रामपुर - गंगा जमुना तहज़ीब की राजधानी
पारंपरिक तौर से पिसे गेहूँ और पैकेज्ड आटे में से किसे चुनेंगे आप ?
वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
Architecture II - Office/Work-Tools
17-01-2025 09:40 AM
Rampur-Hindi
रामपुर के हर इंसान के लिए, गेहूँ उनके आहार का प्रमुख हिस्सा है। क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के लोग पूरे देश के औसत से ज़्यादा गेहूँ खाते हैं? ग्रामीण इलाकों में, हर व्यक्ति औसतन हर महीने 4.288 किलोग्राम गेहूँ खाता है, जबकि शहरों में यह आंकड़ा 4.011 किलोग्राम है।
गेहूँ को खाने के लिए पहले इसे आटे में बदला जाता है। इसे पीसने से पहले डैम्पेनिंग (या टेम्परिंग/कंडीशनिंग नामक एक प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया, गेहूँ में सही मात्रा में नमी बनाए रखती है, जिससे उसे पीसना आसान हो जाता है। आज के इस लेख में, हम भारत की आटा मिलों में इस्तेमाल होने वाली अलग-अलग नमी काम करने की विधियों को समझेंगे। इसके बाद, पैकेज्ड आटे और पारंपरिक चक्की में पिसे आटे के बीच के अंतर को जानेंगे।
साथ ही, हम आधुनिक व्यावसायिक आटा चक्कियों में आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा करेंगे। अंत में हम, उत्तर प्रदेश के प्रमुख आटा निर्माताओं की जानकारी हासिल करेंगे।
आइए, सबसे पहले भारत की आटा मिलों में गेहूँ की डैम्पेनिंग की सरल और प्रभावी विधियों के बारे में जानते हैं:
आटा मिलों में गेहूँ की डैम्पेनिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। इसके तहत गेहूँ को पीसने के लिए तैयार किया जाता है! साथ ही इससे आते की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। गेहूँ भिगोने या डैम्पेनिंग के तहत कई विधियाँ अपनाई जाती हैं।
आइए इन विधियों को आसान भाषा में सरल तरीके से समझते हैं:
1. ठंडे पानी में भिगोना (Conventional Dampening (Cold Dampening): इस विधि में गेहूँ को कमरे के तापमान पर पानी में भिगोया जाता है। इसकी समय अवधि 24 से 72 घंटे तक हो सकती है! यह अवधि गेहूँ की गुणवत्ता और पर्यावरण पर निर्भर करती है। इस विधि के तहत, गेहूँ तेज़ी के साथ पानी सोख लेता है, लेकिन पानी को पूरे अनाज में समान रूप से फैलने में समय लगता है।
2. गर्म पानी में भिगोना (Warm and Hot Dampening): यह विधि, प्रक्रिया को तेज़ करती है। इसके तहत, गेहूँ को 30°C से 46°C तापमान वाले पानी में रखा जाता है। इससे नमी तेजी के साथ अनाज में समा जाती है। यह प्रक्रिया लगभग 1 से 1.5 घंटे में पूरी हो सकती है। इसके बाद, गेहूँ को 24 घंटे तक यूँ ही छोड़ की सलाह दी जाती है, ताकि मिलिंग से पहले उसके गुण बेहतर हो सकें।
3. वाष्प नम करना: वाष्प नम करना एक आधुनिक तकनीक है, जो जर्मनी में शुरू हुई और अब अमेरिका और कनाडा में प्रचलित है। इसमें पानी को वाष्प के रूप में गेहूँ में मिलाया जाता है। इस विधि के तहत गेहूँ को समान रूप से नमी मिलती है। वाष्प का प्रभाव 20 से 30 सेकंड में ही दिखाई देने लगता है, जबकि सूखी हवा के उपयोग से यह प्रक्रिया 3 मिनट तक ले सकती है।
4. माइक्रोवेव से नमी कम करना: खाद्य उद्योग में, माइक्रोवेव का उपयोग से बढ़ रहा है। यह विधि डीफ़्रॉस्टिंग, सुखाने और पाश्चराइजेशन के साथ-साथ नमी प्रदान करने के लिए भी कारगर साबित होती है। अध्ययनों से पता चला है कि माइक्रोवेव तकनीक अनाज की नमी प्रक्रिया को तेज़ और कुशल बनाती है।
ये सभी विधियाँ गेहूँ से उच्च गुणवत्ता वाला आटा बनाने में मदद करती हैं। इनमें से हर विधि के अपने फ़ायदे होते हैं और यह आटा मिलिंग के लिए गेहूँ को बेहतर ढंग से तैयार करने में सहायक होती हैं।
आपने अक्सर लोगों को पारंपरिक चक्की के आटे और पैकेज्ड आटे के फ़ायदे नुकसान गिनाते हुए सुना होगा, चलिए आज जान ही लेते हैं कि इनमें से कौन से सा आटा आपके लिए फ़ायदेमंद होगा?
चक्की का आटा:
पोषण से भरपूर: चक्की के आटे में गेहूँ के चोकर, बीज और एंडोस्पर्म मौजूद रहते हैं। इसमें फ़ाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। इस कारण यह एक सेहतमंद विकल्प बन जाता है।
आवश्यक तेल सुरक्षित रहते हैं: पारंपरिक चक्की में पत्थर से पीसने की प्रक्रियाके दौरान गेहूँ के आवश्यक तेल बने रहते हैं। इससे रोटियों में खास स्वाद और सुगंध आती है।
बनावट की बात: चक्की आटे की मोटी और दानेदार बनावट पारंपरिक रोटियों के शौकीनों को बहुत पसंद आती है।
पैकेज्ड आटा:
सुविधाजनक विकल्प: पैकेज्ड आटा आसानी से उपलब्ध होता है और इसका इस्तेमाल करना भी सरल है। यह बारीक पिसा हुआ होता है और इसके गूथना भी आसान होता है। लेकिन इसे आधुनिक मशीनों से बनाया जाता है, जिससे गेहूँ के चोकर और बीज की परतें हट जाती हैं। यही परतें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।
क्या चुनें?
चक्की आटा और पैकेज्ड आटा के बीच चुनाव आपकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। अगर आप पोषण को महत्व देते हैं, पारंपरिक स्वाद और बनावट पसंद करते हैं, तो चक्की आटा आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें, चक्की के आटे में स्वच्छता और गुणवत्ता को लेकर अनियमितता हो सकती है। दूसरी ओर, अगर आप सुविधा चाहते हैं, तो पैकेज्ड आटा सही विकल्प रहेगा।
हालांकि देखा जाए तो आज के समय में पैकेज्ड आटे की मांग बहुत अधिक बढ़ रही है और देखा जाए तो जाने-अनजाने हम इसकी एक बहुत बड़ी कीमत चुका रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, आधुनिक व्यावसायिक आटा चक्कियों से जुड़ी कुछ गंभीर समस्याओं में शामिल हैं:
बच्चों के लिए नुकसानदायक: व्यावसायिक आटे को बिजली की मिलों में संसाधित किया जाता है। इस प्रक्रिया में गेहूं का चोकर और पोषक तत्व निकल जाते हैं। नतीजतन, आटा मैदा में बदल जाता है, जिसमें विटामिन और फाइबर नहीं होते। ऐसे आटे से बनी चीज़ें, जैसे कि बिस्कुट और पिज़्ज़ा, बच्चों को भूख का एहसास जल्दी कराती हैं। क्योंकि इसमें फ़ाइबर की कमी होती है, यह पाचन को धीमा कर देता है और आंतों को नुकसान पहुँचा सकता है।
ताज़गी की कमी: पैकेज्ड आटे को लंबे समय तक स्टोर किया जाता है। इसे सुरक्षित रखने के लिए रसायनों और संरक्षकों का उपयोग किया जाता है। इस वजह से, आटा ताज़ा नहीं रहता और सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ताज़ा पिसा हुआ आटा पोषण के लिए बेहतर होता है।
पैकेजिंग में संदूषण: व्यावसायिक आटा तैयार होने के बाद भी लंबे समय तक पैक रहता है। इसमें क्या मिलाया गया है, यह जानना मुश्किल होता है। रसायनों और निम्न-गुणवत्ता वाले पदार्थों का उपयोग आटे की गुणवत्ता को खराब कर सकता है। ये प्रथाएँ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकती हैं।
असमय मशीनरी का उपयोग: आज की मिलों में उपयोग की जाने वाली मशीनरी पोषक तत्वों को संरक्षित नहीं करती। कई मिलें पारंपरिक तरीकों से आटा पीसने का दावा तो करती हैं, लेकिन वे स्टील या एमरी पत्थरों का उपयोग करती हैं। ये पत्थर आटे में हानिकारक पदार्थ छोड़ सकते हैं।
अत्यधिक रसायनों का उपयोग: व्यावसायिक आटा चक्कियों में अनाज से चोकर और रोगाणु को हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया पोषक तत्व, जैसे विटामिन बी और फाइबर, का 70% खत्म कर देती है। आटे को परिष्कृत करने और ब्लीच करने के लिए रसायनों का उपयोग किया जाता है। इस कारण, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
इस प्रकार आधुनिक व्यावसायिक आटा चक्कियों की विधियाँ पोषण और सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। आटा खरीदते समय, इन समस्याओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है। ताज़ा और पोषक आटे का चुनाव करना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा।
उत्तर प्रदेश में कई बड़े गेहूं आटा निर्माता हैं। ये निर्माता विभिन्न प्रकार के आटे का उत्पादन करते हैं और अलग-अलग ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
आइए, अब आपको उत्तर प्रदेश के प्रमुख गेहूं आटा निर्माताओं से रूबरू करवाते हैं:
1. आयशा एक्सपोर्ट्स, करुला, मुरादाबाद
न्यूनतम ऑर्डर (MOQ): 10 टन
आपूर्ति क्षमता: 10 टन प्रति सप्ताह
डिलीवरी का समय: 2-3 दिन
निर्यात बाज़ार : पश्चिमी और पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ़्रीका, मध्य अमेरिका और मध्य पूर्व।
2. मेसर्स मैकी गोल्ड, अमरोहा
न्यूनतम ऑर्डर: 500 किलोग्राम
उत्पाद का प्रकार: साबुत गेहूं का आटा
विशेषताएँ: बिना संरक्षक और ग्लूटेन-मुक्त आटा
3. श्री पारसनाथ ट्रेडिंग कंपनी, प्रेमपुरी, मुज़फ़्फ़रनगर
उत्पाद: कनक साबुत गेहूं आटा
पैकेजिंग का आकार: 5 किलो
कीमत: 155 रुपये प्रति पैक
न्यूनतम ऑर्डर: 100 पैक
पैकेजिंग प्रकार: प्लास्टिक बैग
आटे का प्रकार: गेहूं का आटा
ब्रांड नाम: कनक
उपयोग की अवधि: 8 महीने
4. वैभव शक्ति भोग फ़ूड्स, टटीरी ग्रामीण, बागपत
उत्पाद: सफ़ेद प्राकृतिक गेहूं का आटा
ग्रेड: खाद्य ग्रेड
कीमत: 34 रुपये प्रति किलोग्राम
न्यूनतम ऑर्डर: 1 टन
आटे का प्रकार: गेहूं का आटा
ये सभी निर्माता, उत्तर प्रदेश के गेहूं आटा उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे उपभोक्ताओं की अलग-अलग ज़रूरतों के अनुसार, आटे की आपूर्ति करते हैं। उनकी गुणवत्ता और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, इनसे आटा खरीदना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/23dvcfbn
https://tinyurl.com/2yec77u5
https://tinyurl.com/224a2ov3
https://tinyurl.com/25uu5yx5
https://tinyurl.com/2962tnrc
चित्र संदर्भ
1. पारंपरिक चक्की में पिसे हुए और पैकेज्ड आटे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक भारतीय आटा मिल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक पारंपरिक आटा चक्की को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मशीनों से लैस एक आटा चक्की को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पैकेज्ड आटे की एक बोरी को ली जाते कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
इंसानों की तरह, दुनिया को तर्क देना व समझना चाहता है, न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई
संचार एवं संचार यन्त्र
Communication and IT Gadgets
16-01-2025 09:27 AM
Rampur-Hindi
रामपुर में, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (ए आई) धीरे-धीरे रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन रहा है, जो हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में दक्षता और सुविधा ला रहा है। ग्राहक सेवा को बेहतर बनाने के लिए, स्थानीय व्यवसायों में ए आई का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि चैटबॉट(Chatbot) के माध्यम से, जो प्रश्नों का उत्तर देते हैं और खरीदारी करने में सहायता करते हैं। इसके अतिरिक्त, ए आई, छात्रों को व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव प्रदान करके शैक्षिक उपकरणों को बढ़ा रहा है, जिससे उन्हें अपने हिसाब से सीखने में मदद मिल रही है। ए आई में सबसे रोमांचक प्रगति में से एक, न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई(Neuro-Symbolic AI) है, जो एक ऐसा क्षेत्र है, जो प्रतीकात्मक तर्क के साथ तंत्रिका नेटवर्क(Neural networks) की शक्ति को जोड़ता है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य, ऐसी मशीनें बनाना है जो न केवल डेटा से सीखें, बल्कि, इंसानों की तरह दुनिया को तर्क दे और समझ सकें। चूंकि, रामपुर ए आई को एकीकृत करना जारी रखता है, यह दैनिक जीवन को स्मार्ट, तेज़ और अधिक संयुक्त बनाने का वादा करता है। आज, हम न्यूरो-सिम्बोलिक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की उत्पत्ति पर चर्चा करेंगे। फिर, हम न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई के प्राथमिक उद्देश्यों का पता लगाएंगे। इसके बाद, हम न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई के वास्तविक अनुप्रयोगों की जांच करेंगे। अंत में, हम बताएंगे कि, न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई क्या है। न्यूरो-सिम्बोलिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उत्पत्ति-
न्यूरो सिम्बोलिक ए आई की उत्पत्ति का पता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग से लगाया जा सकता है। सिम्बोलिक या प्रतीकात्मक काल, 1950 से 1980 के दशक तक फ़ैला था। यह प्रतीकात्मक तर्क पर केंद्रित प्रारंभिक ए आई अन्वेषण का काल था। जनरल प्रॉब्लम सॉल्वर(General Problem Solver) और लॉजिक थियोरिस्ट(Logic Theorist) जैसी प्रणालियां, मनुष्यों की समस्या-समाधान क्षमताओं को दोहराने के लिए विकसित की गईं। इन प्रणालियों ने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए, तार्किक सोच और नियमों को नियोजित किया। आवश्यक व्यापक ज्ञान आधार और वास्तविक दुनिया की परिवर्तनशीलता के कारण, हालांकि उसे बाधाओं का सामना करना पड़ा।
•1980 और 2010:
तंत्रिका नेटवर्क का उद्भव एवं कम्प्यूटेशनल क्षमताओं और एल्गोरिथम(Algorithm) में प्रगति से प्रेरित नेटवर्क में पुनरुत्थान ने, ए आई अनुसंधान को डेटा-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर पुनर्निर्देशित किया। बैकप्रॉपैगेशन(Backpropagation) जैसी तकनीकों द्वारा नेटवर्क प्रशिक्षण में सुधार किया गया, जिससे उन्हें जटिल कार्यों और व्यापक डेटासेट का प्रबंधन करने की अनुमति मिली।
