क्यों और कैसे किया जाये जनसँख्या को संतुलित?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
14-08-2018 02:04 PM
क्यों और कैसे किया जाये जनसँख्या को संतुलित?

एक देश की असली संपत्ति उसके लोग होते हैं। यह वे लोग होते हैं जो देश के संसाधनों का उपयोग करते हैं और इसकी नीतियों का अनुसरण करते हैं। आखिरकार एक देश अपनी जनता द्वारा ही जाना जाता है। 21वीं शताब्दी के आरंभ में दुनिया में लगभग 6 अरब से अधिक आबादी की उपस्थिति को दर्ज किया गया। प्राचीन काल से ही जनसंख्या का अध्ययन कुछ निश्चित सिद्धांतों पर आधारित है। यहां हम भारत और दुनिया में जनसंख्या वृद्धि के माल्थस द्वारा दिए गए सिद्धांत के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।

माल्थस सिद्धांत:
थॉमस रॉबर्ट माल्थस एक अंग्रेज़ी विद्वान थे और साथ ही राजनीतिक अर्थव्यवस्था और जनसांख्यिकी के क्षेत्र में प्रभावशाली थे। वे आबादी के आंकड़ों का विश्लेषण करने में निपुण रहे इसलिए उनका आबादी पर सूत्रीकरण जनसंख्या सिद्धांतों के इतिहास में एक सीमा चिह्न बन गया था। उन्होंने आबादी के कारकों और सामाजिक परिवर्तन के बीच संबंधों को सामान्यीकृत किया।

वर्ष 1798 में प्रकाशित अपने ‘प्रिंसिपल ऑफ़ पॉपुलेशन’ (Principle of Population) नामक निबंध में उन्होंने एक ओर तो जनसंख्या की वृद्धि एवं जनसांख्यिकीय परिवर्तनों (Demographic changes) का तथा दूसरी ओर सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिवर्तनों का उल्लेख किया। माल्थस ने देखा कि देश के खाद्य उत्पादन में वृद्धि ने जनसंख्या के कल्याण में सुधार किया है, लेकिन सुधार अस्थायी था क्योंकि इससे जनसंख्या में वृद्धि हुई। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि खाद्य आपूर्ति एक अंकगणितीय प्रगति (1,2,3,4, और इसी तरह) के रुप मे बढ़ती है, जबकि जनसंख्या एक ज्यामितीय प्रगति (1, 2, 4, 8, और इसी तरह) के रुप मे विस्‍तारित होती है।

माल्थस ने अपने निबंध मे यह भी तर्क दिया कि यदि भोजन की उपलब्धता की तुलना में अधिक आबादी होगी तो कई लोग भोजन की कमी से मर जाएंगे। उन्होंने सिद्धांत दिया कि यह सुधार, सकारात्मक जांच (जो मृत्यु दर को बढ़ाती है, जैसे बाढ़, भूकंप, युद्ध, और अकाल) और निवारक जांच (जो जन्म दर को कम करते हैं जैसे जन्म नियंत्रण, विवाह देर से करना और अविवाहित जीवन व्यत्ति करना) के रूप में होगा। उनके हिसाब से प्राकृतिक आपदाओं से कई बार जनसँख्या अपने आप संतुलित हो जाती है और यदि ऐसा नहीं होता है तो इसके लिए मानव को ही कुछ नियंत्रण के कदम उठाने होंगे।

इस सुंदर पृथ्वी में सुकून से रहने के लिए हमें अपनी खपत और संख्याओं मे कटौती करने की आवश्यकता है, क्योंकि हमारे पास इसके आलवा अन्य कोई विकल्प नहीं है। तथा ऐसे अध्ययनों को भारत जैसे बढ़ती आबादी वाले देश में किये जाने की सख्त ज़रूरत है।

संदर्भ:
1.http://www.worldometers.info/world-population/india-population/
2.http://archive.worldmapper.org/posters/worldmapper_map2_ver5.pdf
3.http://www.yourarticlelibrary.com/population/theories-of-population-malthus-theory-marxs-theory-and-theory-of-demographic-transition/31397
4.https://www.youtube.com/watch?v=QkQUC63CDew
5.https://www.intelligenteconomist.com/malthusian-theory/

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.