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उष्णकटिबंधीय चक्रवात की तीव्रता व आवृत्ति भारत के लिए क्यों है चिंताजनक?

रामपुर

 21-02-2024 09:27 AM
जलवायु व ऋतु

उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone) एक कम दबाव वाली मौसम प्रणाली है, जिसमें,वायु गोल गोल घूमती है और गरज के साथ बारिश होती है।39 मील प्रति घंटे या उससे कम गति वाली निरंतर घूर्णित हवा के साथ तेज तूफानों को उष्णकटिबंधीय तूफान (Tropical storms) कहा जाता है। जब किसी तूफान में निरंतर वायु की गति अधिकतम 74 मील प्रति घंटे तक पहुंच जाती हैं, तो इसे चक्रवात (Hurricane) कहा जाता है। किसी भी तूफान में वायु की गति को मापने के लिए ‘सैफिर-सिम्पसन तूफान पवन पैमाना’ (Saffir-Simpson Hurricane Wind Scale) का उपयोग किया जाता है जिसमें 1 से 5 रेटिंग (Rating) या श्रेणी होती है, जो तूफान की अधिकतम निरंतर हवाओं पर आधारित होती है। तूफान की श्रेणी जितनी अधिक होगी, तूफान से संपत्ति के नुकसान की संभावना भी, उतनी ही अधिक होगी। ये चक्रवात अटलांटिक बेसिन (Atlantic basin) में उत्पन्न होते हैं, जिसमें अटलांटिक महासागर, कैरेबियन सागर (Caribbean Sea) और मैक्सिको की खाड़ी (Gulf of Mexico), पूर्वी उत्तरी प्रशांत महासागर और, मध्य उत्तरी प्रशांत महासागर शामिल हैं। इन तूफानों की पहचान करने के लिए, ‘विश्व मौसम विज्ञान संगठन’ द्वारा अद्यतन और अनुरक्षित नामों की एक सूची का उपयोग किया जाता है। जब वे उत्तरी अटलांटिक, मध्य उत्तरी प्रशांत और पूर्वी उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में विकसित होते हैं, तो उन्हें हरिकेन (Hurricane) कहा जाता है। जब ये तूफान दक्षिण प्रशांत और हिंद महासागर में विकसित होते हैं, तो उन्हें चक्रवात (Cyclone) के रूप में जाना जाता है, और जब वे उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में विकसित होते हैं, तो उन्हें टाइफून (Typhoons) कहा जाता है।
अधिकांशतः चक्रवात 1 जून से 30 नवंबर के बीच घटित होते हैं, लेकिन, ये शक्तिशाली तूफान आधिकारिक मौसम से पहले और बाद में भी आ सकते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तुलना विशाल इंजनों से की जा सकती है, जो ईंधन के रूप में गर्म, नम हवा का उपयोग करते हैं। इसीलिए, वे केवल भूमध्य रेखा के निकट गर्म समुद्री जल पर ही बनते हैं। समुद्र के ऊपर गर्म, नम हवा सतह से ऊपर की ओर उठती है। चूंकि, यह हवा सतह से ऊपर और दूर जाती है, इसलिए, सतह के पास कम हवा रह जाती है। अर्थात, जब गर्म हवा ऊपर उठती है, तो नीचे कम वायु दबाव का क्षेत्र बनता है। अतः उच्च वायुदाब वाले आसपास के क्षेत्रों से हवा निम्न दबाव वाले क्षेत्र की ओर बहती है। तब वह “नई” हवा भी, गर्म और नम हो जाती है, और ऊपर उठ जाती है। जैसे-जैसे हवा गर्म होकर ऊपर उठती रहती है, आसपास की हवा उसकी जगह लेने के लिए घूमती रहती है। साथ ही, जैसे ही गर्म, नम हवा ऊपर उठती है, और ठंडी होती है, तो वह संघनित होकर बादलों का निर्माण करती है। और,इस प्रकार समुद्र की सतह पर गर्मी से हवा लगातार गर्म होकर ऊपर उठती है और समुद्र का पानी वाष्पित होकर हवा के साथ ऊपर उठता रहता है।
