सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है दिल के दौरे का खतरा

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
19-01-2019 12:56 PM
सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है दिल के दौरे का खतरा

हमारा दिल पूरी जिंदगी बिना रुके काम करता रहता है, लेकिन इसकी अच्छे से देखभाल ना करने पर यह कई बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है। वहीं विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि दिल के दौरे और संबंधित मृत्यु की संख्या सर्दियों के महीनों में अधिक होती है। दिल के दौरे के कारण मृत्यु का खतरा ठंड में 50 प्रतिशत अधिक बढ़ जाता है। जैसे ही तापमान गिरता है, हमारे शरीर के अंदर गर्मी को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। शरीर के आंतरिक तापमान में गिरावट हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए बहुत खतरनाक हो जाता है, क्योंकि वे एंजाइना (Angina) या सीने में दर्द से पीड़ित हो सकते हैं।

दिल का दौरा पड़ने के दौरान, रक्त की आपूर्ति (जो आम तौर पर ऑक्सीजन के साथ दिल का पोषण करती है) कम हो जाती है और हृदय की मांसपेशियों की मृत्यु होने लग जाती है। दिल के दौरे को मायोकार्डिअल इन्फ़ार्कशन (Myocardial Infarctions) भी कहा जाता है, यह अमेरिका में बहुत आम है। कुछ लोगों में दिल का दौरा पड़ने से पहले कुछ चेतावनी के संकेत आते हैं, जबकि अन्य में कोई संकेत नहीं आते हैं। कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं:

• छाती में दर्द
• ऊपरी शरीर का दर्द
• पसीना आना
• जी मिचलाना
• थकान
• साँस लेने में कठिनाई।

वहीं कुछ ही हृदय संबंधी परिस्थितियां हैं जो दिल के दौरे का कारण बनती हैं। सबसे आम कारणों में से एक धमनियों में प्लाक (Plaque) का जमाव होना है, जो हृदय की मांसपेशियों को रक्त प्राप्त करने से रोकता है। खून के जमने या फटे हुए रक्त वाहिका के कारण भी दिल का दौरा आ सकता है। कुछ मामलों (बहुत कम) में एक रक्त वाहिका की ऐंठन के कारण से भी दिल के दौरे आते हैं।

दिल का दौरा पड़ने के लक्षण निम्न हैं:
• सीने में दर्द या बेचैनी
• जी मिचलाना
• पसीना आना
• चक्कर आना
• थकान

और भी कई अन्य लक्षण हो सकते हैं, लेकिन ये लक्षण पुरुषों और महिलाओं के बीच भिन्न होते हैं।

चिकित्सकों के अनुसार, उपर्युक्त लक्षणों और चेतावनियों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। सर्दियों में दिल से संबंधित बीमारियों की वृद्धि का मुख्य कारण रक्तचाप में वृद्धि होता है। जिससे धमनियां संकुचित हो जाती हैं और जिस कारण हृदय को रक्त पंप (Pump) करने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है। सर्दियों में रक्त में कुछ प्रोटीनों (Proteins) के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे ब्‍लड क्‍लॉट (Blood Clot) का जोखिम बढ़ता है। वहीं कई दिल के दौरे हाइपोथर्मिया (Hypothermia, वह स्थिति जिसमें असामान्य रूप से शरीर के तापमान में गिरावट के कारण दिल काम करना बंद कर देता है) के कारण होते हैं।

सर्दियों में दिल की समस्याओं के जोखिम को रोकने के लिए कुछ निवारक उपाय निम्न हैं:

