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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कुछ ऐसे महानायक हुए, जिनकी लेखनी और नेतृत्व ने आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी। मुहम्मद अली जौहर (Mohammad Ali Jauhar) भी ऐसे ही क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं। उनका जन्म 1878 में उत्तर-पश्चिमी प्रांत के रामपुर में हुआ था। उनके बड़े भाई, शौकत अली (Shaukat Ali), भी स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानियों में शामिल थे। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये दोनों सिर्फ़ क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि प्रख्यात पत्रकार और शिक्षाविद् भी थे? मुहम्मद अली ने अपने विचार जनता तक पहुँचाने के लिए "कॉमरेड" और "हमदर्द" जैसे प्रभावशाली अख़बारों की स्थापना की। यही नहीं, 1920 में जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) विश्वविद्यालय की स्थापना में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दूसरी ओर, शौकत अली ने असहयोग आंदोलन का नेतृत्व कर अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ़ मोर्चा खोला। आज भी रामपुर में मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय, उनके नाम पर बनी सड़कें और विभिन्न स्मारक उनकी विरासत को जीवित रखते हैं। उनके सम्मान में आयोजित शैक्षिक कार्यक्रमों और स्मृति आयोजनों के ज़रिए उनके योगदान को याद किया जाता है। आज के इस लेख में हम अली बंधुओं के जीवन, संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को विस्तार से जानेंगे। साथ ही, महात्मा गांधी और अली बंधुओं के आपसी संबंध को भी समझेंगे। इसके अलावा, हम मुहम्मद अली जौहर के व्यक्तित्व, उनके जीवन दर्शन, काव्य प्रतिभा और साहित्यिक योगदान पर भी चर्चा करेंगे।
"दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल तेरी क़ज़ा के बाद...
है इब्तेदा हमारी तेरी इंतेहा के बाद..."
(अर्थ: ज़िंदगी फिर से तब शुरू होगी, जब तानाशाह का अंत होगा। हमारी शुरुआत तुम्हारी सीमा के बाद होगी।)
इन पंक्तियों को मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने लिखा था। उनकी कलम में ऐसा जादू था कि उनके शब्द लोगों के दिलों को झकझोर देते थे। जौहर का बचपन रामपुर की समृद्ध काव्य परंपरा में बीता, जहां चार बैत की शायरी का रिवाज था। इस माहौल ने उनकी भाषा और अभिव्यक्ति को निखार दिया। आगे चलकर उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में शिक्षा प्राप्त की, जो उस समय मुस्लिम युवाओं के लिए बौद्धिक बहस और विचारों का केंद्र था। यहीं पर उनकी अंग्रेज़ी पर गहरी पकड़ बनी, जिससे उनके लेखन और भाषण अत्यधिक प्रभावशाली हो गए।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर का जीवन संघर्ष, शिक्षा और उपलब्धियों का प्रतीक है। जब वे केवल पाँच वर्ष के थे, तभी उनके पिता अब्दुल अली ख़ान का निधन हो गया। पिता को कम उम्र में खोने के बावजूद, उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। पहले उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। 1898 में, वे इंग्लैंड गए और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) के लिंकन कॉलेज से आधुनिक इतिहास की पढ़ाई की।
भारत लौटने के बाद, जौहर ने रामपुर रियासत में शिक्षा निदेशक के रूप में काम किया, फिर बड़ौदा सिविल सेवा में शामिल हो गए। इसी दौरान उनकी लेखन में रुचि बढ़ी और वे एक प्रभावशाली लेखक, वक्ता और दूरदर्शी राजनीतिक नेता बन गए। उन्होंने द टाइम्स (लंदन) (The Times (London)), द मैनचेस्टर गार्डियन (The Manchester Guardian) और द ऑब्ज़र्वर (The Observer) जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों में लेख लिखे, जिनमें उनकी स्पष्ट सोच और बेबाक विचार झलकते थे।
जौहर ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (जो उस समय मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज (Muhammadan Anglo-Oriental College) के नाम से जाना जाता था) के विस्तार के लिए कड़ी मेहनत की। 1920 में, वे जामिया मिलिया इस्लामिया के सह-संस्थापकों में शामिल हुए। बाद में, यह विश्वविद्यालय दिल्ली स्थानांतरित हुआ और शिक्षा व सामाजिक सुधार का एक प्रमुख केंद्र बन गया।
आइए अब एक नज़र शौकत अली जौहर के जीवन और करियर पर डालते हैं:
मौलाना मोहम्मद अली जौहर और शौकत अली का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक गौरवशाली अध्याय है। उनकी कलम और नेतृत्व ने देशवासियों में जागरूकता और संघर्ष का जज़्बा पैदा किया। पत्रकारिता, शिक्षा और राजनीति के माध्यम से उन्होंने अंग्रेज़ी हुकूमत को खुली चुनौती दी। खिलाफ़त आंदोलन (Khilafat Movement) और असहयोग आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
आज भी उनके विचार और योगदान प्रेरणा का स्रोत हैं। जौहर की साहित्यिक प्रतिभा और शौकत अली का नेतृत्व संघर्षशील भारत का प्रतीक बन गया। उनकी स्मृति में आयोजित कार्यक्रम और उनके नाम पर बने संस्थान उनके अमर योगदान को जीवित रखते हैं। अली बंधुओं का त्याग, साहस और समर्पण आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरित करता रहेगा।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/23rcw3xz
https://tinyurl.com/23rcw3xz
https://tinyurl.com/2bpwx64h
https://tinyurl.com/2cuuxfqe
मुख्य चित्र: रामपुर में जन्मे और प्रख्यात स्वतंत्रा सैनानियों के रूप में प्रासदिधअली बंधुओं की एक तस्वीर (Wikimedia)
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