फिर भी, तंत्रिका नेटवर्क को अक्सर व्याख्यात्मकता में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियां तब उत्पन्न होती हैं, जब कर्तव्यों के लिए तर्क की आवश्यकता होती है।
2010 से वर्तमान तक, तंत्रिका दृष्टिकोण के लाभों के संयोजन में रुचि बढ़ रही है। शोधकर्ताओं ने ऐसे ढांचे और मॉडल विकसित किए हैं, जो अधिक मज़बूत और समझने योग्य ए आई सिस्टम बनाने के लिए तर्क को नेटवर्क के साथ जोड़ते हैं। इस समामेलन का उद्देश्य, प्रत्येक दृष्टिकोण की शक्तियों को पूंजी रूप में प्रयोग करने के साथ-साथ, उनकी कमियों को भी दूर करना है। न्यूरो-सिम्बोलिक या तंत्रिका–प्रतीकात्मक ए आई के प्राथमिक उद्देश्य-
1. अधिक जटिल समस्याओं का समाधान करना।
2. किसी एक विशिष्ट कार्य के बजाय, काफ़ी कम डेटा के साथ विभिन्न कार्य करना सीखना।
3. ऐसे निर्णय और व्यवहार अपनाना, जो समझने योग्य हों और हमारी क्षमता के भीतर हों।
4. आज के ए आई सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए, आवश्यक डेटा का पैमाना बहुत बड़ा है। जब एक मानव मस्तिष्क कुछ उदाहरणों से सीख सकता है, तो ए आई, इंजीनियरों को ए आई एल्गोरिथम में, हज़ारों उदाहरण इनपुट करने होंगे। तंत्रिका-प्रतीकात्मक ए आई सिस्टम को, अन्य तरीकों के लिए आवश्यक केवल 1% डेटा के साथ प्रशिक्षित किया जा सकता है।
5. न्यूरो–सिम्बोलिक ए आई अनुसंधान में, स्वायत्त प्रणालियों के विकास में सहायता करने की क्षमता है, जो बाहरी इनपुट के बिना कार्यों को पूरा कर सकती है। यह औद्योगिक घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं जैसी गंभीर स्थितियों में सबसे महत्वपूर्ण है।
यह ए आई एक ऐसी तकनीक है, जो नेटवर्क की डेटा-संचालित सीखने की प्रक्रियाओं को ए आई के तर्क और नियम-आधारित सिस्टम के साथ जोड़ती है।
न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई प्रणाली के प्राथमिक घटक -
1. तंत्रिका नेटवर्क
2. प्रतीकात्मक तर्क इंजन
3. एकीकरण परत(Integration Layer): यह घटक, एक हाइब्रिड आर्किटेक्चर(Hybrid architecture) बनाने के लिए, प्रतीकात्मक तर्क इंजन और तंत्रिका नेटवर्क को एकजुट करता है। यह प्रतीकात्मक और तंत्रिका अभ्यावेदन को मैप करता है और दो तत्वों के बीच संचार की सुविधा प्रदान करता है।
4. ज्ञानकोष
5. स्पष्टीकरण जेनरेटर
6. उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस(User Interface): यह एक घटक है, जो मानव उपयोगकर्ताओं को न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई सिस्टम से इनपुट उत्पन्न करने और आउटपुट प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई के वास्तविक अनुप्रयोग-
१.बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण और व्याख्या करना-
न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई अमूर्त अवधारणाओं को संसाधित कर सकता है और निगमनात्मक निर्णय ले सकता है। इसमें प्रयुक्त तंत्रिका नेटवर्क, मानव मस्तिष्क के तर्क की “नकल” करते हैं और डेटा से सीख सकते हैं।
२.स्वायत्त वाहनों में निर्णय लेना-
निर्णय लेने तथा पारदर्शिता और सुरक्षा में सुधार के लिए, स्वायत्त वाहनों में न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई का लाभ उठाया जा सकता है। यह तंत्रिका नेटवर्क की पैटर्न पहचान क्षमताओं को, प्रतीकात्मक ए आई के नियम-आधारित तर्क के साथ जोड़ता है, जिससे वाहनों को अपने कार्यों की “व्याख्या” करने में, सक्षम बनाया जाता है।
३.कानूनी दस्तावेज़ विश्लेषण को स्वचालित करना-
तंत्रिका नेटवर्क की प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण क्षमताओं को, प्रतीकात्मक तर्क के नियम-आधारित तर्क के साथ जोड़कर, न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई का उपयोग स्वचालित कानूनी दस्तावेज़ विश्लेषण और अनुबंध समीक्षा के लिए किया जा सकता है।
४.संकट प्रबंधन के लिए, परिणामों का अनुकरण और प्रतिक्रियाएं सुझाना-
संकट प्रबंधन में बड़े व अक्सर अराजक डेटासेट की व्याख्या करना शामिल है। यह एक ऐसा कार्य है, जिसके लिए तंत्रिका नेटवर्क उपयुक्त हैं। साथ ही, औपचारिक निर्णय लेने वाले ढांचे और आकस्मिक योजनाओं को लागू करना, एक कार्य प्रतीकात्मक ए आई के लिए उपयुक्त है। न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई संभावित परिणामों का अनुकरण करने और वास्तविक समय डेटा को एकीकृत करके, रणनीतिक प्रतिक्रियाओं का सुझाव देने के लिए इन जटिलताओं को नेविगेट कर सकता है।
५.नैदानिक सटीकता में सुधार-
मेडिकल निदान में, न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई का लाभ उठाया जा सकता है। तंत्रिका नेटवर्क के पैटर्न की पहचान को प्रतीकात्मक ए आई के तर्क के साथ जोड़कर, यह नैदानिक सटीकता और व्याख्या में सुधार कर सकता है। न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई क्या है?
न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई, एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दो अलग-अलग क्षेत्रों से मेल खाता है। यह तंत्रिका नेटवर्क – जो डीप लर्निंग(Deep learning) का मूल है और प्रतीकात्मक ए आई – जो तर्क-आधारित और ज्ञान-आधारित प्रणालियों को शामिल करता है, से मेल खाता है। इस तालमेल को उनकी संबंधित कमज़ोरियों को दूर करने के लिए एवं प्रत्येक दृष्टिकोण की ताकत को पूंजीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे ऐसी ए आई सिस्टम तैयार होती है, जो मानव जैसे तर्क के साथ तर्क कर सके और सीखने के माध्यम से नई परिस्थितियों के अनुकूल हो सके।
न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई का उद्देश्य ऐसे मॉडल बनाना है, जो प्रतीकों को समझ सकें और उनमें हेरफ़ेर कर सकें, जो मानव मस्तिष्क की तरह संस्थाओं, रिश्तों और अमूर्तताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये मॉडल उन कार्यों में माहिर हैं, जिनके लिए गहरी समझ और तर्क की आवश्यकता होती है, जैसे कि – प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, जटिल निर्णय लेना और समस्या समाधान।
न्यूरो-सिम्बोलिक ए आई का तंत्रिका घटक, बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा से सीखने के लिए डेटा-संचालित दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, धारणा और अंतर्ज्ञान पर केंद्रित है।
तंत्रिका नेटवर्क, छवि और वाक् पहचान जैसे कार्यों में असाधारण हैं, जहां वे ऐसे पैटर्न और बारीकियों की पहचान कर सकते हैं, जिन्हें स्पष्ट रूप से कोड(Code) नहीं किया गया है। दूसरी ओर, इसके प्रतीकात्मक घटक, संरचित ज्ञान, तर्क और नियमों से संबंधित है। यह अपने निर्णयों के लिए तर्क करने और स्पष्टीकरण उत्पन्न करने के लिए, ज्ञान के डेटाबेस और नियम-आधारित प्रणालियों का लाभ उठाता है।
इन दो घटकों के बीच परस्पर क्रिया, वह जगह है, जहां न्यूरो-प्रतीकात्मक ए आई चमकता है। उदाहरण के लिए, यह एक जटिल छवि की व्याख्या करने के लिए, तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग कर सकता है और फिर छवि की सामग्री के बारे में सवालों के जवाब देने, या उसके भीतर वस्तुओं के बीच संबंधों का अनुमान लगाने के लिए, प्रतीकात्मक तर्क लागू कर सकता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdepww9k
https://tinyurl.com/yc2juw3m
https://tinyurl.com/bddsjk62
https://tinyurl.com/bddsjk62
https://tinyurl.com/bddsjk62
चित्र संदर्भ
1. लोगों के साथ बात करती हुई सोफ़िया नामक रोबोट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मनुष्य के हाथ का स्पर्श लेते एक रोबोटिक हाथ को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. 3 अलग-अलग आरंभिक बिंदुओं के लिए ग्रेडिएंट अवरोहण के चित्रण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ट्यूरिंग परीक्षण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एक उपसमूह के रूप में मशीन लर्निंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
आइए समझते हैं, भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग, इसके प्लेटफ़ॉर्मों और जोखिमों के बारे में
संचार एवं संचार यन्त्र
Communication and IT Gadgets
15-01-2025 09:28 AM
Rampur-Hindi
तो चलिए, आज हम समझते हैं कि भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग कैसे काम करती है। इसके बाद हम भारत में मौजूद अलग-अलग प्रकार की एफ़िलिएट मार्केटिंग प्लेटफ़ॉर्म्स प्लेटफ़ॉर्म्स के बारे में बात करेंगे। फिर, हम देश के सबसे अच्छे एफ़िलिएट मार्केटिंग प्रोग्राम्स पर नज़र डालेंगे। अंत में, हम उन खतरों और जोखिमों पर चर्चा करेंगे, जो एफ़िलिएट मार्केटिंग करने वाले लोगों को झेलने पड़ सकते हैं।
भारत में संबद्ध विपणन (affiliate marketing) कैसे काम करती है?
आइए समझते हैं कि भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग का काम कैसे होता है। जब भी कोई ग्राहक आपके द्वारा साझा किए गए लिंक पर क्लिक करके कोई उत्पाद खरीदता है, तो आपको उस पर कमीशन मिलता है। यह कमीशन पूरी तरह से आपके प्रदर्शन पर आधारित होता है, यानी जब कोई ग्राहक आपके लिंक पर क्लिक करके कोई कार्रवाई करता है, तभी आपको भुगतान किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि, आप एक ऑनलाइन व्यवसाय के मालिक हैं और आपकी वेबसाइट पर हर महीने अच्छी-खासी ट्रैफ़िक आती है। अब अन्य ब्रांड आपसे संपर्क करते हैं और अपने उत्पाद को आपकी वेबसाइट पर प्रचारित करने की बात करते हैं। आप उनके उत्पादों के एफ़िलिएट लिंक अपनी वेबसाइट के विभिन्न हिस्सों में आसानी से जोड़ सकते हैं।
जब भी कोई व्यक्ति आपके लिंक पर क्लिक करता है, तो एक कुकी उनके ब्राउज़र पर बनती है और स्टोर हो जाती है। अगर वह व्यक्ति उस लिंक के माध्यम से कोई कार्रवाई करता है, तो आपको स्वचालित रूप से एफ़िलिएट कमीशन मिल जाता है।
कुकी का काम क्या है?
कुकी (Cookie) यह सुनिश्चित करती है कि कौन सा एफ़िलिएट यानी विक्रेता, उस उत्पाद को बेचने में शामिल था और उसी आधार पर कमीशन दिया जाता है। यहां तक कि अगर ग्राहक तुरंत उत्पाद नहीं खरीदता है, लेकिन कुकी की वैधता अवधि के भीतर खरीदता है, तो भी आपको उसका कमीशन मिलेगा। कुकी की वैधता अवधि अलग-अलग हो सकती है और हर एफ़िलिएट मार्केटिंग कार्यक्रम का अपना अलग व्यापार मॉडल होता है।
भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग प्लेटफ़ॉर्म्स प्लेटफ़ॉर्म्स के प्रकार
भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग के विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म्स का उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं इनके बारे में:
1. कूपन प्लेटफ़ॉर्म्स
लोग हमेशा छूट (डिस्काउंट) और सीजनल सेल्स (सालाना चलने वाली सेल्स) को पसंद करते हैं, खासकर जब प्रोडक्ट या सेवाएं महंगी हों। इसीलिए, कूपन प्लेटफ़ॉर्म्स के साथ साझेदारी करना भारत में 2025 के सर्वश्रेष्ठ एफ़िलिएट प्रोग्राम्स का लाभ उठाने का एक शानदार तरीका हो सकता है। यह नए प्रकार के दर्शकों को आकर्षित करने, छूट और कूपन के जरिए बिक्री बढ़ाने और ग्राहकों को लुभाने में मदद करता है।
2. रिव्यू वेबसाइट्स और ऐप्स
अगर आपकी सेवाएं और प्रोडक्ट्स ऐसे दर्शकों के लिए हैं जो हमेशा रिव्यू चेक करते हैं, तो रिव्यू प्लेटफ़ॉर्म्स एक और महत्वपूर्ण एफ़िलिएट प्रोग्राम का प्रकार हैं। ये वेबसाइट्स या ऐप्स ऐसी सामग्री पेश करते हैं जहां दर्शकों से प्रोडक्ट्स और सेवाओं के रिव्यू मांगे जाते हैं। आप इन रिव्यू साइट्स के साथ साझेदारी कर सकते हैं और देख सकते हैं कि क्या आपके प्रोडक्ट्स और सेवाओं का एफ़िलिएट रिव्यू आपके लिए लाभदायक है।
3. सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर
सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर मार्केटिंग आपके प्रोडक्ट्स या सेवाओं को प्रचारित करने में मदद कर सकती है। यह भारत में शीर्ष एफ़िलिएट प्रोग्राम्स के लिए एक लोकप्रिय और प्रभावी तरीका है। जरूरी है कि आप उन इन्फ़्लुएंसर को चुनें, जो आपके व्यवसाय के समान डोमेन में काम कर रहे हों। उनके फॉलोअर्स के जरिए आप अपने लक्षित दर्शकों तक पहुंच सकते हैं। शुरुआत में धीमी गति से काम शुरू करें और फिर मांग के अनुसार इसे बढ़ाएं।
4. सर्च एफ़िलिएट्स
सर्च एफ़िलिएट्स का मॉडल पेड विज्ञापन (Paid Advertising) पर आधारित होता है। सर्च एफ़िलिएट्स आपको किसी प्लेटफ़ॉर्म के सर्च
रिज़ल्ट्स में ऊपर दिखाने के लिए शुल्क लेते हैं। यह सोशल मीडिया विज्ञापनों की तरह है, लेकिन यहां विश्वसनीय लोग आपके प्रोडक्ट्स और सेवाओं को प्रमोट करते हैं।
5. ईमेल मार्केटिंग
आज के समय में ईमेल मार्केटिंग एक सूक्ष्म और अभिनव विपणन उपकरण है। अब कंपनियां ईमेल के ज़रिए सीधे अपने प्रोडक्ट्स और सेवाएं नहीं बेचतीं, बल्कि उन्हें प्रचार के लिए उपयोग करती हैं। ईमेल का उपयोग करते समय उसकी फ़्रीक्वेंसी और कंटेंट का ध्यान रखें। यह आकर्षक, प्रभावशाली और समय आधारित होना चाहिए।
इन सभी प्लेटफ़ॉर्म्स का सही और संतुलित उपयोग करके एफ़िलिएट मार्केटिंग से अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है!
