समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 961
मानव व उसके आविष्कार 744
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
अक्सर आपने कई चीज़ों पर उनकी प्रमाणिकता साबित करने के लिए उनपर उनकी कंपनी (Company) का बना हुआ होलोग्राम (Hologram) देखा होगा। वास्तव में होलोग्राम फोटोग्राफ (Photograph) की तरह ही हैं जो तीन आयामी (3डी) प्रतीत होते हैं। होलोग्राम एक ऐसी छवि बनाता है जिसे एकाधिक कोणों से देखा जा सकता है। जब आप होलोग्राम देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि आप एक तस्वीर ना देख कर एक वास्तविक भौतिक वस्तु को देख रहे हैं। जब आप होलोग्राम की छवि देखते हैं तो आपको वह 3डी दिखाई देती है, परंतु जिस सतह पर इसे संग्रहीत किया जाता है वह सपाट होती है। यह ग्रीक शब्द होलोस/Holos (संपूर्ण) और ग्रामा/Gramma (संदेश) से लिया गया है।
होलोग्राम बानने की तकनीक और विज्ञान को होलोग्राफी (Holography) कहा जाता है। होलोग्राफी के द्वारा लाइट बीम (Light Beam) और लेज़र (Laser) से किसी छवि का होलोग्राम बनाया जाता है। होलोग्राफी के सिद्धांत का विकास 1947 में भौतिक वैज्ञानिक डेनिस गेबर ने किया था और लेज़र तकनीक के विकास ने होलोग्राफी को संभव बनाया। इसके लिये डेनिस गेबर को 1971 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। इसके बाद इसे औद्योगिक उपयोग में लाया गया। इसका उपयोग पुस्तकों के कवर (Book Cover), क्रेडिट कार्ड (Credit Card) आदि पर देखा गया। यह देखने में त्रिआयामी छवि या त्रिबिंब प्रतीत होती है, किन्तु ये मूल रूप में द्विआयामी आकृति का ही होता है, इसी कारण इसे 3डी होलोग्राम भी कहा जाता है। आज इस तकनीक में काफी विकास हुआ है। अब इसका उपायोग विभिन्न उत्पादों या क्रेडिट कार्ड तक सीमित नहीं रह गया है। फिल्मों (Films) और विजुअल (Visual) प्रदर्शन में भी यह तकनीक काफी उपयोग की जाती है। इसमें आपको द्विआयामी आकृति को त्रिआयामी छवि में दिखाया जाता है, जिससे आपको ऐसा प्रतीत होता है कि वो वस्तु आपके सामने है।
होलोग्राम कैसे काम करते हैं?
वास्तविक होलोग्राम प्रकाश की किरण को विभाजित करके बनाया जाता है। जब एक होलोग्राम बनाने के लिए एक लेज़र बीम को विभाजित किया जाता है, तो बीम की प्रकाश तरंगें दो हिस्सों में बंट जाती हैं (ऑब्जेक्ट बीम और रेफ़रेंस बीम) और समान रूप से दोनों तरफ यात्रा करती हैं। जब उनका फोटोग्राफिक प्लेट (Photographic Plate) में पुनर्संयोजन होता है, तो ऑब्जेक्ट बीम (Object Beam) को थोड़े अलग पथ से गुज़ारा जाता है और वस्तु की बाहरी सतह से परावर्तित करके इसकी प्रकाश किरणों को विचलित कर दिया जाता है। और जब ये दोनों बीम एक साथ मिलती हैं तो वस्तु की एक त्रिआयामी छवि दिखाई देती है।