• हालांकि नियमित रूप से व्यायाम करना हमारे दिल के लिए अच्छा होता है, लेकिन बेहद सर्द दिनों में सुबह-सुबह टहलने जाने से बचें, क्योंकि सुबह के समय स्वाभाविक रूप से रक्तचाप में वृद्धि होती है। इसके बजाय, सूरज ढलने से पहले शाम को टहलने जाएं।
• शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए घर के अंदर रहें। अपने आप को अच्छी तरह से ढक के रखें और गर्म पानी से ही स्नान करें।
• अधिक भोजन का सेवन करने से आपके दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। बराबर अंतराल में छोटे, स्वस्थ और विनियमित भोजन खाएं। नमक और पानी का सेवन सीमित करें।
• दिल के दौरे के कई कारक हो सकते हैं, जिनमें कुछ को बदल नहीं सकते हैं, जैसे उम्र और परिवार का इतिहास, वहीं अन्य कारक, जिन्हें परिवर्तनीय जोखिम कारक कहा जाता है, इन्हें आप बदल सकते हैं।

दिल के दौरे के कारक जिन्हें बदला नहीं जा सकता:

उम्र: यदि आपकी आयु 65 वर्ष से अधिक है, तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक है।
लिंग: पुरुषों में महिलाओं की तुलना में दिल के दौरे का अधिक जोखिम होता है।
परिवार के इतिहास: यदि किसी के परिवार में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा या मधुमेह अनुवांशिक है, तो उसको दिल के दौरे का जोखिम अधिक होता है।
जाति: अफ्रीकी मूल के लोगों को दिल के दौरे का अधिक खतरा होता है।

परिवर्तनीय जोखिम कारक
• धुम्रपान
• उच्च कोलेस्ट्रॉल
• मोटापा
• व्यायाम की कमी
• आहार और शराब का सेवन
• तनाव

दिल के दौरे की पहचान चिकित्सक द्वारा आपकी शारीरिक परीक्षा करके और आपके मेडिकल (Medical) इतिहास की समीक्षा करके की जाती है। चिकित्सक द्वारा आपके दिल की इलेक्ट्रिकल (Electrical) गतिविधि को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) के माध्यम से जांचा जाता है। यदि चिकित्सक को दिल के दौरे की पहचान हो जाती है, तो वे विभिन्न परीक्षणों और उपचारों का उपयोग करते हैं। चिकित्सक आपको कार्डिएक कैथीटेराइज़ेशन (Cardiac Catheterization) का आदेश भी दे सकता है। इस जांच के दौरान एक नरम लचीली ट्यूब (जिसे कैथेटर कहा जाता है) को आपकी रक्त वाहिकाओं में डाला जाता है। इससे चिकित्सक उन क्षेत्रों को देख सकता है, जहां प्लाक निर्माण हो रखा हो। सामान्य प्रक्रियाओं में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

एंजियोप्लास्टी (Angioplasty): एंजियोप्लास्टी में एक गुब्बारे का उपयोग करके या जमे हुए प्लाक को हटाकर अवरुद्ध धमनी को खोला जाता है।

स्टेंट (Stent): स्टेंट एक तार की जाली से बनी ट्यूब है जिसे एंजियोप्लास्टी के बाद धमनी को खुला रखने के लिए धमनी में डाला जाता है।

हार्ट बायपास सर्जरी (Heart Bypass Surgery): इसमें चिकित्सक द्वारा रुकावट वाले क्षेत्र के आसपास रक्त को पुन: प्रवाहित किया जाता है।

हृदय प्रत्यारोपण: यह किसी गंभीर स्थिती में किया जाता है, जब दिल का दौरा पड़ने से दिल के अधिकांश हिस्से में स्थायी ऊतकों की मृत्यु हो जाती है।

आपात स्थिति के लिए तैयार रहें और छाती में बेचैनी, पसीना आना, सांस फूलना और गर्दन, जबड़े या कंधों में दर्द और पैरों में सूजन जैसे मामूली लक्षणों को नज़रअंदाज न करें। अचानक सीने में दर्द या ऐसी किसी भी घबराहट की शिकायत पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।

संदर्भ:
1.https://www.healthline.com/health/heart-attack
2.https://bit.ly/2AOTANh

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.