भारत के सर्वश्रेष्ठ एफ़िलिएट मार्केटिंग प्रोग्राम्स
भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग के लिए कई शानदार प्रोग्राम उपलब्ध हैं जो आपको नियमित कमाई करने का मौका देते हैं। यहां कुछ बेहतरीन एफ़िलिएट प्रोग्राम्स की जानकारी दी गई है:
1. अर्न करो (EarnKaro)
अर्न करो, भारत की सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय एफ़िलिएट मार्केटिंग वेबसाइटों में से एक है। यह एक डील-शेयरिंग (सौदा या लेन-देन करना) प्लेटफ़ॉर्म है, जो आपको जल्दी से पैसे कमाने की सुविधा देता है। आप (Flipkart), मिंत्रा (Myntra), नायका (Nykaa), टाटा क्लिक (Tata Cliq) जैसे वेबसाइटों से डील शेयर कर सकते हैं। जब आपके मित्र, रिश्तेदार या नेटवर्क में लोग आपके एफ़िलिएट लिंक के माध्यम से खरीदारी करते हैं, तो आपको कमीशन मिलता है।
- भुगतान सीमा (पेयमेंट थ्रेशोल्ड): ₹10
- भुगतान का तरीका: डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर
2. वी-कमिशन (vCommission)
vCommission एक तेजी से बढ़ता हुआ एफ़िलिएट नेटवर्क है। यह शुरुआती लोगों के लिए एक बेहतरीन प्लेटफ़ॉर्म है क्योंकि यह 18,000 से अधिक एफ़िलिएट्स को शीर्ष व्यवसायों से जोड़ता है। vCommission ने मिंत्रा, अलीएक्सप्रेस, अगोड़ा, स्नैपडील और होमशॉप18 जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स के साथ साझेदारी की है। यह हर महीने आपको भुगतान करता है।
- भुगतान सीमा: ₹1,000
- भुगतान का तरीका: केवल NEFT/RTGS (बैंक ट्रांसफर)
3. आई एन आर डील्स (INRDeals)
आई एन आर डील्स, एक ऑनलाइन परिचित की तरह काम करता है और आपको मोबाइल रिचार्ज, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, जूते और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त छूट प्रदान करता है। यह फ़्लिपकार्ट, मिंत्रा, जबोंग, टाटा क्लिक, पे टी एम, मेक माई ट्रिप आदि के साथ जुड़ा हुआ है। आपको प्रोमो कोड, डिस्काउंट कूपन, डील्स, कैश इंसेंटिव, गिफ़्ट वाउचर्स और प्रमोशनल कोड्स के जरिए अतिरिक्त छूट मिलती है।
भुगतान सीमा: ₹500
भुगतान का तरीका: चेक, बैंक ट्रांसफर या पेटीएम
4. क्यू-लिंक्स (Cuelinks)
क्यू-लिंक्स एक सामग्री मुद्रीकरण (कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन ) नेटवर्क है, जो आपके ब्रांड लिंक को ऑटोमेटिक रूप से एफ़िलिएट लिंक में बदल देता है। साइन अप करने पर आपको कुछ जावास्क्रिप्ट कोड दिए जाते हैं, जिन्हें आप अपने ब्लॉग में पेस्ट कर सकते हैं। जब भी कोई पाठक आपके लिंक पर क्लिक करता है और खरीदारी करता है, तो आपको कमीशन मिलता है। क्यू-लिंक्स एफ़िलिएट मार्केटिंग को आपके लिए आसान बना देता है।
- भुगतान सीमा: ₹500
- भुगतान का तरीका: डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर
इन एफ़िलिएट प्रोग्राम्स का उपयोग करके, आप अपने नेटवर्क और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के जरिए अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
एफ़िलिएट मार्केटिंग संबंधित प्रमुख खतरे और चुनौतियां
एफ़िलिएट मार्केटिंग एक प्रभावी आय का माध्यम हो सकता है, लेकिन इसके साथ कई जोखिम और धोखाधड़ी की संभावनाएँ भी जुड़ी होती हैं। नीचे एफ़िलिएट मार्केटिंग में प्रचलित खतरों और कमज़ोरियों का वर्णन किया गया है:
1. एफ़िलिएट धोखाधड़ी (Affiliate Fraud)
एफ़िलिएट धोखाधड़ी उन सभी अवैध गतिविधियों को संदर्भित करता है, जिनका उद्देश्य व्यापारियों, एफ़िलिएट्स, या ग्राहकों को धोखा देकर लाभ प्राप्त करना होता है।
इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
- ट्रैफ़िक चोरी (Traffic Diverting): इसमें धोखेबाज वैध एफ़िलिएट साइट्स से ट्रैफ़िक को चुराने के लिए “परजीवी साइट्स” (Parasite Sites) का उपयोग करते हैं।
- आवेदन धोखाधड़ी (Application Fraud): यह तब होती है, जब धोखेबाज किसी वित्तीय उत्पाद के लिए फ़र्ज़ी जानकारी देकर आवेदन करते हैं।
- लेन-देन धोखाधड़ी (Transaction Fraud): इसमें चोरी की गई भुगतान जानकारी (जैसे क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते की जानकारी) का उपयोग करके लेन-देन पूरा किया जाता है।
2. शुल्क आधारित नेटवर्क (Pay-to-Play Networks)
कुछ एफ़िलिएट नेटवर्क ऐसे होते हैं, जो अपनी सेवाओं का उपयोग करने के लिए सदस्यता शुल्क मांगते हैं। नए एफ़िलिएट्स यह सोच सकते हैं कि उन्हें कमीशन कमाने के लिए पहले निवेश करना होगा। यह अक्सर एक धोखाधड़ी होती है, क्योंकि वैध एफ़िलिएट प्रोग्राम्स में ऐसे शुल्क नहीं होते।
3. कुकी स्टफ़िंग (Cookie Stuffing)
कुकी स्टफिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें धोखेबाज़ वेब कुकीज़ का उपयोग करते हुए व्यापारियों को यह विश्वास दिलाते हैं कि बिक्री उनके माध्यम से हुई है। कभी-कभी, यह वैध एफ़िलिएट की बिक्री को रद्द करके अपने नियंत्रण में ला सकता है और उनका कमीशन छीन लेता है। कुछ मामलों में, यह बिक्री पूरी तरह से फ़र्ज़ी होती है, क्योंकि ग्राहक वेबसाइट तक अपनी मर्जी से पहुँचते हैं।
4. नकली उत्पाद (Fake Products)
धोखेबाज़ नकली उत्पादों का प्रचार करने के लिए विज्ञापन या वेबपेज बनाते हैं और उन्हें किसी प्रतिष्ठित कंपनी से जोड़ने का प्रयास करते हैं। ग्राहक और एफ़िलिएट्स वैध ब्रांड के नाम और प्रतिष्ठा पर भरोसा कर लेते हैं और धोखे का शिकार हो जाते हैं। यहाँ तक कि बड़ी कंपनियाँ भी इससे अछूती नहीं हैं। उदाहरणस्वरूप, 2021 में अमेज़न ने 30 लाख से अधिक नकली उत्पादों की पहचान की।
5. छद्म धोखेबाज़ (Spoof Traffic)
यह धोखाधड़ी का प्रकार है, जिसमें धोखेबाज झूठे इंप्रेशन्स और क्लिक दिखाते हैं। यह ऐसा आभास देता है कि व्यापारी के लिए वैध ट्रैफिक उत्पन्न हो रहा है। हालांकि, व्यापारी को वित्तीय नुकसान होता है, और धोखेबाज़ इन झूठे क्लिक से कमीशन प्राप्त करते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/29dh8fmd
https://tinyurl.com/39hwr7ac
https://tinyurl.com/2f7y7dfm
https://tinyurl.com/4mx3sdxs
चित्र संदर्भ
1. लैपटॉप पर काम करते दो भारतीय युवाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. नेटवर्क विस्तार को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
3. मिश्रित कॉस्मेटिक उत्पादों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
4. प्रख्यात सोशल मीडिया मंचों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. लैपटॉप और मोबाइल का उपयोग करते लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
पंचांग की 12 संक्रांतियों में से, सबसे शुभ मानी जाती है मकर संक्रांति
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
Thought I - Religion (Myths/ Rituals )
14-01-2025 09:23 AM
Rampur-Hindi
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
वेदों में बताया गया है कि, संक्रांति, सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है। एक वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। मकर संक्रांति को सभी 12 संक्रांतियों में सबसे शुभ माना जाता है और इसे 'पौष संक्रांति' भी कहा जाता है, क्योंकि यह उन कुछ हिंदू त्यौहारों में से एक है जो सौर चक्र के साथ संरेखित होते हैं। मकर संक्रांति का महत्व, केवल इसके धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है। वास्तव में,यह त्यौहार, फ़सल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है जब नई फ़सलों की पूजा की जाती है। यह त्यौहार, मौसम में बदलाव का भी प्रतीक है, क्योंकि इस दिन से, सूर्य देव दक्षिणायन (दक्षिण) से उत्तरायण (उत्तर) गोलार्ध में अपनी गति शुरू करते हैं, जो सर्दियों के आधिकारिक अंत का प्रतीक है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन, भगवान विष्णु ने राक्षसों के सिर काटकर और उन्हें एक पहाड़ के नीचे गाड़ दिया था और इस प्रकार उनके आतंक को हराया था, जो नकारात्मकता के अंत का प्रतीक था। इसलिए, यह दिन साधना, आध्यात्मिक अभ्यास या ध्यान के लिए बहुत अनुकूल है, क्योंकि इस दिन वातावरण को 'चैतन्य', अर्थात 'ब्रह्मांडीय तेज़' से भरा हुआ माना जाता है। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के प्रति एक विशेष पूजा भी अर्पित की जाती है, जो अंधेरे पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। भक्त कृतज्ञता व्यक्त करने और समृद्ध फसल और उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश के साथ, सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, आशीर्वाद मांगने हेतु प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं। मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति का कृषि से संबंध:
मकर संक्रांति का त्यौहार, कृषि से जुड़ा है, क्योंकि यह कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन, भारत में किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है। कृषि का यह त्यौहार, भारतीय संस्कृति में कृषि के महत्व को प्रतिष्ठित करता है। इस शुभ दिन पर, भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग, इसे अलग-अलग नामों से मनाते हैं। इस त्यौहार को तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू, पंजाब में लोहड़ी, उत्तरी राज्यों में माघ बिहू और केरल में मकर विलाक्कू के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार, जिसे अक्सर 'फ़सल कटाई के त्यौहार' के रूप में मनाया जाता है, कृषि की प्रचुरता और भरपूर फ़सल के मौसम का प्रतीक है। हमारे देश के किसान, जो खेतों में लगन से काम करते हैं और फ़सलों के रूप में अपने खेतों में सोना उगाते हैं, मानते हैं कि, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो यह सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक होता है। यह आने वाले गर्म और लंबे दिनों की शुरुआत का भी प्रतीक है। यह खेतों में शीतकालीन फ़सलों के पकने के लिए भी अनुकूल समय होता है। इस त्यौहार से जुड़ी मुख्य फ़सल गन्ना है। इस त्यौहार के दौरान, तैयार किए जाने वाले कई पारंपरिक व्यंजनों में गुड़ का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है जो गन्ने से बनाया जाता है।
इस फ़सल उत्सव को मनाने के लिए, भक्त, पवित्र नदियों, मुख्य रूप से गंगा में डुबकी लगाते हैं और इसके किनारे बैठकर ध्यान करते हैं। माना जाता है कि, इस दिन लगाई गई यह डुबकी आत्मा को शुद्ध करती है और व्यक्ति के पापों को धो डालती है। फ़सल का यह त्यौहार, मौसम की पहली फ़सल की पूजा करके और रेवड़ी तथा पॉपकॉर्न बांटकर मनाया जाता है। इस त्यौहार की सबसे अनोखी बात यह है कि, यह लगभग हर साल, एक ही दिन अर्थात 14 जनवरी को मनाया जाता है। उत्तरायण काल, जो हिंदुओं के लिए, 6 महीने की शुभ अवधि है, की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से तिल, मूंगफली और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं और लोगों के बीच वितरित किए जाते हैं, जो उनके बीच सद्भाव का प्रतीक है। बिहार में इस दिन लोग मुख्य रूप से खिचड़ी बनाते हैं।
पंचांग में 12 संक्रांतियां:
पंचांग (Hindu Calendar) में एक वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं। सभी बारह संक्रांतियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
अयन/अयनी संक्रांति: मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति दो अयनी संक्रांति हैं जिन्हें क्रमशः उत्तरायण संक्रांति और दक्षिणायन संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें पंचांग में शीतकालीन संक्रांति और ग्रीष्म संक्रांति के रूप में भी माना जाता है। जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में जाता है, तो छह महीने की समय अवधि को उत्तरायण कहते हैं और जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में जाता है, तो शेष छह महीने की समय अवधि को दक्षिणायन कहते हैं।
विषुव या संपत संक्रांति: मेष और तुला संक्रांति दो विषुव संक्रांति हैं जिन्हें क्रमशः वसंत संपत और शरद संपत के नाम से भी जाना जाता है। इन दोनों संक्रांतियों के लिए, संक्रांति से पहले और बाद की पंद्रह घटी के क्षणों को कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
विष्णुपदी संक्रांति: सिंह , कुंभ , वृषभ और वृश्चिक संक्रांति, चार विष्णुपदी संक्रांति हैं। इन सभी चार संक्रांतियों के लिए संक्रांति से पहले के सोलह घटी क्षणों को कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