एक 3डी होलोग्राम उत्पादों, वस्तुओं, और एनिमेटेड (Animated) दृश्यों को त्रिआयामी रूप से प्रदर्शित करता है। एक साधारण स्क्रीन पर प्रदर्शित फिल्म के विपरीत, 3डी होलोग्राम में दिखाई जाने वाली फिल्म सभी कोणों से दिखाई देती है। इसकी सबसे दिलचस्प बात यह है कि 3डी टेलीविजन (3D Television) या वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality) के विपरीत, एक 3डी होलोग्राम बिना 3डी चश्मे के भी देखा जा सकता है, जो कि व्यापारिक मेलों, प्रदर्शनियों और इसी तरह के कार्यक्रमों में उपयोग के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
3डी होलोग्राम प्रदर्शित करने के लिए, आमतौर पर इन चीज़ों की आवश्यकता होती है:
1. एक होलोग्राम प्रोजेक्टर/Projector (जिसे होलोग्राफ पिरामिड/Holograph Pyramid या होलोग्राफी डिस्प्ले/Holography Display के रूप में भी जाना जाता है), जो होलोग्राफिक 3डी प्रोजेक्शन को संभव बनाता है।
2. एक 3डी होलोग्राम जो सीधे कमरे में प्रक्षेपित किया जाता है और वस्तु को प्रदर्शित करता है।
होलोग्राम प्रोजेक्टर विभिन्न आकारों में उपलब्ध होते हैं, जो विभिन्न प्रयोजनों और उत्पादों के अनुकूल होते हैं। 3डी होलोग्राम द्वारा अनुप्रयोगों की एक विस्तृत विविधता प्रदान की जाती है।
3 डी होलोग्राम किस लिए उपयोग किया जाता है?
उत्पादों को एक उन्नतिशील तरीके से प्रस्तुत करने के लिए: 3डी होलोग्राम उत्पादों को पेश करने का एक नया उन्नतिशील तरीका है। इसके अलावा, होलोग्राम केवल वस्तुओं को त्रिआयामी प्रदर्शित करने के लिए उपयोगी नहीं हैं, वे आग, बारिश, कोहरे या धुएं जैसे दृश्य को वास्तविक भी दिखाने में समर्थ होते हैं। एक आम सी छवि भी 3डी होलोग्राम के रूप में प्रस्तुत करने पर एक वास्तविक आकर्षण बन जाती है।
भावनाओं की दुनिया बनाने के लिए: 3डी होलोग्राम पूरी तरह से अनूठे तरीके से उत्पादों को प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिए एक होलोग्राम का उपयोग एक वस्तु को पूरी तरह से आकर्षक और साहित्यिक समन्वित वातावरण प्रदान करने के लिए किया जाता है। कोई अन्य तकनीक 3डी होलोग्राम जैसे उत्पाद के लाभों को समान रूप से प्रस्तुत नहीं कर पायी है। पर्यवेक्षकों को इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि उनसे सीधे और भावनात्मक रूप से बात की जा रही है।
तकनीकी रूप से जटिल अवधारणाओं को सरल तरीके से समझाने के लिए: 3डी होलोग्राम जटिल सामग्री को एक चित्रण, सरल तरीके से प्रस्तुत करने का एक आदर्श तरीका है। यह प्रक्रिया नए और अज्ञात पहलुओं में पहुंचने में मदद करती है।
आप चाहें तो अपने स्मार्टफोन को 3डी होलोग्राम प्रोजेक्टर में भी बदल सकते हैं। 3डी होलोग्राम को घर पर बनाने के लिए आपको ज्यादा कुछ खर्च करने की ज़रूरत नहीं है। बस आपके पास एक पुराना सीडी कवर, गोंद, कटर, कैंची और निशान लगाने के लिए स्केच पेन या फिर कोई भी मार्कर होना चाहिए बाकि आप इस वीडियो की मदद से इसे बनाने की प्रक्रिया समझ सकते हैं:
संदर्भ:
1.https://www.explainthatstuff.com/holograms.html
2.https://whatis.techtarget.com/definition/hologram
3.https://magic-holo.com/en/what-is-a-3d-hologram/
4.https://home-science.com/3d-hologram-projector/
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Holography
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.