राचीन ग्रीस में लोगों ने मानव शरीर को काटकर उसके बारे में जानकारी हासिल की। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे केवल स्वास्थ्य और बीमारी के बारे में ही नहीं, बल्कि ईश्वर और आत्मा के बारे में भी अधिक जानना चाहते थे। प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) ऐसा करने वाले पहले चिकित्सकों में से एक थे, जो लगभग 400 ईसा पूर्व रहते थे। उन्होंने चिकित्सा को दर्शन से अलग क्षेत्र बना दिया। इस क्षेत्र के एक अन्य प्रसिद्ध चिकित्सक गैलेन (Galen) भी थे, जो 100 ईस्वी में रोमन साम्राज्य में रहते थे। उन्होंने हिप्पोक्रेट्स के विचारों में सुधार किया और चिकित्सा से जुड़ी हुई कई किताबें लिखीं। उन्होंने यह देखने के लिए बंदरों और सूअरों जैसे जानवरों को भी काटा कि वे इंसानों से कितना मिलते-जुलते हैं। वह मृत मानव शरीरों को भी देखना चाहते थे, लेकिन यूनानियों और रोमन संस्कृति में इसकी अनुमति नहीं थी।
10वीं शताब्दी ईस्वी के बाद शवों को काटने के खिलाफ सख्त ईसाई और रोमन नियमों के कारण मानव शरीर का अध्ययन धीमा हो गया। चिकित्सक अभी भी चिकित्सा का अभ्यास करते थे, लेकिन वे ज्यादातर हिप्पोक्रेट्स, गैलेन और अरस्तू के पुराने विचारों का पालन करते थे। उन्होंने त्वचा पर दिखने वाले घावों और बीमारियों को देखकर ही शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) के बारे में सीखा। 12वीं शताब्दी में, कुछ विश्वविद्यालयों को शिक्षण उद्देश्यों के लिए मानव विच्छेदन (Human Dissection) करने के लिए पोप से अनुमति मिली। यह बहुत ही दुर्लभ और लोकप्रिय घटना थीं।
इस समय की अधिकांश कलाएँ धर्म से जुड़ी हुई थी और बहुत यथार्थवादी नहीं थीं, लेकिन कुछ कलाकारों ने अपने कार्यों में मानव शरीर रचना को दिखाने का भी प्रयास किया। पुनर्जागरण के समय तक कलाकार और चिकित्सक मानव शरीर का विच्छेदन करके उसका अध्ययन करने लगे थे। लियोनार्डो दा विंची (Leonardo Da Vinci) और माइकल एंजेलो (Michelangelo) जैसे कुछ प्रसिद्ध कलाकारों ने शवों का स्वयं विच्छेदन किया और जो देखा, उसके चित्र बनाए। एंड्रियास वेसलियस (Andreas Vesalius) जैसे कुछ चिकित्सकों ने मानव शरीर रचना विज्ञान के चित्रों के साथ किताबें भी लिखीं। उन्होंने शरीर रचना विज्ञान के बारे में गैलेन के कुछ पुराने विचारों को भी चुनौती दी। कई स्थानों पर विच्छेदन अभी भी प्रतिबंधित और वर्जित था, और केवल अपराधियों या गरीब लोगों का ही विच्छेदन किया जा सकता था। कुछ लोगों का मानना था कि विच्छेदन क्रूर और गलत है। लेकिन रेम्ब्रांट (Rembrandt ) की पेंटिंग जैसी कुछ कलाकृतियाँ, विच्छेदन को अधिक सकारात्मक और शैक्षिक तरीके से दिखाती हैं।
गेटी रिसर्च इंस्टीट्यूट (Getty Research Institutes), लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया ( Los Angeles, California) में फ़्लेश एंड बोन्स: द आर्ट ऑफ़ अनैटिमी (Flesh And Bone: The Art Of Anatomy) नामक एक शरीर रचना कला के एक सचित्र खंड में दिखाया गया कि कैसे कला और शरीर रचना विज्ञान ने सदियों से एक-दूसरे को प्रभावित किया है। इस प्रदर्शनी में 16वीं शताब्दी से लेकर आज तक की कलाकृतियां मौजूद हैं, जो मानव शरीर को विभिन्न तरीकों से चित्रित करती हैं।
गेटी रिसर्च इंस्टीट्यूट की निदेशक मैरी मिलर (Mary Miller) के अनुसार यह प्रदर्शनी, कला और विज्ञान के बीच संबंध को मजबूत करती है। यह प्रदर्शनी गेटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के विविध और समृद्ध संग्रह को प्रदर्शित करती है और बताती है कि कैसे कला और शरीर रचना विज्ञान ने लंबे समय तक एक साथ काम किया है। यहां आने वाले आगंतुकों को पता चलता है कि इतिहास में कलाकारों और वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे को कैसे प्रेरित किया है।
