भगवान गौतम बुद्ध के जन्म से सम्बंधित जातक कथाएं सिखाती हैं बौद्ध साहित्य के सिद्धांत

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
17-05-2022 09:49 AM
भगवान गौतम बुद्ध के जन्म से सम्बंधित जातक कथाएं सिखाती हैं बौद्ध साहित्य के सिद्धांत

प्रतिवर्ष बैसाख माह की पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के जन्मदिन को बुद्ध पूर्णिमाया वैसाखी बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक के रूप में मनाया जाता है।हिंदू पंचांग के अनुसार, बुद्ध जयंती वैशाख (जो आमतौर पर अप्रैल या मई में पड़ती है) के महीने में पूर्णिमा के दिन आती है।इस वर्ष भगवान बुद्ध की 2584वीं जयंती है। यह वास्तव में एशियाई चंद्र-सौर पंचांग पर आधारित होता है, जिस वजह से ही प्रत्येक वर्ष बुद्ध पूर्णिमा की तारीखें बदलती रहती हैं। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी (वर्तमान में नेपाल) में पूर्णिमा तिथि पर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के रूप में हुआ था।भगवान बुद्ध ने पूरी दुनिया को करुणा और सहिष्णुता के मार्ग के लिए प्रेरित किया और यह दिन मानवता औऱ सभी जीवों के सम्मान पर केंद्रित है।
भारत में बौद्ध धर्म से जुड़ी जातक कथाएं काफी लोकप्रिय और कई लोगों द्वारा पसंद की जाती है। पवित्र बौद्ध साहित्य के सिद्धांत के एक हिस्से के रूप में कुछ 550 उपाख्यानों और दंतकथाओं का यह संग्रह पहले के अवतारों कभी-कभी एक जानवर के रूप में, कभी-कभी एक इंसान के रूप में सिद्धार्थ गौतम (जो भविष्य में बुद्ध बनें) को दर्शाता है। जातक कथाएँ (जातक कथाएँ साहित्य की कृतियाँ हैं जो गौतम बुद्ध के पिछले जन्मों के बारे में बताती है। उनके जीवन के इस जन्म में वे मानव के साथ-साथ पशु रूप में भी अपना जीवन व्यतीत करते थे।) 300 ईसा पूर्व और 400 ईस्वी के बीच की हैं। इसमें कई कथाएं बनारस में या उसके आस-पास स्थापित हैं।दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक, वाराणसी हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थान है।इसके आस पास बौद्धों और मुसलमानों के भी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल मौजूद हैं। परंपरा के अनुसार, बुद्ध ने इस शहर से कुछ ही दूरी पर सारनाथ में अपनी शिक्षा को शुरू किया था।
जातक कथाएं मूल रूप से प्राकृत भाषाओं और संस्कृत के विभिन्न रूपों (शास्त्रीय से बौद्ध संकर संस्कृत तक) में प्रसारित किए गए थे। फिर उनका अनुवाद मध्य एशियाई भाषाओं (जैसे खोतानीस (Khotanese), टोचरियन (Tocharian), उइघुर (Uighur) और सोग्डियन (Sogdian)) में किया गया।तिब्बती (Tibetan) और चीनी बौद्ध सिद्धांतों के लिए विभिन्न जातक कहानियों और स्रोत ग्रंथों का चीनी और तिब्बती में अनुवाद भी किया गया था।वे चीनी में अनुवादित किए जाने वाले पहले ग्रंथों में से थे। कांग सेनघुई (Kang Senghui -जिन्होंने नानकिंग 247 ईसवी में काम किया था) जातक के पहले चीनी अनुवादकों में से एक थे। शायद उनका सबसे प्रभावशाली अनुवाद सिक्स परफेक्शन (Six Perfections) के संग्रह का धर्म पुस्तक है।