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हमारे प्यारे रामपुर वासियों, क्या आप कंबल के बिना सर्दियों की कल्पना कर सकते हैं? निश्चित रूप से नहीं। भारत में कंबल, जो कि मुख्य रूप से सर्दियों में उपयोग की जाने वाली वस्तु है, का विनिर्माण उद्योग विशाल और विविधतापूर्ण है। यह विनिर्माण उद्योग, घरेलू और वैश्विक बाज़ारों के लिए ऊनी, सूती और सिंथेटिक कंबल का उत्पादन करता है। पानीपत, जिसे अक्सर "बुनकरों का शहर" कहा जाता है, भारत में कंबल निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ के कंबलों को उनकी गुणवत्ता और विविधता के लिए जाना जाता है, और कई प्रमुख कंबल निर्माता इसी क्षेत्र से आते हैं। पानीपत के अलावा लुधियाना, अमृतसर, सूरत और जयपुर जैसे शहर भी अपने कंबलों के लिए मशहूर हैं। आज भारत में कई निर्माता ऐसे कंबल बनाने के लिए उन्नत बुनाई तकनीकों का उपयोग करते हैं जो अपनी गुणवत्ता और दिखावट दोनों में सबसे अलग हैं। बुनाई की प्रक्रिया में अत्याधुनिक मशीनरी का उपयोग किया जाता है। इन मशीनों से प्रत्येक कंबल में सही बनावट और मोटाई आती है, जो उपयोगकर्ता को बेजोड़ आराम प्रदान करती है। कपड़ा बुन जाने के बाद उसे रंगाई और छपाई प्रक्रिया से गुज़रना होता है। इस प्रक्रिया में जीवंत रंग और जटिल पैटर्न लागू किए जाते हैं। वर्तमान समय में कंबल उत्पादनकर्ता, पर्यावरण के अनुकूल रंगों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं, पर्यावरणीय सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कतरनी, ब्रशिंग और एम्बॉसिंग (embossing) जैसी तकनीकें, कंबल को उसका आलीशान एहसास के साथ एक शानदार रूप देते हैं। तो आइए, आज कुछ चलचित्रों के माध्यम से यह समझने की कोशिश करें कि भारत में कंबल कैसे बनाए जाते हैं। सबसे पहले हम पानीपत में मौजूद एक कंबल के कारखाने का दौरा करेंगे। फिर हम, इनकी निर्माण प्रक्रिया को विस्तार से समझाने वालीं कुछ वीडियो क्लिप्स देखेंगे। अंत में, एक अन्य चलचित्र के माध्यम से, हम सीखेंगे कि अपना खुद का कंबल निर्माण व्यवसाय कैसे शुरू किया जा सकता है। साथ ही, हम इस व्यवसाय के फ़ायदे और नुकसान, इसके लिए आवश्यक निवेश, लाभ मार्जिन आदि जैसी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
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