इस प्रदर्शनी में कई प्रकार की कलाकृतियां हैं जो शरीर के विभिन्न भागों को दर्शाती हैं। इस प्रदर्शनी में शरीर रचना विज्ञान की कुछ प्रसिद्ध और कुछ दुर्लभ किताबें भी रखी गई हैं। प्रदर्शनी में छह थीम भी हैं, जो कला और शरीर रचना के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।
प्रदर्शनी के संग्रहाध्यक्ष मोनिक कोर्नेल (Monique Cornell) के अनुसार कलाकारों ने न केवल ये चित्र बनाए बल्कि उन्हें खरीदा भी, क्योंकि लंबे समय तक शरीर रचना विज्ञान, सीखने की कला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था। इस प्रदर्शनी से पता चलता है कि कैसे कला और शरीर रचना विज्ञान ने एक आम भाषा साझा की और कैसे उन्होंने शरीर को दिखाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया।
कलाकारों और शरीर रचना विज्ञानियों ने शरीर के अंदरुनी हिस्से को दिखाने के लिए अलग-अलग तरीके आजमाए हैं, जिन्हें देखना और समझना मुश्किल है। प्रदर्शनी में कुछ कलाकृतियाँ हैं जो दर्शकों को शरीर को तीन आयामों में देखने की अनुमति देती हैं। ये कलाकृतियाँ डिजिटल युग से पहले बनाई गई थीं, लेकिन इनमें शरीर को वास्तविक और संपूर्ण दिखाने की कोशिश की गई थी।
शरीर की संरचना को बेहतर ढंग से समझने के लिए बॉडी वर्ल्ड्स, या कोर्परवेल्टेन (Body Worlds, Or Körperwelten) नाम से एक अनूठी प्रदर्शनी भी आयोजित की जाती है, जो दुनिया भर में घूमती है। इसमें वास्तविक मानव शरीर और जानवरों के शरीर के टुकड़ों को प्रदर्शित किया जाता है। इन टुकड़ों को 1970 के दशक के अंत में गुंथर वॉन हेगेंस (Gunther Von Hagens) द्वारा विकसित, प्लास्टिनेशन (Plastination) नामक एक विशेष तकनीक का उपयोग करके संरक्षित किया गया है। यह प्रक्रिया जटिल शरीर रचना विज्ञान को आधुनिक बहुलक रसायन विज्ञान के साथ जोड़ती है।
बॉडी वर्ल्ड्स प्रदर्शनियाँ कई देशों में प्रदर्शित की जा चुकी हैं। हालांकि इस प्रदर्शनी के बाद वास्तविक मानव शरीर के अंगों को प्रदर्शित करने के नैतिक निहितार्थों के बारे में बहस छिड़ गई है।
प्रारंभिक आधुनिक विश्वविद्यालयों में शरीर रचना विज्ञान पढ़ाने के लिए एनाटॉमिकल थिएटर (Anatomical Theater) का प्रयोग किया जाता था। इस सेटअप ने बड़ी संख्या में दर्शकों को शवों के विच्छेदन (Amputation) को करीब से देखने की अनुमति दी, जो गैर-विशिष्ट सेटिंग में संभव नहीं होता।
एनाटॉमिकल थिएटर एक विशेष कमरा होता था, जिसका आकार अक्सर एम्फीथिएटर (Amphitheater) जैसा होता था, जहां मानव या जानवरों के शरीर का विच्छेदन किया जाता था। कमरे को रेलिंग के कई स्तरों के साथ डिज़ाइन किया गया था, जिससे पर्यवेक्षकों, आमतौर पर छात्रों को, उनके दृश्य को अवरुद्ध किए बिना विभिन्न कोणों से विच्छेदन देखने की अनुमति मिलती थी। इनमें से पहला थिएटर 1594 में पडुआ विश्वविद्यालय (University Of Padua) में बनाया गया था। इस तरह के सबसे प्रसिद्ध थिएटरों में से एक उप्साला विश्वविद्यालय (Uppsala University) में है, जिसे 1663 में ओलॉस रुडबेक (Olaus Rudbæk) द्वारा पूरा किया गया था। यह गुस्तावियनम (Gustavianum) इमारत में स्थित है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/tb2b2psx
http://tinyurl.com/39u6xtb4
http://tinyurl.com/yzt8w7h8
http://tinyurl.com/r9b7umt6
चित्र संदर्भ
1. बॉडी वर्ल्ड्स प्रदर्शनी को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. बॉडी वर्ल्ड्स प्रदर्शनी में महिला के शरीर को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
3. शरीर रचना विज्ञान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बॉडीवर्ल्ड के अन्वेषण को संदर्भित करता एक चित्रण (DeviantArt)
5. बॉडी वर्ल्ड्स प्रदर्शनी को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
6. कोर्परवेल्टेन को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
7. एनाटॉमिकल थिएटर को संदर्भित करता एक चित्रण (lookandlearn)
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