षडशीतिमुखी संक्रांति: मीन , कन्या , मिथुन और धनु संक्रांति, चार षडशीत-मुखी संक्रांति हैं। इन सभी चार संक्रांतियों के लिए, संक्रांति के बाद के सोलह घटी क्षणों को कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/p2b9eck5
https://tinyurl.com/7ye2nv5p
https://tinyurl.com/2scrcrww
https://tinyurl.com/778c4wdj
चित्र संदर्भ
1. प्रयागराज में माघ मेले के दौरान, टीका लगवाते दुकानदार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मकर संक्रांति के उत्सव की झलकियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पोंगल उत्सव पर समुद्र तट पर लगे मेला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मकर संक्रांति के दिन मूर्तियों के प्रदर्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
भारत में, पोल्ट्री उद्योग के व्यापक विस्तार के बावजूद, इसका विकास है ज़रूरी
पंछीयाँ
Birds
13-01-2025 09:24 AM
Rampur-Hindi
भारत के पोल्ट्री क्षेत्र का विस्तारित परिदृश्य-
भारत में पोल्ट्री उद्योग की वृद्धि, खर्च योग्य आय में वृद्धि और भोजन की आदतों में बदलाव के कारण हो रही है। प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, दालों पर बहुत अधिक निर्भर – पारंपरिक आहार से मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों जैसे खाद्य उत्पादों में बदलाव, इस उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण सहायता कर रहा है। स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में बढ़ती जागरूकता, प्रोटीन युक्त आहार की मांग को और बढ़ा रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण (2022-23) के अनुसार, डेयरी, पोल्ट्री मांस, अंडे और मत्स्य पालन वाले पशुधन क्षेत्र में, 2014-15 से 2020-21 के दौरान (स्थिर कीमतों पर) 7.9% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सी ए जी आर) देखी गई, और कुल कृषि जीवीए (स्थिर कीमतों पर) में, इसका योगदान 2014-15 में 24.3% से बढ़कर 2020-21 में 30.1% बढ़ गया है।
पशुपालन और डेयरी विभाग की वार्षिक रिपोर्ट (2022-23) के अनुसार, भारत में पोल्ट्री उत्पादन ने पिछले चार दशकों में, एक सफ़र तय किया है, जो पारंपरिक कृषि पद्धतियों से लेकर अत्याधुनिक तकनीकी हस्तक्षेप के साथ, वाणिज्यिक उत्पादन प्रणालियों तक उभर रहा है।
देश में ब्रॉयलर(Broiler) मांस का उत्पादन, सालाना लगभग 5 मिलियन टन (MT,एम टी) होने का अनुमान है। एक बाज़ार अनुसंधान के अनुसार, भारत का पोल्ट्री बाज़ार, जिसका मूल्य वर्तमान में 28.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, 2024-2032 की अनुमानित अवधि में, 8.1% की सी ए जी आर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है। यह 2032 तक, लगभग 44.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य तक पहुंच जाएगा। 2022-23 के दौरान, भारत ने 64 देशों को पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया, जिससे 134 मिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व देश को प्राप्त हुआ।
आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाना, इस उद्योग के लिए मील का पत्थर था। उन्नत आहार निर्माण, आहार और तापमान नियंत्रण के लिए स्वचालित प्रणाली और अत्याधुनिक रोग प्रबंधन प्रथाओं ने, मुर्गीपालन में क्रांति ला दी। इन नवाचारों ने उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई। 1990 के दशक के बाद से, जब भारत में आर्थिक उदारीकरण और शहरीकरण हुआ, तो आहार पैटर्न में उल्लेखनीय बदलाव आया। शहरी उपभोक्ताओं ने प्रोटीन के सुविधाजनक और आसानी से उपलब्ध स्रोतों की तलाश की। विशेष रूप से चिकन मांस और अंडों जैसे पोल्ट्री उत्पाद, प्रोटीन युक्त भोजन के रूप में किफ़ायती और सुलभ विकल्प के रूप में उभरे हैं।
भारत की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या, पोल्ट्री उत्पादों की मांग का प्रत्यक्ष चालक है। अधिक लोगों को खिलाने के साथ, प्रोटीन (Protein) के किफ़ायती और पौष्टिक स्रोतों की निरंतर आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे आय बढ़ती है और जीवनशैली विकसित होती है, आहार संबंधी आदतें, प्रोटीन की खपत में वृद्धि की ओर स्थानांतरित हो जाती हैं। चिकन, मांस और अंडे को लाल–मांस के स्वास्थ्यवर्धक विकल्प के रूप में माना जाता है, जिससे इसकी मांग बढ़ रही है।
पोल्ट्री उत्पाद, अक्सर अन्य प्रोटीन स्रोतों की तुलना में अधिक किफ़ायती होते हैं, जिससे वे आबादी के व्यापक हिस्से तक पहुंच योग्य हो जाते हैं। पोल्ट्री उत्पादन, मौसमी कारकों से प्रभावित हो सकता है, जिसमें चरम मौसम की स्थिति भी शामिल है। इस उतार-चढ़ाव के कारण, अत्यधिक आपूर्ति और कमी की अवधि हो सकती है।
अंडा उत्पादन-
अंडा उत्पादन के मामले में, भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। पिछले चार दशकों में, भारत ने पोल्ट्री उत्पादन में एक लंबा सफ़र तय किया है, जो एक गैर-वैज्ञानिक कृषि पद्धति से आधुनिक कृषि संबंधी हस्तक्षेपों के साथ, वाणिज्यिक उत्पादन प्रणाली में उभरी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग Publications Division of the Ministry of Information and Broadcasting) द्वारा प्रकाशित भारत 2024: एक संदर्भ वार्षिक (India 2024: A Reference Annual) नमक एक पुस्तक के अनुसार, भारत में अंडा उत्पादन, (2014-15) में 78.438 बिलियन (2014-15) से बढ़कर (2021-22) में 129.60 बिलियन (2021-22) हो गया था । 2014-15 के दौरान, अंडा उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 4.99% थी। इसके बाद 2021-22 में इसके उत्पादन में 5.62% की वृद्धि दर्ज होकर उल्लेखनीय सुधार हुआ। इसी अवधि में अंडे की प्रति व्यक्ति उपलब्धता, 95 अंडे प्रति वर्ष थी।
मांस उत्पादन-
मांस उत्पादन के मामले में भारत विश्व में पांचवें स्थान पर है। देश में मांस उत्पादन 6.7 मिलियन टन (2014-15) से बढ़कर, 9.29 मिलियन टन (2021-22) हो गया। 2021-22 के दौरान, मांस उत्पादन की वार्षिक वृद्धि 5.62% थी। 2021-22 में मांस की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 6.82 (किलो/वर्ष) थी।
अंडा उत्पादन एवं पोल्ट्री मांस उत्पादन के प्रमुख राज्य-
१) अंडे-
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र, देश में शीर्ष अंडा उत्पादक हैं।
आंध्र प्रदेश, भारत में शीर्ष अंडा उत्पादक है, जो हर साल 23 अरब अंडों का उत्पादन करता है। तमिलनाडु दूसरे स्थान पर है, जो सालाना 14 अरब अंडों का उत्पादन करता है। महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है, जहां हर साल 5 अरब अंडों का उत्पादन होता है। पंजाब चौथे स्थान पर है, जहां सालाना 4 अरब अंडों का उत्पादन होता है। केरल पांचवें स्थान पर है, जो हर साल 2 अरब अंडों का उत्पादन करता है।
२)कुक्कुट या पोल्ट्री मांस (Poultry Meat)-
भारत में पोल्ट्री मांस उत्पादन में हरियाणा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश अग्रणी हैं।
भारत में शीर्ष 5 पोल्ट्री मांस उत्पादक राज्य-
हरियाणा, भारत में सबसे बड़ा पोल्ट्री मांस उत्पादक है, जो सालाना, 352,000 मीट्रिक टन मांस का उत्पादन करता है। पश्चिम बंगाल दूसरा सबसे बड़ा पोल्ट्री मांस उत्पादक राज्य है, जो हर साल 328,000 मेट्रिक टन पोल्ट्री मांस का योगदान देता है। 270,000 मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन के साथ, उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। चौथे स्थान पर तमिलनाडु है, जो हर साल 226,000 मीट्रिक टन पोल्ट्री मांस का उत्पादन करता है। जबकि, 144,000 मेट्रिक टन के वार्षिक उत्पादन के साथ महाराष्ट्र पांचवें स्थान पर है।
पोल्ट्री क्षेत्र में चुनौतियां–
वर्तमान में, भारत में पोल्ट्री क्षेत्र निम्नलिखित चुनौतियों का सामना कर रहा है।
1. कम उत्पादकता-
भारत में पोल्ट्री, किसानों द्वारा अपनाई जाने वाली उत्पादन सुविधाएं और पद्धतियां अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं। यहाँ के अधिकांश पोल्ट्री फ़ार्म, खुली इमारतें हैं, जिनमें कोई जलवायु नियंत्रण या संगरोध तंत्र नहीं है। ऐसा ढांचा पक्षियों को विभिन्न जलवायु भिन्नताओं के साथ-साथ संभावित बीमारियों और महामारियों के संपर्क में लाता है।
2. भंडारण, कोल्ड चेन और परिवहन की कमी-
भारत में उत्पादित 60% से अधिक ब्रॉयलर पक्षी (broiler chicken), 6 राज्यों (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब और) में उत्पादित होते हैं। इसी प्रकार, भारत में उत्पादित 60% से अधिक अंडे 6 राज्यों (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना हरियाणा,महाराष्ट्र, पंजाब और तमिलनाडु) में उत्पादित होते हैं। वर्तमान में, पक्षियों का विभिन्न राज्यों के बीच स्थानांतरण किया जाता है है, जिसके कारण, उन्हें अमानवीय और कभी-कभी अस्वच्छ परिस्थितियों में ले जाया जाता है। परिवहन के दौरान, कई पक्षी मारे जाते हैं। शुष्क प्रसंस्करण और कोल्ड चेन सुविधाओं की कमी के कारण, भारत के भीतर अच्छी गुणवत्ता वाले पोल्ट्री उत्पादों का परिवहन करना एक दुःस्वप्न बन गया है।
3. गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति-
भारत में मुर्गी पालन करने वाले किसानों द्वारा, मुख्य आहार के रूप में सोयाबीन और मक्के का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ये केवल न्यूनतम पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं, और उच्च गुणवत्ता वाले, स्वस्थ पक्षियों को पालने में मदद नहीं करते हैं। बाज़ार में गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की कमी है, और गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न के उपयोग के लाभों के बारे में जानकारी का अभाव है। समस्या इस तथ्य से जटिल है कि, प्रोटीन का कोई वैकल्पिक स्रोत भी उपलब्ध नहीं है। इससे पोल्ट्री खाद्यान्न निर्माताओं और आहार अनुपूरक उत्पादकों के लिए, अपार अवसर खुलते हैं।
4. फ़ार्म प्रबंधन के लिए गुणवत्ता मानक-
भारत के कृषि प्रबंधन में सरकार या स्व-विनियमन उद्योग निकायों द्वारा निर्धारित, कोई गुणवत्ता मानक नहीं हैं। निर्यात बाज़ार के लिए, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता बनाए रखने को सुनिश्चित करने के लिए, सख्त गुणवत्ता मानक और नियमित ऑडिट लागू किए हैं। हालांकि, घरेलू बाज़ार में, खेतों, प्रसंस्करण और परिवहन में स्वच्छता बनाए रखने के लिए, व्यापक विनियमन प्राधिकरण का अभाव है। उन खेतों को लाइसेंस, नगर पालिका स्तर पर दिया जाता है जाता है, जिनके पास अक्सर गुणवत्ता मानकों को सख्ती से लागू करने के लिए ज्ञान, विशेषज्ञता और मानव संसाधनों की कमी होती है। अतः यूरोपीय और संयुक्त राज्य अमेरिका के पोल्ट्री उद्योग को प्रशिक्षण, सर्वोत्तम प्रथाओं, कौशल विकास आदि के रूप में, भारतीय पोल्ट्री उद्योग में बहुत योगदान देना है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2hffs48k
https://tinyurl.com/4c22xk8f
https://tinyurl.com/5n86jx7x
India 2024: A Reference Annual
चित्र संदर्भ
1. तमिलनाडु के नमक्कल में एक पोल्ट्री फ़ार्म को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मुर्गी के अंडो को एकत्र करती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. फ़्रांस के रुंगिस इंटरनेशनल मार्केट (Rungis International Market) में रखे पोल्ट्री उत्पादों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक पोल्ट्री फ़ार्म में मुर्गियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
आइए देखें, मकर संक्रांति से जुड़े कुछ चलचित्र
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
Thought I - Religion (Myths/ Rituals )
12-01-2025 09:27 AM
Rampur-Hindi
संदर्भ:
https://tinyurl.com/3at4t6n7https://tinyurl.com/cw334yf8
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https://tinyurl.com/yahxrtrc
क्या है सामान नागरिक संहिता और कैसे ये, लोगों के अधिकारों में लाएगा बदलाव ?
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
Concept II - Identity of Citizen
11-01-2025 09:23 AM
Rampur-Hindi
आज हम समान नागरिक संहिता के बारे में चर्चा करेंगे और इसके भारत में महत्व को समझेंगे। फिर हम समान नागरिक संहिता कानून को लागू करने के फ़ायदे और इसका व्यक्तिगत कानूनों से संबंध जानेंगे। उसके बाद हम विवाह और तलाक पर समान नागरिक संहिता के प्रभाव को संक्षेप में समझेंगे। अंत में, हम इसके ऐतिहासिक परिपेक्ष्य पर एक नज़र डालेंगे और इसके विकास के बारे में बात करेंगे।
समान नागरिक संहिता क्या है?