भूमध्य रेखा के उत्तर में आने वाले तूफान वामावर्त घूमते हैं। जबकि, भूमध्य रेखा के दक्षिण में तूफान दक्षिणावर्त घूमते हैं।पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण ऐसा होता है। जैसे-जैसे चक्रवात प्रणाली तेजी से घूमती है, इसके मध्य में एक केंद्र बन जाता है, जिसे ‘चक्रवात की आंख’ (Eye) कहा जाता है। चक्रवात का केंद्र बहुत शांत और स्पष्ट होता है, तथा, यहां हवा का दबाव भी बहुत कम होता है। जबकि, ऊपर से उच्च दबाव वाली वायु केंद्र में नीचे की ओर प्रवाहित होती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात आमतौर पर जमीन से टकराने पर कमजोर हो जाते हैं, क्योंकि, तब उन्हें समुद्र के गर्म पानी से मिलने वाली ऊर्जा से “पोषण” नहीं मिलता है। हालांकि, हवा की तेज गति होने के कारण वे अक्सर ही, काफी दूर तक जाते हैं और भारी बारिश करते हैं, और पूरी तरह से बंद होने से पहले, तेज हवाओं से बहुत क्षति पहुंचाते हैं।
क्या आप जानते हैं कि, भारतीय उपमहाद्वीप दुनिया में चक्रवातों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। दुनिया के लगभग 10% उष्णकटिबंधीय चक्रवात अकेले भारतीय उपमहाद्वीप में घटित होते हैं। इनमें से अधिकांश चक्रवातों की उत्पत्ति बंगाल की खाड़ी में होती है, और यह भारत के पूर्वी तट को प्रभावित करते है। इस क्षेत्र में प्रति वर्ष औसतन पांच से छह उष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं, जिनमें से ज्यादातर दो या तीन गंभीर होते हैं। अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवात आते हैं। वर्ष 1891 और 1990 के बीच भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर चक्रवातों की आवृत्ति के विश्लेषण से पता चलता है कि, भारत में पूर्वी तट पर लगभग 262 चक्रवात आए थे, जिनमें से 92 गंभीर थे। साथ ही, पश्चिमी तट पर तुलनात्मक रूप से कम गंभीर चक्रवाती गतिविधि देखी गई है, जहां इसी अवधि में 33 चक्रवात आए, जिनमें से 19 गंभीर थे। उत्तर हिंद महासागर (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में चक्रवात के भूमि से टकराने के दौरान विनाशकारी हवा, तूफान और मूसलाधार बारिश के कारण, इस आपदा की संभावना विशेष रूप से अधिक होती है। इनमें से, तूफानी लहरें सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती हैं, क्योंकि, समुद्र का पानी तटीय क्षेत्रों के निचले इलाकों में भर जाता है और भारी बाढ़ का कारण बनता है, समुद्र तटों और तटबंधों को नष्ट कर देता है, वनस्पति को नष्ट कर देता है और मिट्टी की उर्वरता को कम कर देता है। इन चक्रवातों का व्यास 50 से 320 किलोमीटर तक होता है, लेकिन, उनका प्रभाव हजारों वर्ग किलोमीटर समुद्र सतह और निचले वायुमंडल पर होता है। इसीलिए, ऐसे चक्रवात देश के लिए चिंता का विषय हैं। हालांकि, उनका पुर्वानुमान लगाया जा सकता है, तथा उचित बचाव प्रयास किए जा सकते हैं।

संदर्भ
http://tinyurl.com/22jfwkaz
http://tinyurl.com/3k9m2253
http://tinyurl.com/bdz5mfry
http://tinyurl.com/83d3e2rz

चित्र संदर्भ
1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात की संरचना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों फार्म का जब बढ़ती हवा में नमी की संक्षेपण द्वारा जारी की ऊर्जा गर्म समुद्र जल के ऊपर एक सकारात्मक प्रतिक्रिया पाश का कारण बनता है! को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक शक्तिशाली दक्षिणी गोलार्द्ध चक्रवात को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चक्रवात के बदलते स्वरूप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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