समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 961
मानव व उसके आविष्कार 744
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
आज मृदा अपरदन या मिट्टी के कटान की समस्या काफी गंभीर होती जा रही है। यह समस्या पहाड़ों की अपेक्षा नदियों के किनारे तीव्रता से बढ़ रही है। अक्सर हम समाचारों में भी सुनते आ रहे हैं कि 'नदी में जल का स्तर बढ़ने से कटान होना शुरू हो गया है'। चलिए जानते हैं वास्तव में ये कटान है क्या और क्या हैं इसके प्रमुख कारण : मृदा अपरदन : पानी, हवा (प्रमुख कारक) और अनेक अन्य कारकों के दबाव के कारण जब मिट्टी अपने मूल स्थान से कट जाती है या खिसक जाती है, तो उसे मृदा अपरदन कहा जाता है। ये दो प्रकार के होते हैं भूगर्भीय मृदा क्षरण, त्वरित मृदा क्षरण।
मृदा अपरदन के प्रमुख कारण:
जल द्वारा कटाव
1. बहते जल द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत का कटाव इसे शीट कटाव कहा जाता है। यह अत्यंत हानिकारक होता है क्योंकि ये मृदा की उर्वर सतह को बहा कर ले जाता है।
2. शीट कटाव के बाद मृदा के ऊपर छोटी छोटी दरांरे दिखाई देती हैं जो बढ़ती और गहरी होती जाती हैं जो फसलों की पैदावार में कमी लाती हैं। इसे रील कटाव कहा जाता है।
3. नदियों के किनारे तीव्र धाराप्रवाह के कारण मृदा का क्षरण तीव्रता से होता है।
4. ज्वारीय लहरें भी तटीय मृदा को क्षति पहुंचाती हैं।
5. तीव्र वर्षा के कारण पहाड़ी क्षेत्रों की मृदा अपने स्थान से खिसकने लगती हैं, तो वहीं रेगिस्तान में शुष्क हवा के कारण मिट्टी अपना स्थान छोड़ देती है।
मानवीय गतिविधियों द्वारा मृदा का क्षरण-
1. जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण वनों का अंधाधून कटान हो रहा है जिस कारण मृदा की पकड़ ढीली हो जाती है और वह जल को तीव्रता से अवशोषित करती है। जिससे मृदा अपरदन तीव्रता से बढ़ जाता है।
2. चारागाह में विस्तार के कारण पहाड़ी क्षेत्र बंजर हो जाते हैं जिससे हवा आसानी से मिट्टी को उसके स्थान से स्थानांतरित कर देती है।
3. पारंपरिक सीढ़ी नुमा खेत भी मिट्टी की पकड़ को कमजोर बनाते हैं।
4. भूमि की उर्वरकता बढ़ाने के लिए अनावश्यक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भी मृदा को कमजोर बनाता है।
कारण कोई भी हो किंतु मृदा क्षरण भविष्य के लिए विकट समस्या बनती जा रही है। इसकी हानि ज्यादातर किसानों को भूगतनी पड़ती है, भारत अब तक 80,000 हेक्टेयर खेती की भूमि मृदा क्षरण के कारण खो चुका है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के प्रायद्वीप के अर्ध शुष्क क्षेत्रों में रील कटाव सक्रिय है। हाल ही में रामपूर के निकट कोसी नदी से हुए मृदा कटान से किसानों की फसलें नष्ट हो गयीं। गन्ना किसानों को अपनी फसल पशुओं को खिलानी पड़ी।
हमें इस विषय में अपनी थोड़ी जगरूकता दिखानी होगी जमीनो में केवल खेती ना करके उसमें कुछ पेड़ों को भी उगाना चाहिये ताकि पेड़ों की जड़ें मिट्टी को पकड़ के रख सकें। साथ ही नदियों के किनारे भी पेड़ों को उगाना चाहिये।
1. http://www.shareyouressays.com/essays/soil-erosion-in-india-types-and-causes-essay/120613
2. https://www.techgape.com/2015/08/soil-erosion-causes-and-remedies.html#post-page-number-1
3. https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/rampur/water-decrease-of-kosi-in-rampur
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.