कानून को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है - अपराध कानून और नागरिक कानून। अपराध कानून वह शाखा है जो अपराधों से संबंधित है, यानी व्यक्ति के ऐसे कार्य या लापरवाही जो जेल या जुर्माने जैसी सज़ा दिलाते हैं। अपराध कानून को राज्य के ख़िलाफ़ माने जाते हैं। दूसरी ओर, नागरिक कानून नागरिक गलतियों से संबंधित है, जिनमें दंड के रूप में कोई आदेश, क्षतिपूर्ति आदि शामिल होते हैं। नागरिक गलतियां आम तौर पर व्यक्तियों या संस्थाओं के ख़िलाफ़ होती हैं।
इसलिए, नागरिक संहिता का मतलब है उन सभी कानूनों का संहिता बनाना जो नागरिक कानून के अंतर्गत आते हैं, जैसे संपत्ति कानून, अनुबंध कानून, पारिवारिक कानून, कॉर्पोरेट कानून आदि। एक समान नागरिक संहिता (यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (UCC)) का मतलब होगा एक ऐसा नागरिक संहिता जो सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू हो। भारत में, पारिवारिक कानून और संपत्ति कानून के कुछ तत्वों को छोड़कर, बाकी नागरिक कानून सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं (सिवाय इसके कि नागरिक और व्यक्ति के बीच फ़र्क़ किया गया हो)।
राजनीतिक दृष्टिकोण से, समान नागरिक संहिता का मतलब अब पारिवारिक कानून के विषयों - विवाह और तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने, भरण पोषण, आदि पर समान कानूनों से है, जो धर्म और जाति से परे हों। इस अर्थ में, भारत में समान नागरिक संहिता क़ानून पहले से मौजूद है (हालांकि इसे एक साथ संहिता के रूप में नहीं लिया गया) जैसे कि विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (जो विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के उत्तराधिकार को सुरक्षा देता है)। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह करना स्वैच्छिक है और इसलिए अधिकांश लोग इसे समान नागरिक संहिता नहीं मानते, हालांकि यह इसके तहत आता है।
भारत में समान नागरिक संहिता और व्यक्तिगत कानूनों के लाभ
1. सभी के लिए समानता और न्याय
समान नागरिक संहिता के पक्ष में सबसे प्रमुख तर्क भारतीय संविधान में निहित समानता और न्याय के सिद्धांतों से जुड़ा है। संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत राज्य को अपने नागरिकों के लिए इसे लागू करने की दिशा में काम करने का निर्देश दिया गया है। एक समान कानून यह सुनिश्चित करता है कि धर्म, जाति या लिंग के बावजूद सभी को एक जैसा व्यवहार मिले, जिससे एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना होगी।
2. महिलाओं के अधिकार और सशक्तिकरण
इस संहिता को लागू करने का एक मज़बूत कारण महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और उन्नति है। व्यक्तिगत कानूनों, खासकर विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में, अक्सर महिलाओं को नुक़सान होता है, जिससे उन्हें भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है। एक समान कानूनी व्यवस्था महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्रदान करेगी, जिससे उन्हें गरिमा और स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने का मौका मिलेगा।
3. कानूनी ढांचे का सामंजस्य
धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों का अस्तित्व एक भ्रम और जटिलता पैदा करता है। एक समान विधिक ढांचा कानूनी परिदृश्य को सामंजस्यपूर्ण बनाएगा, प्रक्रियाओं को सरल करेगा और कानूनी स्पष्टता को बढ़ावा देगा। इससे न केवल न्यायिक प्रक्रिया सुगम होगी, बल्कि सभी नागरिकों के लिए न्याय तक पहुंच भी आसान होगी, चाहे उनका पृष्ठभूमि कोई भी हो।
4. राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा
भारत की विविधता में एकता उसकी सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन यह राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में भी चुनौतियां पेश करती है। धर्म और जाति पर आधारित विखंडित कानूनी प्रणालियाँ सामाजिक विभाजन को गहरा सकती हैं। एक समान नागरिक अधिकार प्रणाली इन विभाजनों को पार करेगी, नागरिकों में समान पहचान और एकता का एहसास कराएगी, चाहे उनका सांस्कृतिक या धार्मिक जुड़ाव कुछ भी हो।
5. आधुनिकीकरण और प्रगति
आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में, जहां सामाजिक मान्यताएँ और मूल्य तेज़ी से बदल रहे हैं, पुराने व्यक्तिगत कानून प्रगति के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं। यह कानूनी ढांचा, समकालीन सामाजिक मानकों और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा, जिससे कानूनों को एक आधुनिक और प्रगतिशील राष्ट्र की भावना के साथ मेल खाएगा। यह सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देगा और एक समावेशी और समान समाज की दिशा में कदम बढ़ाएगा।
समान नागरिक संहिता और विवाह एवं तलाक
विवाह, तलाक, भरण-पोषण, अभिरक्षण, गोद लेने, उत्तराधिकार और वंशजता ये सभी “नागरिक संहिता” की परिभाषा के तहत आते हैं। वर्तमान में, भारतीय कानून के तहत इन सभी मुद्दों को धार्मिक परंपराओं या प्रत्येक धर्म से संबंधित संहिताओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
इसका मतलब है कि यदि भारत सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाती है, तो कई प्रकार की विधियों और प्रावधानों पर विचार करना होगा। इसके अलावा, राज्य-विशेष समुदायों, जातियों और जनजातियों की प्रथाओं को भी ध्यान में रखना होगा।
यह आयकर कानून, बाल संरक्षण कानून और अन्य कई विधियों पर भी प्रभाव डाल सकता है। यूरोपीय कानून की तरह, नागरिक कानून में लिंग और धर्म-निरपेक्ष प्रावधानों को लागू करने की कई मांगें की गई हैं।
विवाह और तलाक
2018 में, समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट में, 21वीं विधि आयोग ने यह उल्लेख किया था कि “विवाह और तलाक ने पारिवारिक कानून के सभी मुद्दों में से सार्वजनिक बहस में असंतुलित हिस्सा लिया है।” यह मुद्दा, समान नागरिक संहिता पर राजनीतिक बहस का मुख्य विषय है, जिसे “लिंग न्याय” और तलाक में महिलाओं के अधिकारों के संदर्भ में चर्चा की जाती है।
हालांकि, विभिन्न संहिताबद्ध कानूनों को देखें तो यह स्पष्ट होता है कि “विवाह” को परिभाषित करने, संपन्न करने, पंजीकरण करने और इसे समाप्त करने के तरीके में कुछ समानताएँ और अंतर हैं।
समान नागरिक संहिता का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत में समान नागरिक संहिता (UCC) का विचार, भारतीय संविधान के अस्तित्व में आने से पहले से ही जटिल रहा है। यह मुद्दा, भारत में कई सदियों से गहन बहस और चर्चा का विषय रहा है। भारत की विविधता, अन्य कई बातों के साथ-साथ, इसकी भाषा और धर्म आधारित संस्कृति में निहित है। भारत, एक विविधतापूर्ण देश है, जिसके कारण यहाँ पर, वर्तमान में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए, अलग-अलग पारिवारिक कानून (व्यक्तिगत कानून) मौजूद हैं। ये पारिवारिक कानून, जो मुख्य रूप से प्राचीन धार्मिक रीति- रिवाजों और प्रथाओं पर आधारित हैं, लिंग आधारित भेदभाव के आरोपों का सामना करते हैं।
समान नागरिक संहिता का विचार, संविधान में व्यक्त किया गया था, ताकि सभी नागरिकों के लिए एक सामान्य कानून हो जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करे, चाहे उनकी धार्मिक पहचान कुछ भी हो। हालांकि, यह संविधान के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करता है, और इसी कारण समान नागरिक संहिता को लागू करना एक चुनौती बन गया है, जिसे कोई भी सरकार पार नहीं कर सकी है।
जब ब्रिटिश शासन ने भारत में कानूनों को संहिताबद्ध करना शुरू किया, तो उन्होंने मुख्य रूप से, अपराध और शासन से संबंधित कानूनों को संहिताबद्ध किया। हालांकि, वे धर्म, रीति- रिवाजों और सांस्कृतिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करने में रुचि नहीं रखते थे। उन्होंने, इन क्षेत्रों में केवल तभी हस्तक्षेप किया जब संबंधित धर्मों के नेताओं से पहल और दबाव आया। उदाहरण के लिए, सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह आदि को कानून में शामिल किया गया, जब हिंदू समाज के नेताओं से इसके लिए पहल और दबाव आया।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5cp8f2x3
https://tinyurl.com/bd4bu4rj
https://tinyurl.com/ynnhccrn
https://tinyurl.com/4mz2tzuu
चित्र संदर्भ
1. कानून के हथौड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
2. न्याय के तराज़ू को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. भारत के नए संसद भवन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. साथ में हिंदू और मुस्लिम महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
आइए जानें, दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले देशों और उनकी सांस्कृतिक विविधताओं के बारे में
ध्वनि 2- भाषायें
Sound II - Languages
10-01-2025 09:29 AM
Rampur-Hindi
तो, आज इस विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर, आइए जानते हैं, विस्तार से कि हिंदी कैसे भारत के बाहर फैली। इस संदर्भ में, हम जानेंगे कि कैसे लोगों का प्रवास, बॉलीवुड फ़िल्में और आयुर्वेदिक प्रथाओं ने हिंदी के वैश्विक प्रसार में योगदान दिया। इसके बाद, हम उन देशों के बारे में जानेंगे, जहां हिंदी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है।
उदाहरण के लिए, मॉरीशस (Mauritius) में 6,85,000 लोग हिंदी बोलते हैं, जबकि अमेरिका में यह संख्या करीब 6,50,000 है। इसके अलावा, फ़िजी की 38% आबादी भी हिंदी बोलती है। हम दक्षिण अफ्रीका, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या पर भी नज़र डालेंगे। फिर, हम यह जानेंगे कि हिंदी सीखने में विदेशी लोगों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अंत में…
कैसे हिंदी दुनिया भर में फैली?
प्रवासन पैटर्न और बॉलीवुड फिल्मों जैसे विभिन्न कारकों के कारण हिंदी का विश्व स्तर पर प्रसार जारी है। भारतीय प्रवासियों की एक बड़ी आबादी दुनिया भर में विशेषकर कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों में पाई जा सकती है, जो अपनी संस्कृति और भाषा को अपने साथ लाती है।
इसके अलावा, पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक अवधारणाओं के अनूठे मिश्रण के कारण बॉलीवुड फ़िल्मों ने पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में काफ़ी लोकप्रियता हासिल की है। इन फ़िल्मों को अक्सर स्थानीय भाषाओं में उपशीर्षक या डब संस्करणों के साथ विश्व स्तर पर रिलीज़ किया जाता है, जिससे वे गैर-हिंदी भाषी दर्शकों के लिए सुलभ हो जाती हैं। इसने लोगों को न केवल हिंदी भाषा बल्कि भारतीय संस्कृति से भी परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
योग और आयुर्वेद पद्धतियों की लोकप्रियता ने भी हिंदी की वैश्विक पहुंच के विकास में योगदान दिया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, कई लोग इन प्राचीन प्रथाओं को सीख रहे हैं जो भारत से उत्पन्न हुई हैं और इसलिए हिंदी भाषा से परिचित हैं।
विदेशी देश, जहाँ हिंदी एक लोकप्रिय भाषा है
1.) फ़िजी: फ़िजी में हिंदी बोलने वालों की संख्या काफ़ी अधिक है और इसे यहाँ एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। फ़िजी की लगभग 38% आबादी भारतीय मूल की है। हिंदी के अलावा, देश की अन्य दो आधिकारिक भाषाएँ इताउकेई (iTaukei) और अंग्रेज़ी हैं। फ़िजी हिंदी का अस्तित्व तब हुआ जब भारतीय ब्रिटिश काल के अनुबंध श्रमिकों के रूप में इस देश में आए।
2.) मॉरीशस: हिंद महासागर में स्थित, मॉरीशस एक खूबसूरत द्वीप देश है जो अपने आश्चर्यजनक समुद्र तटों, चट्टानों और लैगून के लिए जाना जाता है। देश में लगभग दो-तिहाई आबादी भारतीय मूल की है और यहां 6,85,000 लोग हिंदी बोलते हैं। मॉरीशस में भारतीय त्यौहार भी मनाये जाते हैं। भारतीय बस्ती का पता उनके डच शासन काल से लगाया जा सकता है जब दासों को दक्षिण भारत और बंगाल से लाया जाता था।
3.) नेपाल: भारत के पड़ोसी देशों में से एक, नेपाल लगभग आठ मिलियन लोगों का घर है जो हिंदी बोल सकते हैं।
हालांकि आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त भाषा नहीं है, फिर भी नेपाल में एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है। अधिकांश लोग भारतीय टीवी चैनल और बॉलीवुड फ़िल्में देखना भी पसंद करते हैं। 2016 में नेपाल के सांसदों ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग उठाई थी।
4.) संयुक्त राज्य अमेरिका: आश्चर्यजनक रूप से, संयुक्त राज्य अमेरिका में, भारत के बाहर हिंदी बोलने वालों का तीसरा सबसे बड़ा समूह है। यहाँ लगभग 6,50,000 लोग हिंदी बोलते हैं, जिससे यह 11वीं सबसे लोकप्रिय विदेशी भाषा बन गई है। अधिकांश हिंदी बोलने वाले लोग भारत से आप्रवासी हैं और जबकि वे मुख्य रूप से घर पर हिंदी का उपयोग करते हैं, उनके बच्चे आमतौर पर देश में अंग्रेज़ी को प्राथमिकता देते हैं।
5.) सिंगापुर: सिंगापुर, जो एक वैश्विक पर्यटन केंद्र है, में एक बड़ा भारतीय समुदाय है जहाँ हिंदी सामान्य रूप से बोली जाती है। कई भारतीय सिंगापुर में प्रवासित हुए हैं, और कुछ परिवारों ने वहाँ पीढ़ियों से निवास किया है। यहाँ हिंदी को व्यापक रूप से समझा जाता है, जिससे हिंदी बोलने वाले पर्यटकों के लिए विशेष रूप से आतिथ्य सेवाओं में संवाद करना आसान होता है। विश्व डेटा के अनुसार, यहाँ की 1.2 प्रतिशत जनसंख्या, हिंदी बोलती है।
6.) यूनाइटेड किंगडम: यूनाइटेड किंगडम में एक बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है, और हिंदी भी भारतीय मूल के समुदायों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हालांकि अंग्रेज़ी, मुख्य भाषा है, कई हिंदी बोलने वाले परिवार अपनी भाषाई धरोहर को बनाए रखते हैं। रिकॉर्ड्स के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम की लगभग 1.53 प्रतिशत जनसंख्या हिंदी बोलती है।
वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषी जनसंख्या का विवरण:
पद | देश | हिन्दी भाषियों की जनसंख्या |
---|---|---|
1 | भारत | 422,048,642 |
2 | नेपाल | 8,000,000 |
3 | संयुक्त राज्य अमेरिका | 649,000 |
4 | मॉरीशस | 450,170 |
5 | फ़िजी | 380,000 |
6 | साउथ अफ़्रीका | 250,267 |
7 | सूरीनाम | 150,000 |
8 | युगांडा | 100,000 |
9 | संयुक्त राष्ट्र | 45,800 |
10 | न्यूजीलैंड | 20,000 |
11 | जर्मनी | 25,000 |
हिंदी सीखना, खासकर एक मूल अंग्रेजी बोलने वाले के लिए, अन्य भाषाओं के मुक़ाबले ज़्यादा कठिन हो सकता है। उच्चारण में भारी अंतर होता है, जहां शब्द समान लग सकते हैं लेकिन उनमें सूक्ष्म अंतर होते हैं। भाषा की लय और स्वर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, वाक्य रचनाएँ – जैसे विषय, क्रिया, अव्यय और संज्ञा की स्थिति – अंग्रेजी से काफ़ी भिन्न होती हैं।
