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कहते हैं उम्मीद पर दुनिया कायम है। क्या आप भी ऐसा मानते हैं? एक तरह से देखें तो यह विचार सही भी है, क्योंकि जहाँ उम्मीद नहीं होगी वहां चाह नहीं होगी और जहाँ चाह नहीं होगी, वहां राह नहीं होगी। इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि कर्म करे बिना ही उम्मीद हमें फल दे देगी, परन्तु जब तक उम्मीद नहीं की जाएगी, भरोसा नहीं किया जायेगा, तब तक कर्म करने की प्रेरणा कहाँ से आएगी?
शायद वह उम्मीद और निरंतर प्रयास ही था जब एक समय पर भेद-भाव झेलने वाले अश्वेत समुदाय का एक अमरीकी नागरिक एक दिन उसी देश का राष्ट्रपति बन गया। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बराक ओबामा की। न ही सिर्फ वे पहले अश्वेत प्रधानमंत्री थे, बल्कि ये कहना भी गलत नहीं होगा कि शायद वे सबसे लोकप्रिय भी रहे। साथ ही वे वक्तृत्व कला में भी काफी निपुण थे। जब वे भाषण दिया करते थे, तब सारे नागरिकों में जोश की एक अलग ही लहर उमड़ पड़ती थी।
तो चलिए आज अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा ‘उम्मीद’ के विषय में दिया गया एक भाषण सुना जाए। इसे आप ऊपर दिए गए विडियो पर क्लिक कर सुन सकते हैं, तथा इसका हिंदी अनुवाद नीचे दिया गया है।
“मैं आज फिर एक बार आप लोगों के बीच खड़ा हूँ। आज मैं यहाँ खड़ा हूँ आपको ये बताने के लिए कि आज मैं अमेरिका के भविष्य को लेकर बहुत अधिक आशावादी हूँ। जिस अमेरिका को मैं जानता हूँ वह हिम्मत, उम्मीद और सरलता से भरा एक देश है। जिस अमेरिका को मैं जानता हूँ वह सभ्य और उदार है।
अश्वेत, श्वेत, लैटिनो, एशियाई, नेटिव अमेरिकी, जवान, बूढ़े, समलैंगिक, असमलैंगिक, पुरुष, स्त्री, विकलांग, सभी एक ही ध्वज के नीचे खड़े होकर इस देश के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा लेते हैं जिसे हम दिल और जान से प्रेम करते हैं। यही वह अमेरिका है जिसे मैं जानता हूँ। हमारी शक्ति उन अमर घोषणाओं से आती है, जो कई वर्षों पहले ठीक यहीं फ़िलेडैल्फ़िया में लिखी गई थीं। हम इस सत्य को स्वतः-सिद्ध मानते हैं, कि हर मनुष्य समान है, कि हम सभी साथ मिलकर एक परिपूर्ण संघ बना सकते हैं। हमारे भाग्य को आकर दे पाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
इसलिए यदि कोई भी हमारे सिद्धांतों को आंच पहुँचाने की सोचता है, चाहे वह कोई तानाशाह हो, कोई जिहादी हो या फिर कोई स्वदेशी दुर्जन ही क्यों न हो, अंत में उसकी हार होगी। आप ही लोगों ने भविष्य को लेकर मेरी उम्मीद को ज़िन्दा रखा है, फिर चाहे राह कितनी भी लम्बी क्यों न हो। मुश्किल के समय में उम्मीद, संदेह के समय में उम्मीद, उम्मीद करने का साहस। आप सभी ने इन पिछले 8 वर्षों में इस उम्मीद को साबित किया है। धन्यवाद इस अविश्वसनीय यात्रा के लिए। ये यात्रा ऐसे ही चलती रहे। ईश्वर आप सभी का भला करे।”
सन्दर्भ:
1.https://www.youtube.com/watch?v=VbW_NjCEjak
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