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पौधे का कोई भी हिस्सा जैसे फल, बीज, तना, छाल, फूल, पत्ती, घास या जड़ ‘हर्ब (Herb) या जड़ी-बूटी’ कहलाता है जिनका उपयोग उनके औषधीय और स्वास्थ्य बढ़ाने वाले गुणों के लिए किया जाता है। पीढ़ियों से कुशल हर्बल चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और विद्वानों ने जड़ी-बूटियों के इस विशाल विज्ञान को परिष्कृत करने के साथ-साथ इस पर कई परीक्षण भी किये हैं, और हमारे लिये हजारों पौधे पर आधारित सुरक्षित और प्रभावी उपचार तैयार किये हैं।
दुनिया के लगभग हर हिस्से और कई अलग-अलग संस्कृतियों में प्राचीन काल से ही इन जड़ी बूटियों का भोजन और औषधीयों में प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि भारत में हम जड़ी बूटी विज्ञान को ‘आयुर्वेद’ के नाम से जानते हैं, परंतु यूरोप और यू.एस.ए. की पश्चिमी दुनिया में, ग्रीक और रोमियों द्वारा उपयोग की जाने वाली पुरानी लैटिन भाषा में इसे ‘मटेरिया मेडिका’ (मटेरिया मेडिका शरीर के उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी पदार्थ के उपचारात्मक गुणों के बारे में एकत्रित ज्ञान है) नाम से जाना जाता है।
प्राचीन सभ्यता में भारत औषधीय पौधों के समृद्ध भंडार के रूप में जाना जाता था। इस भंडार में से आज हम आपको एक ऐसी जड़ी-बूटी के बारे में बताएंगे जिसके बारे में आधिकांश लोग सिर्फ ये जानते हैं कि इनका उपयोग केवल पूजा अर्चना में ही किया जाता है।
कमल हमारी सांस्कृतिक परंपरा का पौधा है। इसके साथ ही इसमें अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसके बीज, तना, फूल, तथा जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। औषधीय रूप से, कमल, विटामिन बी (Vitamin B), आयरन (Iron), विटामिन सी (Vitamin C), फॉस्फोरस (Phosphorous), मैंगनीज (Manganese), पोटेशियम (Potassium), सोडियम (Sodium) और फाइबर (Fibre) जैसे आवश्यक तत्वों समृद्ध होता है। इसी कारण पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों जैसे यूनानी, आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा में कमल का नियमित रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। कफ, पित्त, खून सम्बंधित बीमारी, जलन, फोड़ा, मन मिचलना, दस्त, पेचिश, मूत्र रोग, त्वचा रोग, बुखार, कमज़ोरी, रक्तस्राव आदि में इसका प्रयोग लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों के औषधीय उपचार
1. दस्त से राहत:
ये पारंपरिक चीनी चिकित्सा में कमल के सबसे आम उपयोगों में से एक है। इसके लिए, कमल के बीज को कुछ घंटों तक गर्म पानी में भिगो दें और बाद में शक्कर तब तक मिलाएं जब तक कि इसका स्वाद आपको पसंद न आए। कमल की जड़ों का उपयोग भी दस्त और पेचिश से राहत के लिये किया जाता है, और कमल की जड़ को पानी में पीसकर लेप करने से दाद तथा अन्य त्वचा रोगों का उपचार होता है।
2. सिर दर्द व त्वचा (दाद) उपचार:
कमल की पत्तियों से सिर दर्द के साथ-साथ तीव्र बुखार में राहत मिलती है। त्वचा के रोग और मूत्र रोग के लिये भी कमल की पत्तियां लाभकारी होता है।
3. वमन (उल्टी):
कमल के बीजों से उल्टी बंद होती है, और ये बच्चों में मूत्र प्रवाह बढ़ाने में भी सहायक है।
4. रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिये:
कमल की जड़ में फाइबर और जटिल कार्बोहाइड्रेट होते हैं। ये दो घटक आपके शरीर के कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा को कम करने में मदद करते हैं।
5. सूजन से छुटकारा:
हाल के शोध से पता चलता है कि लाल और सफेद कमल दोनों किस्मों के बीज सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
*ऊपर दिए गए सभी उपचार शैक्षिक उद्देश्य के लिए हैं ना कि आज़माने लायक सिद्ध उपचार हैं। गलत खुराक इलाज के बजाय, आपको दुष्प्रभाव और नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए कोई भी उपचार अपनाने से पहले योग्य और प्रशिक्षित आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डॉक्टरों से सलाह ज़रूर करें।
कमल का वानस्पतिक नाम नेलम्बो न्यूसिफ़ेरा (Nelumbo nucifera) है, और अलग अलग भाषाओं में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है:
संस्कृत- अब्ज
असमी- पोदुम
बंगाली- कोम्बोल
गुजराती- सूर्यकमल
कन्नड़- कमल
कोंकणी- कमल
फारसी- निलुफा
तमिल- अम्बल
तेलुगु- कलुंग
उर्दू- नीलूफर
पंजाबी- पम्पोश
उड़िया- पदम
सिंधी- पब्बान
मलयालम- तमारा
मराठी- कमल
संदर्भ:
1. अंग्रेज़ी पुस्तक: Kurian, J. C. (1995) Plants that Heal, Oriental Watchman Publishing House
2. http://www.medicinehunter.com/about-plant-medicines
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Materia_medica
4. https://www.healthline.com/health/8-uses-for-lotus#diarrhea
5. https://gardencollage.com/heal/botanical-medicine/medicinal-wonders-lotus-flower/
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