पढ़ाई और लेखन की बात करें तो, देवनागरी लिपि के अक्षर, विदेशी और अजीब लगते हैं। एक मूल स्पैनिश भाषी को अंग्रेज़ी सीखने में यह समस्या नहीं होती। इसी कारण कई भाषा विशेषज्ञ हिंदी को दुनिया की सबसे कठिन भाषाओं में से एक मानते हैं। लेकिन कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ, इसमें सफलता मिलने पर बड़े पुरस्कार मिलते हैं।
हिंदी सीखने के बेहतरीन कारण
जहाँ हिंदी सीखने में कुछ चुनौतियाँ होती हैं, वहीं इस भाषा को सीखने के कई शानदार फ़ायदे भी हैं, जो आपको नई भाषा सीखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सबसे पहले, भारत, दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है, जहाँ हिंदी बोलने वालों की संख्या आधे अरब से ज़्यादा है। इस प्रकार, हिंदी दुनिया की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह दुनिया की एक बड़ी अर्थव्यवस्था की भाषा है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक पेशेवरों, दुनियाभर के यात्री, प्रवासी, विदेशी फ़िल्म /संगीत के शौक़ीन और अन्य लोगों को एक प्रेरणा मिलती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4r22nv78
https://tinyurl.com/8ncyyffm
https://tinyurl.com/yenetvay
https://tinyurl.com/3uthy26a
https://tinyurl.com/2s329dym
चित्र संदर्भ
1. वैश्विक हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत के मानचित्र पर हिंदी भाषा बोलने वाले छेत्रों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. हिंदी साहित्य की पुस्तकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हिंदी कार्यशाला एवं संगोष्ठी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
आइए नज़र डालें, क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार से संबंधित कुछ जोखिमों पर
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
Concept I - Measurement Tools (Paper/Watch)
09-01-2025 10:23 AM
Rampur-Hindi
वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज 'कुकोइन' (KuCoin) के अनुसार, 2022 में भारत में लगभग, 115 मिलियन क्रिप्टो निवेशक थे, जो 18-60 आयु वर्ग की 15% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें सबसे ज़्यादा निवेशक, दिल्ली (8.8%) से थे, जबकि इसके बाद, मुंबई और हैदराबाद से सबसे अधिक निवेशक थे। तीनों शहरों में निवेशकों द्वारा संयुक्त रूप से भारत में कुल क्रिप्टो निवेश में 20% निवेश किया गया। निस्संदेह, हमारे अपने शहर रामपुर से भी कई लोगों ने इस आंकड़े में योगदान दिया होगा। भारत में सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक, 'वज़ीर एक्स' (WazirX) के अनुसार, वज़ीरएक्स के 66% उपयोगकर्ता, 35 वर्ष से कम उम्र के हैं, और 2021 में उनके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके निवेश करने वाली महिला उपयोगकर्ताओं में 1000% से अधिक की वृद्धि देखी गई। तो आइए, आज, भारत में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की वर्तमान स्थिति पर नज़र डालते हैं। यहां, हम जानेंगे कि अधिकांश भारतीय, किन क्रिप्टो मुद्राओं में व्यापार करते हैं, किन राज्यों में क्रिप्टो निवेशकों की संख्या सबसे अधिक है और कितने लोग, क्रिप्टोकरेंसी घोटालों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम क्रिप्टो ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों के बारे में जानेंगे और भारत में क्रिप्टोकरेंसी को नकदी में बदलने के कुछ तरीकों के बारे में समझेंगे। अंत में, हम मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की कुछ सबसे बड़ी क्रिप्टो मुद्राओं के बारे में जानेंगे।
कितने भारतीयों के पास क्रिप्टोकरेंसी है या वे क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करते हैं:
एक वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली देश की लगभग 20% आबादी के पास वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी है, जिसमें बिटकॉइन और एथेरियम शीर्ष पर हैं। इसके साथ ही वेब 3 (Web3) एंटरप्राइज़ कंसेंसिस और यू गॉव (YouGov) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि लगभग सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 57% भारतीय अगले 12 महीनों में क्रिप्टो में निवेश करने की योजना बना रहे हैं।
भारत के उत्तर, मध्य, पूर्वी और उत्तरपूर्वी राज्यों में क्रिप्टोकरेंसी के लिए सबसे अधिक रुझान लगभग 94% देखा गया। भारत में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को बढ़ावा देने वाले तीन प्रमुख कारणों में जिज्ञासा, दीर्घकालिक रिटर्न और पोर्टफ़ोलियो का विविधीकरण शामिल है। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 56% भारतीयों ने माना कि वे भली भांति जानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी क्या है और उसमें किस प्रकार ट्रेडिंग की जाती है। जबकि 44% भारतीयों ने यह भी स्वीकार किया कि वे घोटालों के डर से और 48% भारतीय बाज़ार की अस्थिरता की कारण क्रिप्टो में नियमित रूप से ट्रेडिंग अथवा निवेश नहीं करते हैं। हालाँकि, जब उनसे पूछा गया कि उनके लिए क्रिप्टो में निवेश का प्रमुख कारण क्या है, तो एक तिहाई (37%) से अधिक ने इसे 'भविष्य के लिए निवेश' के रूप में देखा।
क्रिप्टो ट्रेडिंग के 5 प्रमुख जोखिम और उन्हें कम करने के तरीके:
हाल के वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी एक वैकल्पिक निवेश के रूप में उभरी है। हालाँकि, क्रिप्टो बाज़ार अत्यधिक अस्थिर हैं, जिसका अर्थ है कि इसमें निवेश से जहां एक ओर वित्तीय लाभ की संभावना है, वहीं नुकसान का भी खतरा है।
अस्थिरता: क्रिप्टो ट्रेडिंग से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण जोखिम. बाज़ार की अस्थिरता है। क्रिप्टो मुद्राओं की कीमतों में कम समय में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है। जनवरी 2019 से दिसंबर 2021 तक तीन साल की अवधि के दौरान, 9 दिन ऐसे थे जब क्रिप्टो बाज़ार का कुल मूल्य एक दिन में 20% या उससे अधिक गिर गया। वास्तव में, क्रिप्टो में सबसे बड़ी गिरावट तब होती है जब में जोखिम की आशंका बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, जब दुनिया भर में कोविड महामारी फैली, तो अस्थिरता के चलते 12 मार्च, 2020 को स्पॉट क्रिप्टो का कुल मूल्य 43% गिर गया। हालाँकि, अस्थिरता दोनों तरह से काम करती है। कोविड प्रतिबंध लागू होने के कुछ ही समय बाद, अगले 14 महीनों में क्रिप्टो में 1600% से अधिक की वृद्धि देखी गई। उस प्रवृत्ति के दौरान 7 दिन ऐसे थे जब क्रिप्टो का मूल्य एक ही दिन में 10% या उससे अधिक बढ़ा। यद्यपि बाज़ार की अस्थिरता पर तो नियंत्रण नहीं रखा जा सकता लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर अपने जोखिम को कम करने के लिए व्यापारी स्टॉप लॉस का उपयोग कर सकते हैं; हालाँकि, स्टॉप लॉस निर्धारित करते समय क्रिप्टो मूल्य में उच्च अस्थिरता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
लिक्विडिटी: लिक्विडिटी, क्रिप्टो ट्रेडिंग का एक कम ज्ञात लेकिन गुप्त जोखिम है। लिक्विडिटी, बाज़ार की कीमत में बदलाव किए बिना, अपने निवेश में प्रवेश करने और बाहर निकलने की क्षमता है। निवेश करने के लिए एक क्रिप्टोकरेंसी के यदि आपके खरीद आकार से मेल खाने के लिए बहुत सारे विक्रेता नहीं हैं, तो अधिक विक्रेताओं को आकर्षित करने के लिए बाज़ार मूल्य को अधिक बढ़ाना होगा। दूसरी ओर, यदि आपके पास बड़ी मात्रा में कोई क्रिप्टो मुद्रा है जिससे आप बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं, तो आपकी स्थिति को भरने के लिए पर्याप्त लिक्विडिटी की आवश्यकता होगी; अन्यथा, क्रिप्टोकरेंसी की कीमत कम हो जाएगी। बिटकॉइन या ईथर जैसी बड़ी और अधिक लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी के लिए लिक्विडिटी आम तौर पर अधिक होती है। परिणामस्वरूप, लार्ज-कैप क्रिप्टो पर बड़े ट्रेडों को खोलना और बंद करना आसान है। दूसरी ओर, छोटे-पूंजी वाले क्रिप्टो और ऑल्टकॉइन की लिक्विडिटी कम होती है, जिसके कारण बड़ी मात्रा में लेनदेन करने पर कीमतों में तेज़ी से बदलाव आता है। संभावित लिक्विडिटी बाधाओं से बचने का एक लोकप्रिय तरीका बड़े लेनदेन को छोटे आकार के कई लेनदेन में विभाजित करना है। ये छोटे-छोटे लेनदेन कुछ समय के अंतराल पर किए जाने चाहिए। इससे बड़ी मात्रा में लेनदेन होने पर बड़ी मात्रा में बदलाव नहीं आता।
घोटाले और धोखाधड़ी: क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार, काफ़ी हद तक अनियमित है। इसमें साइबर अपराध का शिकार होने के बाद, आप किसी सरकार या प्राधिकरण की ओर रुख नहीं कर सकते। कई बार, आप एक क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं लेकिन ऐसी कोई वास्तविक क्रिप्टो नहीं होती है, और घोटालेबाज़ उसे समय के बाद इसको बंद कर देते हैं और आपकी क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य शून्य हो जाता है। या, कभी-कभी हैकर्स आपके डिजिटल वॉलेट से या यहां तक कि उस एक्सचेंज से, जहां आपकी डिजिटल संपत्ति है, आपकी क्रिप्टोकरेंसी चुराने की कोशिश कर सकते हैं।
नवंबर 2022 में, एफ़ टी एक्स (FTX) सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक था, जिसकी कीमत अरबों डॉलर थी। जब एफ़ टी एक्स ग्राहक निधियों के संभावित कुप्रबंधन के बारे में जानकारी के बारे में पता चला, तो लोगों ने अपना धन वापस निकालना शुरू कर दिया जिससे एफ़ टी एक्स में तेज़ी से गिरावट आई। कुछ ही घंटों के भीतर, FTX ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया, और लाखों ग्राहक फंस गए और अपना पैसा खो दिया क्योंकि वे अपने खाते की पूंजी वापस पाने में असमर्थ थे।
एक समस्या से निपटने का एकमात्र तरीका यह है कि किसी भी क्रिप्टो में निवेश करने से पहले निवेशकों को क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्मों और संस्थानों पर शोध करना चाहिए जहां वे खाते खोल रहे हैं। क्या वे विनियमित हैं, और अन्य ग्राहक उनका उपयोग करने के अपने अनुभव के बारे में क्या कह रहे हैं?
विनियामक जोखिम: क्रिप्टो बाज़ार में कानून और नियम भी तेज़ी से बदलते हैं। चूंकि डिजिटल संपत्ति और क्रिप्टोकरेंसी एक अपेक्षाकृत नया उद्योग है, इसलिए यह निर्धारित करने के लिए कोई नियामक बुनियादी ढांचा नहीं है कि क्रिप्टो संपत्ति को कौन विनियमित करेगा। विभिन्न देशों में, सरकारों द्वारा अलग-अलग तरीकों से क्रिप्टो को विनियमित करने का निर्णय लिया जा सकता है। परिणामस्वरूप, भविष्य का विनियमन क्रिप्टो संपत्ति के मूल्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, जिससे एक क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में गिरावट आ सकती है। उदाहरण के तौर पर, चीन ने अपने नागरिकों के लिए क्रिप्टो लेनदेन और खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीनी अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से प्रतिबंध के कई कारणों का उल्लेख किया है, जिनमें उपभोक्ता संरक्षण, पूंजी हानि, युआन अवमूल्यन और पर्यावरण संबंधी चिंताएं शामिल हैं। दूसरी ओर, अल साल्वाडोर जैसे देश हैं जिन्होंने सरकारी या निज़ी सेवाओं के लिए भुगतान के साधन के रूप में बिटकॉइन को अपनाया है। विनियमन की कमी से घोटाले और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
प्लेटफ़ॉर्म का चुनाव: अधिक जानकारी एवं नियम न होने के कारण, कभी-कभी निवेशकों द्वारा गलत एवं असुरक्षित प्लेटफॉर्म चुन लिए जाते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। सुरक्षित रूप से क्रिप्टो व्यापार करने के लिए, निवेशकों को एक प्रतिष्ठित क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना चाहिए जो सुरक्षा, लिक्विडिटी और सुरक्षित निवेश को प्राथमिकता देता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को नकदी में बदलने के तरीके:
केंद्रीकृत एक्सचेंज: किसी क्रिप्टोकरेंसी को नकदी में बदलने के लिए, केंद्रीकृत एक्सचेंज सबसे आम तरीकों में से एक है। कॉइनबेस (Coinbase), बाइनेंस (Binance) और मड्रेक्स (Mudrex) जैसे प्लेटफ़ॉर्म, उपयोगकर्ताओं को अपनी डिजिटल संपत्ति आसानी से बेचने की अनुमति देते हैं। एक्सचेंज का उपयोग करने के लिए:
- उपयोगकर्ताओं को पहले एक्सचेंज पर पंजीकरण करना होता है और सभी आवश्यक सत्यापन प्रक्रियाओं को पूरा करना होता है।
- खाता स्थापित करने के बाद, उपयोगकर्ता, अपने बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरेंसी को एक्सचेंज वॉलेट में जमा करते हैं।
- उपयोगकर्ता, तब किसी विशिष्ट मूल्य पर विक्रय ऑर्डर दे सकते हैं या मौजूदा बाज़ार मूल्य पर बेचने के लिए, बाज़ार ऑर्डर का विकल्प चुन सकते हैं।
- एक बार बिक्री हो जाने पर, उपयोगकर्ता, अपने लिंक किए गए बैंक खाते से नकदी निकाल सकते हैं।
पीयर-टू-पीयर (Peer-to-Peer (P2P)) प्लेटफॉर्म: लोकलबिटकॉइंस (LocalBitcoins) और पैक्सफ़ुल (Paxful) जैसे पी 2 पी प्लेटफ़ॉर्म, खरीदारों और विक्रेताओं को सीधे जोड़ते हैं। ये सेवाएँ उपयोगकर्ताओं को बैंक हस्तांतरण, पेपल या यहां तक कि व्यक्तिगत नकद लेनदेन सहित विभिन्न भुगतान विधियों के माध्यम से नकदी के लिए क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करने की अनुमति देती हैं। उपयोगकर्ता, कीमत और भुगतान विधियों पर बातचीत कर सकते हैं, जिसमें बैंक हस्तांतरण, नकद भुगतान या अन्य तरीके शामिल हो सकते हैं। एक बार समझौता हो जाने पर, उपयोगकर्ता लेनदेन पूरा करते हैं। पीयर-टू-पीयर एक्सचेंज और केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज, क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग के लिए दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। पी 2 पी एक्सचेंज मध्यस्थों के बिना उपयोगकर्ताओं के बीच सीधे लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं। वे आम तौर पर अधिक गोपनीयता, वैश्विक पहुंच और अक्सर कम शुल्क के साथ सेवा उपलब्ध कराते हैं। उपयोगकर्ताओं का अपने फ़ंड पर अधिक नियंत्रण होता है और वे ट्रेडिंग भागीदारों के साथ सीधे शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं। हालाँकि, पी 2 पी प्लेटफ़ॉर्म में लिक्विडिटी कम होती है और लेनदेन का समय भी अधिक हो सकता है और उपयोगकर्ताओं को घोटालों से बचने के लिए अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। वहीं दूसरी ओर, केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज खरीदारों और विक्रेताओं के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं। वे आम तौर पर उच्च लिक्विडिटी, तेज़ लेनदेन और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस प्रदान करते हैं। ये एक्सचेंज अक्सर उन्नत ट्रेडिंग टूल, मुद्रा समर्थन और ग्राहक सेवा जैसी अतिरिक्त सुविधाएँ प्रदान करते हैं। हालाँकि, इनका शुल्क अधिक हो सकता है। उपयोगकर्ताओं को आम तौर पर पहचान सत्यापन प्रक्रियाओं को पूरा करने की भी आवश्यकता होती है, जिससे गोपनीयता से समझौता हो सकता है।
