भारत में जुआ खेलने की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है, जिसके साक्ष्य हमें हमारे पौराणिक ग्रन्थों और पुरातात्विक खोजों से मिलते हैं। जुए का उल्लेख हमें महाभारत और रामायण में मिलता है। जुआ लगभग चार हजार वर्षों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है, जिसका स्वरूप समय-समय में बदलता रहा है। बौद्ध ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख मिलता है। इसी विकास क्रम में तीन पत्ती खेल का जन्म हुआ। हालांकि हम इस खेल की उत्पत्ति के विषय में ज्यादा नहीं जानते हैं, लेकिन इतिहासकारों का कहना है कि इसे यूरोप (Europe) के लोगों द्वारा भारत लाया गया था। जिसे इन्होंने अपने मनोरंजन के लिए खेला चूंकि जुआ भारत में पहले से ही लोकप्रिय था इसलिए इनके कार्ड गेम (Card Game) को भारत में फैलने में ज्यादा समय नहीं लगा।
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भारत में तीन पत्ती खेल बहुत लोकप्रिय हुआ, जो कि ब्रिटिश खेल ‘थ्री कार्ड ब्रैग’ (three card brag) के समान है। यह खेल 52 पत्तों के डेक (deck) से खेला जाता है और खेलने से पहले, सभी खिलाड़ी इसमें निर्धारित पैसे और अन्य वस्तु दाव पर लगाते हैं। जिसे एक पात्र में रखा जाता है जिसे अंत में खेल में जीतने वाला ले जाता है। भारत में इस खेल की लोकप्रियता मात्र मनोरंजन के कारण नहीं हुयी है, वरन् इसका धार्मिक महत्व भी है। भारत का सबसे लोकप्रिय त्यौहार दिपावली के दिन सभी लोग समूह में एकत्रित होते हैं जिसमें वे मुख्यत: तीन पत्ती खेलते हैं। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने शिव के साथ पासा खेला था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जो भी व्यक्ति इस दिन जुआ खेलेगा उसे भगवान शिव का आर्शीवाद मिलेगा। इसके साथ ही लोग जब पारिवारिक समारोह में एकत्रित होते हैं तो इसमें भी उनका लोकप्रिय खेल तीन पत्ती ही होता है। इसकी लोकप्रियता बढ़ाने में भारतीय फिल्मों ने भी विशेष योगदान दिया।
तीन पत्ती खेलने के तरीके के हिसाब से तीन पत्ती में अलग अलग हेन्डस (Hands) होते है। जिनको सबसे उच्च से ले कर निम्न के क्रम में ले जाया जाता है:
ट्रेल (trail): इसमें तीनों कार्ड एक ही श्रेणी के होते हैं जैसे तीन राजा, तीन दहाई, तीन इक्के आदि। इस खेल में इक्के को सबसे मजबूत माना जाता है।
प्योर सिक्वेंस (Pure sequence) शुद्ध अनुक्रम: इसमें समान क्रम के तीन पत्ते होते हैं जैसे: 2-3-4, 4-5-6, 6-7-8, और एक ही निशान के होते हैं।
सिक्वेंस (Sequence) या अनुक्रम - इसमें समान क्रम के तीन पत्ते होते हैं जैसे: 2-3-4, 4-5-6, 6-7-8, किंतु इनके निशान अलग-अलग होते हैं।
रंग - रंग या एक फ्लश (Flush) (एक समान रंग के ताशों का जोड़), यह एक ही सूट (suit) या निशान के तीन कार्ड से बना होता है जो एक क्रम में नहीं होते हैं। रंगों की तुलना करते समय, आपको सबसे पहले उच्चतम कार्ड की तुलना करनी चाहिए। यदि वे समान हैं, तो दूसरे उच्चतम कार्ड की तुलना की जाती है, और यदि फिर से बराबर है, तो सबसे कम की तुलना भी की जाती है।
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अभी भी भारत में जुआ खेला जाता है किंतु अब यह उतना व्यापक नहीं है जितना पहले था। कुछ क्षेत्रों में, जुआ असाधारण रूप से लोकप्रिय बना हुआ है, भारत में 40 प्रतिशत इंटरनेट (Internet) उपयोगकर्ता बताते हैं कि ऑनलाइन के माध्यम से इस खेल को अधिकांश लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है, इस खेल की प्रक्रिया संपूर्ण ऑफलाइन (Offline) की तरह है किंतु प्लेटफॉर्म ऑनलाइन (Platform Online) है।
जुआ खेलना हमेशा एक गलत निर्णय होता है क्योंकि कैसीनो (Casino) और सट्टेबाज इसकी गणित जानते हैं और वे खेल को विशेष तरीके से समायोजित कर सकते हैं जिससे वे अपनी जीत सुनिश्चित कर देते हैं, दुसरा व्यक्ति तभी जीत सकता है जब ये चाहेंगे। हालांकि पासे और रूलेट (Roulette) में आने वाले नंबर की भविष्यवाणी करना असंभव है, किंतु आप संभावित नंबर का पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि अगले 1000 पासे में क्या नंबर आ सकता है इसे लॉ ऑफ लार्ज नंबर (Law of Large Numbers) कहा जाता है। यहां तक कि 49% जीतने की संभावना "घर" को बड़ा लाभ बनाने के लिए पर्याप्त "बढ़त" देता है। आप जुआ सिद्धांत का विकास और परीक्षण करने के लिए गेम थ्योरी रैंडम वॉक (game theory random walks) और आंकड़ों का भी उपयोग कर सकते हैं। खेल सट्टेबाजी विशेष रूप से दिलचस्प है क्योंकि समय के साथ संभावना बदल जाती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3vYSHgj
https://bit.ly/39hfE4C
https://bit.ly/3fgZSdY
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र प्राचीन भारत में जुआ दिखाता है। (Gamingzion.com)
दूसरी तस्वीर में ऑनलाइन तीन पत्ती को दिखाया गया है। (यूट्यूब)
तीसरी तस्वीर में तीन पत्ती के कार्ड और चिप्स दिखाए गए हैं। (पिक्सहिव)