भारतीय ई-कॉमर्स का इतिहास : कैसे महामारी के प्रभाव से देश के ई-कॉमर्स बाजार में देखा गया बदलाव

संचार एवं संचार यन्त्र
10-05-2021 09:59 PM
भारतीय ई-कॉमर्स का इतिहास : कैसे महामारी के प्रभाव से देश के ई-कॉमर्स बाजार में देखा गया बदलाव

कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के कारण उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव को देखा गया है, जिसके चलते ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 तक भारत का ई-कॉमर्स (E-commerce) बाजार 84% बढ़कर 111 बिलियन डॉलर हो जायेगा। उपभोक्ता द्वारा बीमारी के रोगवाहक जैसे कि नकदी और पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल्स (Point of sale terminals) के संपर्क में आने से बचने के लिए ऑनलाइन (Online) खरीदारी की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप ई-कॉमर्स भुगतानों में तेजी से वृद्धि को दर्ज किया गया है, यह कुछ दशक पहले पूरी तरह से अकल्पनीय था। चूंकि तालाबंदी के चलते दुकानों को बंद किया जाना अनिवार्य है, इसलिए दुकानदारों और उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल (Digital) लेन-देन को प्राथमिकता दी जा रही है। वैश्वीकरण के प्रतीक और कई तरह से इसकी भ्रामक विशेषता के रूप में, ई-कॉमर्स इस डिजिटल युग में अत्याधुनिक सफलता का प्रतिनिधित्व करता है।ई-कॉमर्स एक ऐसा व्यवसाय है जो ऑनलाइन या इंटरनेट (Internet) पर किया जाता है। इसकी विशाल पहुंच और लोकप्रियता के कारण, इसने उद्यमियों के व्यवसाय करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है और छोटे व्यवसायों से लेकर बड़े दिग्गजों द्वारा भी इसे अपनाया गया है। भारत में मई 2020 तक लगभग 40% आबादी यानी लगभग 696.77 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार को दर्ज किया गया।दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता आधार होने के बावजूद, संयुक्त राज्य अमेरिका (United States -266 मिलियन, 84%), या फ्रांस (France- 54 मिलियन, 81%) जैसे बाजारों की तुलना में भारत में ई-कॉमर्स का निवेश कम है, लेकिन ये समय के साथ बढ़ रहा है।दरसल भारत में 1995 में इंटरनेट की पेशकश के कुछ समय बाद ही ई-कॉमर्स (e-commerce) की पहली लहर शुरू हुई और भारत में पहली ऑनलाइन “व्यापार से व्यापार” निर्देशिका (B2B), 1996 में शुरू की गई। उस समय ई-कॉमर्स के सबसे आम उपयोगकर्ता ‘व्यापार से व्यापार उपयोगकर्ता’ थे, जैसे कि सूक्ष्म और लघु उद्यम, जिनके पास ग्राहकों के समक्ष खुद को प्रस्तुत करने के लिए पारंपरिक मीडिया (Media) और समाचार पत्रों और टेलीविजन (Television) जैसे संभावित स्रोत के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की कमी थी।