क्रिप्टो ए टी एम: क्रिप्टो ए टी एम (Crypto ATM), क्रिप्टो मुद्राओं को नकदी में बदलने के लिए एक भौतिक विकल्प प्रदान करते हैं। ये मशीनें, उपयोगकर्ताओं को ये मुद्राएं खरीदने या बेचने की अनुमति देती हैं। क्रिप्टो ए टी एम आमतौर पर ऑनलाइन तरीकों की तुलना में अधिक शुल्क लेते हैं।
इन चरणों का पालन करके क्रिप्टो एटीएम का उपयोग करके किया जा सकता है:
- चूंकि क्रिप्टो ए टी एम बेहद कम होते हैं, इसलिए उपयोगकर्ता ऑनलाइन मानचित्र या समर्पित ऐप्स का उपयोग करके आस-पास के ए टी एम ढूंढ सकते हैं।
- बिक्री शुरू करने के लिए ऑन-स्क्रीन निर्देशों का पालन करें।
- दिए गए पते पर अपनी क्रिप्टोकरेंसी भेजें।
- मशीन से अपना कैश एकत्र करें।
मार्केट कैप के हिसाब से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी:
1. बिटकॉइन (BTC):
- कीमत: $102,353.40
- मार्केट कैप: $2.01 ट्रिलियन
बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी युग का अग्रदूत माना जाता है और आज भी, बिटकॉइन वह सिक्का है जिसका संदर्भ, लोग आम तौर पर डिजिटल मुद्रा के बारे में बात करते समय देते हैं। 2009 में शुरुआत के बाद से ही बिटकॉइन ने उतार-चढ़ाव की लंबी राह देखी है। हालांकि आज, बिटकॉइन अपने उच्चतम मूल्य पर है।
2. इथीरियम (ETH):
- कीमत: $3,883.79
- मार्केट कैप: $469.22 बिलियन
इथीरियम, एक एक विश्व प्रख्यात क्रिप्टो मुद्रा है। कई कार्यों के लिए आप इथीरियम का उपयोग सकते हैं।
3. टेथर (USDT):
- कीमत: $1.00
- मार्केट कैप: $135.78 बिलियन
टेथर की कीमत, 1 डॉलर प्रति सिक्का तय की गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे स्थिर मुद्रा कहा जाता है। स्थिर सिक्के, एक विशिष्ट परिसंपत्ति के मूल्य से जुड़े होते हैं। जब व्यापारी एक क्रिप्टोकरेंसी से दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में जाते हैं तो अक्सर एक माध्यम के रूप में टेथर का उपयोग करते हैं।
4. एक्स आर पी (XRP):
- कीमत: $2.36
- मार्केट कैप: $134.62 बिलियन
इसे पहले रिपल के नाम से जाना जाता था और इसकी शुरुआत, 2012 में हुई थी। एक्स आर पी कई अलग-अलग भौतिक मुद्राओं में भुगतान करने का एक तरीका प्रदान करता है।
5. सोलाना (SOL):
- कीमत: $237.26
- मार्केट कैप: $112.89 बिलियन
मार्च 2020 में शुरू हुई, सोलाना, एक नई क्रिप्टोकरेंसी है। एक बार में अधिकतम एस ओ एल जारी करने की सीमा, 480 मिलियन सिक्के है।
6. बी एन बी (BNB)
- कीमत: $722.35
- मार्केट कैप: $104.10 बिलियन
बीएनबी, बाइनेंस द्वारा जारी की गई क्रिप्टोकरेंसी है, जो दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक है। जबकि, इसे मूल रूप से ट्रेडों के भुगतान के लिए टोकन के रूप में बनाया गया था, बाइनेंस कॉइन का उपयोग, अब भुगतान के साथ-साथ विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए भी किया जा सकता है।
7. कार्डानो (ADA):
- कीमत: $1.21
- मार्केट कैप: $42.29 बिलियन
कार्डानो, एक क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफ़ॉर्म है, जिसकी मुद्रा का नाम ए डी ए है। इसकी शुरुआत, इथीरियम के सह-संस्थापक द्वारा की गई थी | आज कार्डानो द्वारा पहचान प्रबंधन के साथ-साथ, स्मार्ट अनुबंध भी किए जाते हैं।
8. यू एस डी कॉइन (USDC):
- कीमत: $0.9997
- मार्केट कैप: $40.25 बिलियन
टेथर की तरह, यू एस डी कॉइन, डॉलर से जुड़ी एक स्थिर मुद्रा है, जिसका अर्थ है कि, इसके मूल्य में उतार-चढ़ाव नहीं होना चाहिए। मुद्रा के संस्थापकों के अनुसार, यह पूरी तरह से आरक्षित संपत्तियों या "समकक्ष उचित मूल्य" वाली संपत्तियों द्वारा समर्थित है और उन संपत्तियों को विनियमित अमेरिकी संस्थानों के खातों में रखा जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdcvrs4h
https://tinyurl.com/ky5kkbmy
https://tinyurl.com/52c6ampk
https://tinyurl.com/44e8dsp2
चित्र संदर्भ
1. भारतीय मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. क्रिप्टोकरेंसी के विश्लेषण को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. बाज़ार विश्लेषण को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
4. बिटकॉइन माइनिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में है लंबित अदालतीं मामलों की समस्या
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
Modern State: 1947 to Now
08-01-2025 09:21 AM
Rampur-Hindi
यूनाइटेड किंगडम में लंबित अदालती मामलों की वर्तमान स्थिति:
यूनाइटेड किंगडम में जब अदालत में लंबित मामलों के आंकड़े जारी किए गए, तो पता चला कि क्राउन कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 73,105 की नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है, जो 2019 के अंत तक 38,000 के स्तर से लगभग दोगुनी है। हाल ही में जारी इन आंकड़ों से पता चलता है कि इंग्लैंड और वेल्स में क्राउन कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या सितंबर के अंत में 73,105 था, जो पिछले साल की तुलना में दस प्रतिशत बढ़ गई है। नए आँकड़े दर्शाते हैं कि अपराध होने और आपराधिक अदालतों में मामले ख़त्म होने के बीच का औसत समय इस वर्ष 735 दिनों तक पहुँच गया है, जो एक दशक में सबसे लंबा समय है।
क्रोएशिया में लंबित अदालती मामलों की वर्तमान स्थिति:
आंकड़ों के अनुसार, क्रोएशिया में अनसुलझे अदालती मामलों की संख्या में 11% की कमी आई है, वर्तमान में यहां लंबित अदालती मामलों की संख्या संख्या 450,000 और 460,000 के बीच है। क्रोएशिया में लंबित अदालती मामलों की संख्या में यह कमी एक सकारात्मक संकेत दर्शाती है। हालांकि, वहां सरकार को कोविड-19 महामारी और अदालतों के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के चलते मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसका एक प्रमुख कारण यह है कि वहां अदालती कार्यवाही की अवधि कम हो रही है। इन आंकड़ों में और सुधार करने के लिए नए कर्मियों की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है, जिसके चलते हबीजन न्यायपालिका में नए लोगों की नियुक्ति को मंज़ूरी देने का कार्य निरंतर जारी है। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वहां दस संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों के कार्यकाल की समाप्ति के संबंध में, समय से पूर्व ही नीति निर्धारित की जा चुकी है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि संवैधानिक न्यायालय उचित प्रकार कार्य करते रहें। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संवैधानिक न्यायालय शब्द के सही अर्थों में एक अदालत नहीं है, यह सरकार की चौथी शाखा है और अदालतों के अर्थ में न्यायिक निकाय नहीं है। इसके साथ ही, वहां न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार, डिजिटलीकरण और मानव संसाधनों को मज़बूत करके, न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ किया गया है।
सामान्य यूरोपीय शरण प्रणाली (Common European Asylum System (CEAS)) से संबंधित लंबित कानूनी मामले:
यूरोपीय संघ में के देशों में लंबित अदालती मामले अधिकतर कॉमन यूरोपियन असाइलम सिस्टम (Common European Asylum System (CEAS)) से संबंधित होते हैं। 'सामान्य यूरोपीय शरण प्रणाली' नियमों और प्रक्रियाओं का एक समूह है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शरण चाहने वालों के साथ पूरे यूरोपीय संघ में उचित और कुशलतापूर्वक व्यवहार किया जाए। 2022 के अंत में, यूरोपीय संघ के देशों में लगभग 899,000 शरण आवेदन लंबित थे, जिनमें एक साल पहले की तुलना में लगभग 5% की वृद्धि देखी गई। 2022 के अंत में, प्रथम प्रयास वाले लगभग 636,000 मामले लंबित थे, जो कुल मामलों का 71% था। प्रथम दृष्टया निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे मामलों में से अधिकांश 6 महीने तक लंबित थे, जो 2022 की दूसरी छमाही में दर्ज किए गए आवेदनों की बढ़ती संख्या का प्रत्यक्ष परिणाम है।
जर्मनी में सभी लंबित मामलों में से लगभग एक-तिहाई (30%) अभी भी लंबित हैं। बड़ी संख्या में लंबित मामलों वाले अन्य यूरोपीय देशों में फ़्रांस (143,000), स्पेन (135,000), इटली (80,000) और ऑस्ट्रिया (54,000) शामिल हैं। 2021 के अंत की तुलना में, ऑस्ट्रिया और इटली में मामलों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। सबसे अधिक वृद्धि इटली, स्पेन, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड और बेल्जियम में दर्ज की गईं । इन सभी देशों में, 2022 की दूसरी छमाही में निर्धारण के तहत मामलों की संख्या बढ़ गई। 2022 के अंत में, बेल्जियम (42,000), आयरलैंड (15,000), नीदरलैंड (38,000) और आइसलैंड (1,200) में सबसे अधिक लंबित मामले थे। ग्रीस एकमात्र ऐसा देश था जहां लंबित मामलों में काफ़ी कमी आई थी, और यह कमी विशेष रूप से 2022 की पहली छमाही में हुई थी। बहुत छोटे पैमाने पर, वहां माल्टा और पोलैंड सहित अन्य देशों में भी गिरावट देखी गई। शरण आवेदनों में अभूतपूर्व स्तर तक वृद्धि के बाद, तुर्की में 2022 के अंत में 58,000 मामले लंबित थे, जो कम से कम 2008 के बाद से रिकॉर्ड पर सबसे अधिक हैं। कोलंबिया (47,000), बांग्लादेश (29,000), जॉर्जिया (23,000), मोरक्को (16,000), डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (15,000), मिस्र (13,000) और अल्जीरिया (8,200) के नागरिकों के लिए भी लंबित मामले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए। कई शीर्ष राष्ट्रीयताओं के लिए अधिकांश आवेदन जर्मनी में लंबित थे। स्पेन में कोलंबियाई और वेनेज़ुएला के सबसे अधिक लंबित मामले थे, जबकि इटली में बांग्लादेशियों और पाकिस्तानियों के सबसे अधिक मामले लंबित थे।
उच्चतम अपराध दर वाले शीर्ष 5 देश:
दुनिया भर में अपराध दर में काफ़ी भिन्नता है, जो कई सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित है। विभिन्न देशों में अपराध की व्यापकता को समझना नीति निर्माताओं, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिकों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। अपराध दर पर आंकड़ों की जांच करके, हम सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं और संभावित अंतर्निहित कारणों का पता लगा सकते हैं। यहां, उच्चतम अपराध दर वाले 5 देशों के नाम निम्न प्रकार हैं:
वेनेज़ुएला: वेनेज़ुएला का अपराध सूचकांक लगभग 83.76 है, जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी किया गया है कि इस देश की यात्रा करना असुरक्षित है। वेनेज़ुएला की उच्च अपराध दर के लिए सरकारी भ्रष्टाचार, दोषपूर्ण न्यायिक प्रणाली, कानूनी शासन की कमी और आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता जैसे कारक ज़िम्मेदार हैं। राजधानी कराकस को डकैती, अपहरण और सड़क हिंसा जैसी समस्याएं आम हैं। हालांकि यहां कानून प्रवर्तन और सामुदायिक सुरक्षा में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।
पापुआ न्यू गिनी: पापुआ न्यू गिनी में हिंसक अपराध मुख्य रूप से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों के कारण होता है। पापुआ न्यू गिनी में सबसे आम अपराध यौन उत्पीड़न, कारजैकिंग और हत्या जैसे हिंसक अपराध हैं। आपराधिक गतिविधियों में भाग लेने वाले व्यक्तियों में मुख्य रूप से कम शिक्षा और कम रोज़गार के अवसर प्राप्त करने वाले लोग शामिल होते हैं। भ्रष्टाचार जैसा संगठित अपराध भी प्रमुख शहरों में आम है और उच्च अपराध दर में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। अपराधिक दर के उच्च होने का एक अन्य कारक पापुआ न्यू गिनी का भूगोल है। पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) में बड़े पहाड़ हैं और यह कई उष्णकटिबंधीय वर्षावनों से ढका हुआ है। ये भौगोलिक परिस्थितियाँ नशीली दवाओं और मानव तस्करी अपराधों के लिए अनुकूल हैं।
अफ़ग़ानिस्तान: अफ़ग़ानिस्तान में अपराध दर दुनिया में तीसरे स्थान पर है। 2023 विश्व जनसंख्या समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में अफ़ग़ानिस्तान में प्रत्येक 100,000 लोगों पर 76 से अधिक अपराध होते हैं। यहां अपराध विभिन्न रूपों में होते हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, हत्याएं, मादक पदार्थों की तस्करी, अपहरण और धन शोधन शामिल हैं। बेरोज़गारी देश के कई अपराधों, जैसे डकैती और हमले के लिए प्रमुख कारकों में से एक है। अलावा यहां चल रहे राजनीतिक संघर्ष और अस्थिरता अफ़ग़ानिस्तान में उच्च अपराध दर में अत्यधिक योगदान करते हैं। हालांकि यहां अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक स्थिर सरकार स्थापित करने और कानून प्रवर्तन को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
हैती: अपराधिक दर के मामले में हैती दुनिया भर में चौथे स्थान पर है। गरीबी की उच्च दर, राजनीतिक अस्थिरता और प्राकृतिक आपदाएँ आदि समस्याओं ने यहां अपराध चुनौतियों में योगदान दिया है। हैती में रिपोर्ट किए जाने वाले सामान्य अपराधों में छोटी-मोटी चोरी, सशस्त्र डकैती और कभी-कभी अपहरण शामिल हैं। राजधानी पोर्ट-औ-प्रिंस सहित शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अपराध दर अधिक है। 2021 में, हैती में हत्या के मामलों में 1,489 लोगों की मौत दर्ज़ की गई। अगले वर्ष, 2022 में, इसी अपराध में पीड़ितों की संख्या 2,088 तक पहुंच गई। इसके अलावा, हैती में सरकार के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है।
दक्षिण अफ़्रीका: दक्षिण अफ़्रीका में अपराध की दर दुनिया में पांचवें स्थान पर है। दक्षिण अफ़्रीका में हमलों, बलात्कार, हत्याओं और अन्य हिंसक अपराधों की दर बहुत अधिक है। इसके पीछे कई कारक ज़िम्मेदार हैं, जिनमें उच्च स्तर की गरीबी, असमानता, बेरोजगारी, सामाजिक बहिष्कार और हिंसात्मक व्यवहार शामिल हैं। दक्षिण अफ़्रीका में बलात्कार की दर दुनिया में सबसे ज़्यादा है। फ़रवरी 2023 तक दक्षिण अफ़्रीका में 27,494 हत्याएँ हुईं, जबकि 2012-2013 में यह संख्या 16,213 थी। 2022-2023 में दक्षिण अफ़्रीका में हत्या की दर प्रति 100,000 लोगों पर 45 थी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में यह दर 6.3 और अधिकांश यूरोपीय देशों में लगभग 1 थी। दक्षिण अफ़्रीकी मेडिकल रिसर्च काउंसिल द्वारा सर्वेक्षण में दक्षिण अफ्रीका में बड़ी संख्या में पुरुषों ने बलात्कार करना स्वीकार किया।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4wdbx8xr
https://tinyurl.com/2mzex7v4
https://tinyurl.com/pjyxudza
https://tinyurl.com/3y67wxp2
चित्र संदर्भ
1. विश्व मानचित्र और न्यायाधीश के हथौड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix, pxhere)
2. यूनाइटेड किंगडम के उच्च न्यायालय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक दुखी कैदी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
4. इंसाफ़ के तराज़ू को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अपराध स्थल पर जांच की तैयारी करते शोधकर्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
कैसे एक चक्रीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक प्लास्टिक व्यापार को और बेहतर बना सकती है ?
