समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 943
मानव व उसके आविष्कार 741
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
मेरठ का सेंट जॉन चर्च (St. John's Church) उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च है, जिसे 1819 से 1821 में बनाया गया था। सेंट जॉन यीशु के धर्म गुरू थे। सेंट जॉन की माता सेंट एलिजाबेथ (St. Elizabeth), यीशु की माँ मैरी (Mary) की रिश्तेदार थी। 25 मार्च को स्वर्गदूत गेब्रियल (Gabriel) ने घोषणा में मैरी को बताया कि वह एक पुत्र (यीशु) को जन्म देगी, इस समय तक एलिजाबेथ छह महीने की गर्भवती थी। मैरी ने जब घोषणा की बात एलिजाबेथ को बतायी तो उनके गर्भ में मौजूद सेंट जॉन ने जोर से प्रतिक्रिया की। यह घोषणा यीशु के जन्म दिवस क्रिसमस (Christmas) से ठीक नौ महीने पहले हुई थी। जब यीशु तीस वर्ष के थे, तब उन्हें जॉर्डन नदी (Jordan River) में सेंट जॉन द्वारा बपतिस्मा (Baptism) दी गयी थी। आज भी विश्व भर में इनके अनुयायी मौजूद हैं।
मेरठ के सेंट जॉन चर्च की स्थापना 1819 में स्थानीय रूप से तैनात सैन्य चौकी की धार्मिक एवं आध्यात्मिक जरूरतों को ध्यान में रखकर की गई थी। इसके संस्थापक मेरठ में तैनात ब्रिटिश सेना के पादरी रेव. हेनरी फिशर (Rev. Henry Fischer) थे। इस चर्च का भवन आज भी बहुत बड़ा है, लेकिन इसका पाइप ऑर्गन (Pipe Organ) (एक प्रकार का वाद्य यंत्र) अब कार्य नहीं करता है। इस वाद्य यंत्र को बजाने के लिए इस पर व्यक्तिगत रूप से संचालित धौंकनी को लगाया गया है। यहां का लकड़ी का मंच और घुटने टेकने की गद्दी, बाज की आकृति का पीतल का ज्ञानतीठ (Lectern), संगमरमर की बपतिस्मा, चिन्हित कांच की खिड़कियां लगभग दो शताब्दी पहले की हैं।
सेंट जॉन चर्च की इमारत गॉथिक रिवाइवल (Gothic Revival) शैली से पहले लोकप्रिय अंग्रेजी पैरिश चर्च (Parish Church) वास्तुकला की शैली के अनुरूप बनाया गया है, और शास्त्रीय शैली में ढाला गया है, जो प्रार्थना के लिए एक बड़े खुले आंतरिक स्थान के साथ स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल है, जिसमें हवा स्वतंत्र रूप से प्रसारित हो सकती है। इसमें एक ऊपरी बैठने की जगह (बालकनी (Balcony)) भी है, जो अब उपयोग में नहीं है। लगभग 200 वर्षों से हुए नवीकरण के कारण चर्च के असबाब (Upholstery) में थोड़ा बदलाव आ गया है, यह चर्च 1800 के दशक के एंग्लिकन पैरिश (Anglican Parish) चर्च का एक अच्छा उदाहरण है।
मेरठ के सेंट जॉन चर्च के पास ही हरियाली से भरे मैदान में सेंट जॉन चर्च कब्रिस्तान है, जो मेरठ का दूसरा सबसे पुराना कब्रिस्तान है। इसे यूरोपीय नागरिक, ब्रिटिश सैनिक एवं उनके परिवार के लिए बनाया गया था। इसके प्रवेश द्वार पर पैरिश (Parish) (ईसाईयों की पारंपरिक इकाई) का आदर्श वाक्य एकता, गवाह और सेवा लिखा गया है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को इस चर्च के उद्देश्य को याद दिलाने का कार्य करता है।
हर साल 24 जून को गोवा में साओ जोआओ (Sao Joao) नाम का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार बड़े ही विचित्र तरीके से मनाया जाता है, इसमें लोग सेंट जॉन जॉन बैपटिस्ट को श्रद्धांजलि देने के लिए कुएं, नालों और तालाबों में छलांग लगाते हैं। यह पर्व सेंट जॉन द बैपटिस्ट (Saint John the Baptist) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे 24 जून को मनाने का उद्देश्य यह है क्योंकि इनके जन्म से ठीक तीन महीने पहले (25 मार्च) को यीशु के जन्म की घोषणा हुई थी।
जॉन द बैपटिस्ट का क्रिसमस (Christmas of John the Baptist) ईसाई चर्च के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है, यह 506 ईस्वी का एक बहुत बड़ा पर्व हूआ करता था। गोवा में साओ जोआओ का पर्व मानसून की शुरूआत में मनाया जाता है, जब आस पास के वातावरण में ताजी हरियाली फूल-पत्ते होते हैं और कुंए और अन्य जल स्त्रोत पानी से भरे होते हैं। फलस्वरूप, गोवा में सेंट जॉन का जन्मोत्सव स्पष्ट रूप से वर्षा ऋतु के उत्सव के तत्वों को शामिल करने के लिए मनाया जाता है। कुओं और तालाबों में कूदना गर्भ में पल रहे बच्चे और जॉर्डन नदी में बपतिस्मा का प्रतीक है। फूलों से बने मुकुट को पहनना, और पौधों से बने अन्य श्रृंगार और वेशभूषा भी शायद इस बात का इशारा है कि सेंट जॉन ने वस्त्र के रूप में प्राकृतिक आवरण को धारण किया था।
कैथोलिक लोग (Catholic People) दुनिया भर में इस त्यौहार को एक ही दिन (24 जून) मनाते हैं, लेकिन गोवा दुनिया का एकमात्र स्थान है जहाँ कुओं में छलांग लगाकर इसे चिह्नित किया जाता है। इस दिन, लोगों के समूह विभिन्न वाद्य यंत्रों के साथ पारंपरिक गीतों को गाते हैं और साथ में घूमते हैं।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.