व्यापार से व्यापार निवाहिका के माध्यम से व्यापार ने बाजार में एमएसएमई (MSMEs) की दृश्यता में वृद्धि की और समय, संचार और भूगोल की बाधाओं को दूर करने में भी काफी मदद की। व्यापार से व्यापार गतिविधियों में क्रय और खरीद, आपूर्तिकर्ता प्रबंधन, वस्तुसूची प्रबंधन, भुगतान प्रबंधन, और खुदरा विक्रेताओं और संगठनों के बीच सेवा और समर्थन शामिल है। व्यापार से व्यापार लेनदेन का दायरा भी पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ चुका है, जिसमें निवेश को बढ़ावा देना, शेयरों (Shares) में व्यापार और वित्तीय गठजोड़ को शामिल करना शामिल है।वहीं लगभग 1996 में ही ई-कॉमर्स में “वैवाहिक निवाहिका” (जो भारतीय परिवारों के बीच गठजोड़ की सुविधा के लिए विकसित किए गए थे) के रूप में व्यापार से उपभोक्ता निवाहिका को पेश किया गया था। इस पहल के बाद 1997 में ऑनलाइन "भर्ती निवाहिका" की शुरुआत हुई, जिसके बाद इंटरनेट एक कुशल माध्यम साबित होने लगा, जो नियोक्ताओं और नौकरी चाहने वालों को एक-दूसरे से जुड़ने में सक्षम बनाता था। इसके अलावा, चूंकि यह माध्यम तेज था, इसने प्रिंट मीडिया (Print media) में भी अपनी तीव्रता को बखूबी निभाया। परंतु इंटरनेट को अभी कई पड़ाव पार करने थे, जैसे इसकी गति उपयोगकर्ताओं के लिए बाधा बन रही थी।

2005 में विमानन क्षेत्र में निम्न लागत वाहक की शुरुआत के साथ परिदृश्य में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ, जिससे भारत में हवाई यात्रा को कई गुना बढ़ावा मिला। साथ ही यात्रा संबंधी जानकारी, उड़ान कार्यक्रम और टिकट बुकिंग(Ticket booking) की सुविधा आईसीसी (ICC) निवाहिका के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाने लगी थी। वहीं भारतीय रेलवे ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग और यात्रा संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिए पहले ही अपना पोर्टल (Portal) विकसित कर लिया था। ई- टिकटिंग (E-ticketing) क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर ग्राहकों की संतुष्टि ने ई-खुदरा को प्रोत्साहित किया और 2007 में कई ऑनलाइन वेबसाइट (Websites)शुरू करके ग्राहकों के अनुभवों को समृद्ध करने के लिए व्यवसाइयों के प्रति विश्वास उत्पन्न किया।यात्रा खंड से 2011 तक कुल व्यापार से उपभोक्ता में राजस्व का हिस्सा 81% पर प्रमुख रहा। 2012 से 2013 तक मोबाइल फोन (Mobile phone) के बुनियादी ढांचे के माध्यम से उत्पन्न राजस्व आठ गुना बढ़ गया था। 2012 में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 140 मिलियन से बढ़कर 2013 में 213 मिलियन हो गई और 2016 में 400 मिलियन होने का अनुमान लगाया गया। वहीं ई-कॉमर्स उद्योग को 2017 में 2.4 करोड़ पर सूचित किया गया और इसे भारत में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योग के रूप में मान्यता दी गई। साथ ही 2018 में इसकी बजारी वृद्धि 3850 करोड़ तक हुई।
आज ई-कॉमर्स भारतीय समाज में काफी लोकप्रिय है और यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। जहां वर्तमान समय में प्रत्येक सामान और सेवाएं प्रदान करने वाली वेबसाइटें मौजूद हैं।भारतीय ई-कॉमर्स अधिक से अधिक ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के बाजार में प्रवेश करने के साथ काफी तेज गति से बढ़ रहा है। और जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि कोरोनावायरस महामारी के चलते भारतीय ई-कॉमर्स में पहले की अपेक्षा काफी तेज से वृद्धि को दर्ज किया गया है। सामान्य तौर पर, मौजूदा चलन में तेजी आने से उपभोक्ता सामान्य से अधिक खरीदारी के लिए ऑनलाइन साइटों का उपयोग कर रहे हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/2QPIGT2
https://bit.ly/3eUREpS
https://bit.ly/2PVeyoI
https://bit.ly/3h3PYwY
https://bit.ly/3xYoG1h
https://bit.ly/3vHCZ8g

चित्र संदर्भ:-
1.ई-कॉमर्स तथा कोरोना वायरस का एक चित्रण (freepik, unsplash)
2. ई-कॉमर्स का एक चित्रण (freepik)
3. ई-कॉमर्स का एक चित्रण (freepik)
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