नगरीकरण- शहर व शक्ति
Urbanization - Towns/Energy
07-01-2025 09:39 AM
Rampur-Hindi
प्लास्टिक के पीछे का उद्योग-
क्या आप जानते हैं कि, 99% प्लास्टिक, जीवाश्म मूल के रसायनों से निर्मित होता है। इसलिए, प्लास्टिक का उत्पादन, पेट्रोकेमिकल उद्योग(Petrochemical industry) से जुड़ा हुआ है। प्लास्टिक उद्योग की तीव्र वैश्विक वृद्धि, काफ़ी हद तक सस्ती शेल गैस(Shale gas) की उपलब्धता और जीवाश्म उद्योगों से बढ़ते निवेश से प्रेरित है। पेट्रोकेमिकल उद्योग वास्तव में, वर्तमान से 2040 तक, वैश्विक तेल मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा चालक होने की उम्मीद है। प्लास्टिक और जीवाश्म ईंधन के बीच मज़बूत संबंध का मतलब यह भी है कि, प्लास्टिक जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा चालक है। प्लास्टिक उत्पादन वायु और जल प्रदूषण से जुड़े, वैश्विक उत्सर्जन में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। साथ ही, तेल रिसाव से विषाक्त प्रदूषण होता है। बेसल कन्वेंशन(Basel Convention), रॉटरडैम कन्वेंशन (Rotterdam Convention) और स्टॉकहोम कन्वेंशन(Stockholm Conventions) द्वारा नियुक्त, तथा अप्रैल 2023 में प्रकाशित एक स्वतंत्र रिपोर्ट में पाया गया है कि, प्लास्टिक में लगभग 13,000 रसायनों का उपयोग किया जाता है। यह उपयोग संभवतः मोनोमर्स(Monomers), एडिटिव्स(Additives), प्रसंस्करण सहायता और एन आई ए एस(NIAS) के रूप में होता है। इनमें से 3,200 रसायनों को, संभावित चिंता वाले रसायनों के रूप में सत्यापित किया गया है। लेकिन यह देखते हुए कि, इनमें से 6,000 रसायनों के खतरे का अध्ययन नहीं हुआ है, यह आंकड़ा बड़ा हो सकता है। इसके अलावा, प्लास्टिक में उपयोग किए जाने वाले चिंताजनक रसायनों में से, केवल 1% को स्टॉकहोम कन्वेंशन, मिनामाटा कन्वेंशन(Minamata Convention) और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल(Montreal Protocol) जैसे बहुपक्षीय(बहुदेशीय) पर्यावरण समझौतों के तहत विनियमित किया जाता है। ये सकल स्वास्थ्य और मानवाधिकार खतरों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्हें विषाक्त पदार्थों के सुरक्षा भंडारण और निपटान प्रक्रियाओं को अपनाने से रोका जा सकता है।
प्लास्टिक में वैश्विक व्यापार-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रवाह प्लास्टिक उत्पादों के उत्पादन, उपभोग और निपटान के लिए केंद्रीय है। इसलिए, व्यापार नीति वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कई देश इसके खिलाफ़ पहले से ही कार्रवाई कर रहे हैं, जैसे कि – प्लास्टिक कचरे के आयात या निर्यात को प्रतिबंधित करना, एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना, या प्लास्टिक व्यापार को प्रभावित करने के लिए इकोलेबल(Ecolabels) का उपयोग करना।
वैश्विक प्लास्टिक अर्थव्यवस्था में, व्यापार एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र में, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्लास्टिक को सीमाओं के पार फ़ैलाने का एक माध्यम है; चाहे वह वर्जिन प्लास्टिक(Virgin plastic) के रूप में हो, उत्पादों में अंतर्निहित हो, या अपशिष्ट के रूप में हो। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन(UNCTAD) के अनुसार, प्लास्टिक का व्यापार हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर मूल्य का होता है, जो माल व्यापार के कुल मूल्य का लगभग 5% है। 2021 में, प्लास्टिक व्यापार. 1.2 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के रिकॉर्ड-उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह चुनौती प्लास्टिक उत्पादों की विशाल विविधता से आती है, जिसमें पैकेजिंग और अन्य उत्पादों में प्लास्टिक का अंतर्निहित होना भी शामिल है। इनका विश्व स्तर पर व्यापार किया जाता है और वे अपशिष्ट प्रवाह का हिस्सा बन जाते हैं। इन्हें प्रबंधित करने में देशों को अक्सर ही असफ़लता का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप, पर्यावरण में इनका रिसाव होता है।
प्लास्टिक अपशिष्ट व्यापार-
2018 में, लगभग 8 मिलियन मेट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार किया गया, जिसकी कीमत, लगभग 3.3 बिलियन अमरिकी डॉलर थी। प्लास्टिक अपशिष्ट व्यापार, एक चुनौती है। यह चुनौती, विशेष रूप से आयातित विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए है, जहां पर्यावरणीय रूप से सुदृढ़ तरीके से अपशिष्ट प्रबंधन के लिए, बुनियादी ढांचे की कमी हो सकती है। 2021 से, प्लास्टिक अपशिष्ट व्यापार को बेसल कन्वेंशन के तहत विनियमित किया गया है।
प्लास्टिक के लिए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था-
सर्कुलर इकॉनमी (Circular economy) या चक्रीय अर्थव्यवस्था, किसी उत्पाद की यात्रा के हर चरण पर विचार करती है। इसमें उत्पाद के ग्राहक तक पहुंचने से पहले, और बाद में होने वाली क्रियाओं का विचार किया जाता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि, यह मज़बूती आर्थिक, सामाजिक और जलवायु लाभ भी प्रदान करता है।
2040 तक एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित चीज़ों की संभावना है:
१.हमारे महासागरों में प्रवेश करने वाले प्लास्टिक की वार्षिक मात्रा को 80% तक कम करना;
२.ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 25% की कमी;
३.प्रति वर्ष 200 बिलियन अमरीकी डॉलर की बचत उत्पन्न करना; और
४.7,00,000 शुद्ध अतिरिक्त नौकरियों का सृजन करना।
प्लास्टिक के लिए, एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाने हेतु हमें निम्नलिखित तीन कदम उठाने होंगे–
१.सभी समस्याग्रस्त और अनावश्यक प्लास्टिक वस्तुओं को हटाना;
२ यह सुनिश्चित करने के लिए, नवप्रवर्तन करना कि, हमें जिस प्लास्टिक की आवश्यकता है, वह पुन: प्रयोज्य, पुनर्चक्रण योग्य या खाद बनाने योग्य हो; एवं
३.हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी प्लास्टिक वस्तुओं को अर्थव्यवस्था में और पर्यावरण से बाहर रखने के लिए, परिचालित करना।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yp69hejp
https://tinyurl.com/5cc9sa6m
https://tinyurl.com/2c9vvbtu
चित्र संदर्भ
1. एक रीसाइक्लिंग सेंटर में प्लास्टिक के कचरे को जमा करते श्रमिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. स्लोवाकिया में स्थित, स्लोवनाफ्ट नामक एक तेल शोधन कंपनी के नए पॉलीप्रोपाइलीन संयंत्र (polypropylene plant) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक पुनर्चक्रण सुविधा में कुचले हुए पी.ई.टी. (PET) पेय बोतलों के बंडल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्लास्टिक के पुनर्चक्रण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से प्राप्त स्वच्छ ऊर्जा की, क्या कीमत चुकाई जा रही है ?
नगरीकरण- शहर व शक्ति
Urbanization - Towns/Energy
06-01-2025 09:27 AM
Rampur-Hindi
परमाणु ऊर्जा संयंत्र, अक्सर झीलों, नदियों या महासागरों के पास बनाए जाते हैं। इसका कारण यह है कि रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की ज़रुरत होती है। लेकिन जब संयंत्र इस पानी को वापस ठन्डे पानी में छोड़ते हैं, तो यह पानी के जीवों के पारिस्थितिक तंत्र को बदल सकता है। पानी का बहुत गर्म या बहुत ठंडा होना मछलियों और कीड़ों जैसे जलीय जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे मछलियों के अंडे देने की जगहें प्रभावित होती हैं और उनके भोजन की मात्रा भी कम हो सकती है।
परमाणु संयंत्र में ऊर्जा उत्पादन के दौरान होने वाला यूरेनियम (Uranium) खनन भी पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह नदियों और प्राकृतिक क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाता है। खनन से कई बार मिट्टी और जल के रसायन बदल जाते हैं, जो जलीय जीवन के लिए खतरनाक होता है। यूरेनियम खदानें अक्सर सेलेनियम से भरपूर क्षेत्रों में होती हैं। खनन के बाद बनने वाले जलाशयों में सेलेनियम (Selenium) का स्तर बढ़ सकता है। अगर यह स्तर प्रति लीटर दो माइक्रोग्राम (2mg) से अधिक हो जाए, तो यह जलीय पक्षियों के जीवन और प्रजनन प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है। यह समस्या जैव संचय के कारण बढ़ती है, जहाँ खाद्य श्रृंखला के ऊपरी हिस्से में सेलेनियम जमा होता है। पुरानी खदानों से हानिकारक पदार्थ पर्यावरण में रिस सकते हैं।
रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा भी बना रहता है। संयंत्र शुरू करने से पहले, क्षेत्र में विकिरण का स्तर जांचा जाता है। इसके बाद संयंत्र के आसपास हवा, पानी, दूध और पौधों की निगरानी की जाती है। जांच के लिए यह डेटा सरकारी एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है। यहां तक कि थोड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री भी जलीय जीवों के स्वास्थ्य और व्यवहार पर असर डाल सकती है।
आइए, अब जानते हैं कि हमें परमाणु ऊर्जा के क्या लाभ पहुचते हैं?
- परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता!
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र बहुत बड़ी ज़मीन नहीं घेरते!
- इनसे बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
- यह ऊर्जा का भरोसेमंद स्रोत साबित होती है।
परमाणु ऊर्जा के नुकसान
- यूरेनियम एक सीमित संसाधन है।
- परमाणु संयंत्र बनाने में बहुत अधिक खर्च होता है।
- इससे निकलने वाले अपशिष्ट को संभालना मुश्किल है।
- दुर्घटनाओं से बड़े नुकसान हो सकते हैं।
हालांकि आपातकालीन स्थिति के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को हमेशा तैयार रहना ज़रूरी है! भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (एन पी पी) को कठोर सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप डिज़ाइन, निर्माण, कमीशन और संचालित किया जाता है! भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एन पी पी) सख्त सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों का उद्देश्य उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। संयंत्रों के डिज़ाइन में सुरक्षा के लिए रक्षा-गहराई, अतिरेक और विविधता जैसे सिद्धांतों को शामिल किया गया है। ये सिद्धांत संयंत्रों को सुरक्षित रूप से संचालित करने में मदद करते हैं।
उदाहरण के लिए, रिएक्टर को बंद करने के लिए फ़ैल-सेफ़ शटडाउन सिस्टम (Fail-safe shutdown system) लगाए गए हैं। इसके साथ ही, बैकअप कूलिंग सिस्टम भी मौजूद हैं। रेडियोधर्मिता को फैलने से रोकने के लिए मज़बूत रोकथाम प्रणालियाँ भी स्थापित की गई हैं।
हालाँकि ये सुरक्षा उपाय प्रभावी हैं, लेकिन फिर भी आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया (ई पी आर) योजनाओं का होना बहुत ज़रूरी है। ये योजनाएँ सावधानीपूर्वक बनाई जाती हैं। इन्हें नियमित रूप से परखा और अपडेट किया जाता है ताकि वे प्रभावी बनी रहें।
एनपीपी में रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
- प्लांट आपात स्थिति।
- ऑन-साइट आपात स्थिति।
- ऑफ़ -साइट आपात स्थिति।
ये श्रेणियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि स्थिति से कौन-सा क्षेत्र प्रभावित है।
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (ए ई आर बी (AERB)) प्लांट और ऑन-साइट आपात स्थितियों की योजनाओं की समीक्षा और अनुमोदन करता है। ऑफ-साइट आपात स्थितियों के लिए, एईआरबी योजनाओं की समीक्षा करता है, लेकिन अंतिम अनुमोदन ज़िला प्रशासन या स्थानीय सरकार द्वारा किया जाता है।
आपातकालीन योजनाओं की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए नियमित अभ्यास किए जाते हैं। इन अभ्यासों में उन सभी एजेंसियों की भागीदारी होती है, जो आपात स्थिति के दौरान सक्रिय रहेंगी। ए ई आर बी इन अभ्यासों का निरीक्षण करता है और अगर ज़रुरत हो, तो उन्हें सुधारने के सुझाव भी देता है। इसके अलावा, नियमित निरीक्षणों के दौरान आपातकालीन तैयारियों की भी जांच की जाती है। किसी आपात स्थिति के दौरान ए ई आर बी स्थिति पर नज़र रखता है। वे स्थिति का आकलन करते हैं और प्रतिक्रिया देने वाली एजेंसियों को निर्देश देते हैं।
आपात स्थिति में, ए ई आर बी, जनता को स्थिति के बारे में जानकारी देता है। साथ ही, ई पी आर योजनाएँ बनाने के लिए दिशा-निर्देश तय करता है। इस तरह, भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र हर संभावित आपात स्थिति के लिए तैयार रहते हैं। इनके सख्त सुरक्षा नियम और आपातकालीन योजनाएँ, संयंत्रों को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yafc547v
https://tinyurl.com/2xofe878
https://tinyurl.com/2cztqj9r
चित्र संदर्भ
1. भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में नरोरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन के कूलिंग टावर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ज़्वेनटेनडॉर्फ परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रिएक्टर दबाव पोत के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भीतर से परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. परमाणु ऊर्जा संयंत्र के नियंत्रण कक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. तमिलनाडु में स्थित कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
संस्कृति 1939
प्रकृति 699