विभिन्न भारतीय बौद्ध विद्यालयों में जातकों के विभिन्न संग्रह थे। सबसे बड़ा ज्ञात संग्रह थेरवाद स्कूल का जातकत्थवन्नान (Jatakatthavannana) है।थेरवाद बौद्ध धर्म में, जातक पाली सिद्धांत का एक शाब्दिक विभाजन है, जो सुत्त पिटक (Sutta Pitaka) के खुदाका निकाय (Khuddaka Nikaya) में शामिल है।जातक शब्द इस पुस्तक पर पारंपरिक टिप्पणियों का भी उल्लेख करता है।जातकों पर आधारित एक कहानी निम्नलिखित है:
सोने का हंस -जातक कथा
एक बार जब ब्रह्मदत्त वाराणसी में शासन कर रहे थे, तब एक बोधिसत्व नामक ब्राह्मण का जन्म हुआ, और बड़े होकर उसकी शादी अपने ही पद की एक दुल्हन से हुई, उसकी नंदा, नंदा-वती और सुंदरी-नंदा नाम की तीन बेटियाँ थी। मरणोपरान्त उस गृहस्थ का पुनर्जन्म एक स्वर्ण हंस के रुप में हुआ। पूर्व जन्म के उपादान और संस्कार उसमें इतने प्रबल थे कि वह अपने मनुष्य-योनि के घटना- क्रम और उनकी भाषा को विस्मृत नहीं कर पाया। पूर्व जन्म के परिवार का मोह और उनके प्रति उसका लगाव उसके वर्तमान को भी प्रभावित कर रहा था । एक दिन वह अपने मोह के आवेश में आकर वाराणसी को उड़ चला जहाँ उसकी पूर्व-जन्म की पत्नी और तीन बेटियाँ रहा करती थीं।घर के मुंडेर पर पहुँच कर जब उसने अपनी पत्नी और बेटियों को देखा तो उसका मन खिन्न हो उठा क्योंकि उसके मरणोपरान्त उसके परिवार की आर्थिक दशा दयनीय हो चुकी थी।
उसकी पत्नी और बेटियाँ अब सुंदर वस्रों की जगह चिथड़ों में दिख रही थीं । वैभव के सारे सामान भी वहाँ से तिरोहित हो चुके थे। फिर भी पूरे उल्लास के साथ उसने अपनी पत्नी और बेटियों का आलिंगन कर उन्हें अपना परिचय दिया और वापिस लौटने से पूर्व उन्हें अपना एक सोने का पंख भी देता गया, जिसे बेचकर उसके परिवार वाले अपने दारिद्र्य को कम कर सकें।इस घटना के पश्चात् हँस समय-समय पर उनसे मिलने वाराणसी आता रहा और हर बार उन्हें सोने का एक पंख दे कर जाता था।बेटियाँ तो हंस की दानशीलता से संतुष्ट थी मगर उसकी पत्नी बड़ी ही लोभी प्रवृत्ति की थी। उसने सोचा क्यों न वह उस हंस के सारे पंख निकाल कर एक ही पल में धनी बन जाये। बेटियों को भी उसने अपने मन की बात कही। मगर उसकी बेटियों ने यह सोच कि इस से हंस को काफी पीड़ा होगी, तो इसलिए इसका कड़ा विरोध किया।अगली बार जब वह हंस वहाँ आया तो संयोगवश उसकी बेटियाँ वहाँ नहीं थी। उसकी पत्नी ने तब उसे बड़े प्यार से पुचकारते हुए अपने करीब बुलाया। हंस खुशी खुशी अपनी पत्नी के पास चला गया और तब उसकी पत्नी ने बड़ी बेदर्दी से उसकी गर्दन पकड़ उसके सारे पंख एक ही झटके में नोच डाले और खून से लथपथ उसके शरीर को फेंक दिया। फिर जब वह उन सोने के पंखों को समेटना चाह रही थी तो उसके हाथों सिर्फ साधारण पंख ही लग सके क्योंकि उस हंस के पंख उसकी इच्छा के प्रतिकूल नोचे जाने पर साधारण हंस के समान हो जाते थे।स्वभावत: उसके पंख फिर से आने लगे। मगर अब वे सोने के नहीं थे। जब हंस के पंख इतने निकल गये कि वह उड़ने के लिए समर्थ हो गया, तब वह उस घर से उड़ गया। और कभी भी वाराणसी में दुबारा दिखाई नहीं पड़ा।
