रामपुर के लोगों, आइए नज़र डालें, पुराने ज़माने मैं कैसे मनाया जाता था अजमेर का उर्स उत्सव

द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना
23-02-2025 09:16 AM
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रामपुर के लोग, इस बात से भली-भांति विदित हैं कि, अजमेर का उर्स उत्सव (Urs Festival), आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण उत्सव है और  सूफ़ी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) को श्रद्धांजलि देने का एक माध्यम है। यह  हर साल छह दिनों तक मनाया जाता है और राजस्थान में एक प्रमुख उत्सव है।  छह दिनों तक चलने वाला यह भव्य त्यौहार, कव्वाली के साथ पूरी रात चलता है। उर्स शब्द 'उरूस' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'किसी व्यक्ति की ईश्वर से अंतिम मुलाकात'। ऐसा कहा जाता है कि  ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने अपने जीवन के अंतिम छह दिन हुज़ा (प्रार्थना के लिए एक कमरा) में एकांत में बिताए थे और छठे दिन, उन्होंने अपनी दिव्य आत्मा को त्याग दिया था। इस समय के दौरान, हज़ारों अनुयायी, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस पवित्र स्थान पर आते हैं। हर श्रद्धालु को 'खीर' नामक एक मीठा व्यंजन परोसा जाता है। इस भव्य उत्सव  छटे दिन को सबसे भाग्यशाली और विशेष  माना जाता है और इसे "छठी शरीफ़" के नाम से जाना जाता है।  यह दिन, मज़ार शरीफ़ (अजमेर शरीफ़ दरगाह) के अंदर मनाया जाता है। छठी  शरीफ़ के बंद होने से ठीक पहले, इस दरगाह के मुख्य प्रवेश द्वार पर प्रशंसा की एक कविता गाई जाती है,  जिसे ‘बधावा’ के नाम से जाना जाता है। तो आइए, आज हम, इन चलचित्रों के माध्यम से दरगाह ख़्वाजा गरीब नवाज़ के कुछ दुर्लभ और ऐतिहासिक दृश्य देंखे तथा इस उत्सव के इतिहास और महत्व को विस्तार से समझने की कोशिश करें। हम इस दरगाह के एक दृश्य को देखेंगे, जो 1956 के उर्स का है। फिर हम, 1937 में अजमेर शहर की एक वास्तविक फ़ुटेज देखेंगे और  जानेंगे कि तब उर्स कैसे मनाया जाता था। अंत में हम पंडित जवाहरलाल नेहरू के इस दरगाह पर ज़ियारत करने  का एक अन्य चलचित्र भी देखेंगे।

 

संदर्भ:

https://tinyurl.com/mujj87r5

https://tinyurl.com/28epx7nu

https://tinyurl.com/3nx2baru

https://tinyurl.com/yax6kcpf

https://tinyurl.com/mbhfybv2

https://tinyurl.com/y782cdbh      
 

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