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वस्त्र उद्योग की बात की जाए तो भारत का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण इतिहास इसके साथ बसा हुआ है। मुंबई में आज भी अनेकों कपड़े के मिल (Mill) के अवशेष दिखाई देते हैं। रामपुर भी कपड़े के उद्योग के लिए जाना जाता था क्यूंकि यहाँ पर रज़ा टेक्सटाइल्स का उद्योग भारत के प्रतिष्ठित कपड़े के कारखानों में गिना जाता था। आज वर्तमान में भी रामपुर में कपड़े का कार्य बड़े पैमाने पर किया जाता है।
वर्तमान में कपड़ा एक महत्वपूर्ण बाजार के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। मशीनों के प्रयोग से कपड़े के उद्योग में तीव्रता आई है। विभिन्न रोबोटों (Robot) द्वारा कपड़े का उत्पादन किया जा रहा है जिससे बड़ी संख्या में कपड़ों का उत्पादन हो जाता है। अब ऐसे में कृत्रिम कपड़ों का निर्माण भी हो रहा है। रामपुर में आरी व ज़री-ज़रदोजी का कार्य बड़े पैमाने पर किया जाता है, परन्तु मशीनों आदि के आ जाने से यहाँ के बाज़ार पर गहरी मार पड़ी है।
यह माहौल समझने के लिए हस्त शिल्प को समझने की आवश्यकता है। जैसा की हस्त शिल्प की वस्तुएं की किसी एक विशेष समय पर ही प्रयोग होता है तो यह रोजमर्रा के जिंदगी से दूर हो जाता है। इस कारण इसका प्रयोग लोग कम ही करते हैं। इस कारण जो की मुख्य शिल्पकार हैं वही इस क्षेत्र में चल पाते हैं और छोटे-मोटे शिल्पकार काल कवलित हो जाते हैं। वस्त्र का कारोबार जनसंख्या के आधार पर बड़े पैमाने पर बढ़ता है, हाल ही में कपड़े के विकास में वृद्धि देखने को मिली है और बड़े-बड़े व्यापार इस क्षेत्र में आ रहे हैं।
परन्तु, भविष्य कि ओर प्रवृत्तियों को देखकर यह समझ आता है कि जैसा की कपड़े का उद्योग एक प्रदुषण उत्पादन करने वाला भी उद्योग है, इस प्रकार से कपड़े के व्यापार में सतत प्रयत्न किये जा रहे हैं जो की इसको कम प्रदूषित और पुनर्निर्मित बनाया जा सके। अतः उपरोक्त सभी बिन्दुओं को देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है की आने वाले समय में मशीनों का आधिपत्य कपड़ा उद्योग में मुख्य भूमिका का निर्वहन करेगा। पर्यावरण को ध्यान में रखकर वस्त्रों का निर्माण किया जाता है जो की मशीनों द्वारा होता है ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि रामपुर के कपड़ा निर्माण में कुछ बिन्दुओं पर नज़र दी जाए।
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