जातक चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास के सबसे पुराने बौद्ध साहित्य में से एक है। बुद्ध के पिछले जीवन की इन पौराणिक आत्मकथाओं में 547 कविताएँ शामिल हैं जिन्हें मोटे तौर पर छंदों में एक साथ रखा गया है।आंध्र प्रदेश क्षेत्र में एक संप्रदाय, महासंघिका चैतिका ने जातक कथाओं के मूल संग्रह पर दावा किया है; हालांकि, दावे के संबंध में कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है।साथ ही, महाराष्ट्र की अजंता की गुफाओं में आर्य शूरा के जातक दृश्यों के उद्धरणों के शिलालेख पाए जाते हैं।"द ऐस इन द लायन्स स्किन (The Ass in the Lion’s Skin)," "किंग सिबी (King Sibi)," "द स्वान विद गोल्डन फेदर्स (The Swan with Golden Feathers)," और "फोर हार्मोनियस एनिमल्स (Four Harmonious Animals)," कुछ ऐसी कहानियाँ हैं जो जातकों पर आधारित हैं।
भारत में, हम कुछ कहानियों को पंचतंत्र में अनुवादित और अन्तर्ग्रहण करते हुए देख सकते हैं,
उदाहरण के लिए "द मंकी एंड द क्रोकोडाइल (The Monkey and the Crocodile)," और "द क्रैब एंड द क्रेन (The Crab and the Crane)।" जातक कहानियां संस्कृत और तिब्बती में बौद्ध नैतिकता से जुड़ी हैं। वही कहानियाँ फ़ारसी (Persian) सहित विभिन्न भाषाओं में दोबारा सुनाई गई हैं।भारत में, हमें बौद्ध स्मारकों में पाए जाने वाले स्तूपों पर अंकित जातक कथाओं को देखा भी जा सकता है।उनमें से बहुत से चीनी तीर्थयात्री जुआनज़ैंग (Xuanzang) द्वारा खोजे गए थे। जिनमें से अज्ञात और संदेहास्पद लेखकत्व वाली बहुत सी कथाएं पाली परंपरा में लिखी गई थीं।जातक कथाओं के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि थेरवाद (Theravada) देशों में, इनमें से कई कहानियों का उपयोग नृत्य, पाठ और यहां तक कि रंगमंच में भी किया गया है।
यह प्रथा कई क्षेत्रों में आज भी देखी जा सकती हैं।कहानियां भारत में बनारस के पवित्र शहर में या उसके आसपास आज भी प्रसिद्ध हैं। कहानियों में बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के लिए एक नैतिक सबक शामिल है और सभी को बहुत पसंद आती हैं। आमतौर पर कहानियां बताती हैं कि दोस्ती कैसी होनी चाहिए और धोखा देना, झूठ बोलना या किसी का भरोसा तोड़ना कितना बुरा होता है। भारतीय बच्चों के बीच कुछ अन्यआम कहानियां "सैंडी रोड (Sandy Road)," "पेनी वाइज मंकी (Penny Wise Monkey)," "विंड एंड मून (Wind and Moon)," और "पॉवर ऑफ अफवाह (Power of Rumor) हैं।"

संदर्भ :-
https://bit.ly/3a48DY8
https://bit.ly/3PnMN24
https://bit.ly/3MjGkTP

चित्र संदर्भ
1  लुम्बिनी में बुद्ध के जन्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बौद्ध धर्म को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
3. सुनहरे हंस को दर्शाता एक चित्रण (Stockvault)
4. शाक्यमुनि बुद्ध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चीनी तीर्थयात्री जुआनज़ैंग (Xuanzang) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.