समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 943
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
भारत में संगीत का एक अनूठा महत्त्व है और यह यहाँ के चलचित्रों से लेकर गाँवों शहरों और देहातों में भी दिखाई दे जाता है। संगीत की महत्ता विभिन्न पुराणों और वेदों से भी देखी जा सकती है जिन्हें गायन रूप में पढ़ा जाता है। मध्यकाल के दौरान भारत भर में कई घरानों का उदय हुआ जैसे कि जयपुर घराना, रामपुर घराना, लखनऊ घराना, आगरा घराना, पटियाला घराना आदि। ये सभी घराने मध्यकाल के समय में उदित हुए। इन सभी घरानों की अपनी एक विशेष गायन शैली होती है जो कि विभिन्न घरानों को एक दूसरे से भिन्न बनाती है। इन सभी घरानों को देश भर के विभिन्न स्थानों से आये संगीत के महारथियों ने सींचा है।
पटियाला घराना पंजाब से सम्बंधित घराना है तथा इसे कसूर घराना के नाम से जाना जाता है। यह घराना बड़े गुलाम अली खान साहब के द्वारा एक नयी बुलंदी पर पहुंचाया गया था। यहाँ के राग में सौम्यता, भावना और प्रेम तीनों का मिश्रण देखने को मिलता है।
बड़े गुलाम अली खान ने अपनी संगीत की शिक्षा अपने पिता अली बक्श कसूरवाले और चाचा काले खान से ली थी जिन्होंने जयपुर घराने के बेहराम खान से ध्रुपद गायकी की शिक्षा, जयपुर के ही मुबारक अली, दिल्ली के तानरस खान, और ग्वालियर के हड्डू खान से ख़याल की शिक्षा प्राप्त की थी। बड़े गुलाम अली खान की मृत्यु के बाद भी पटियाला घराना उन्हीं के नाम से याद किया जाता है। बनारसी ठुमरी और ग्वालियर की टप्पा गमक का रूप उनकी ख़याल गायकी में देखने को मिलता है। उनके उपरान्त उनकी गायकी उनके बेटे मुनव्वर अली खान द्वारा आगे बढ़ाई गयी जिस पर उनके भाई बरकत अली खान की गायकी का एक बड़ा स्वरुप देखने को मिलता है।
बरकत अली खान को बड़े गुलाम अली खान द्वारा ठुमरी के जादूगर के रूप में बुलाया जाता था। भारत के विभाजन के बाद उनके भाई पकिस्तान चले गए और उन्होंने वहां पर अपने परिवार की परंपरा को चालू रखा। पटियाला घराना की गायकी की सरताज के रूप में बेगम परवीन सुल्ताना का नाम भी आगे आता है। वर्तमान में पटियाला या कसूर गायकी बड़े गुलाम अली खान के चेलों द्वारा आगे बढ़ाई जा रही है जिनमें पंडित प्रसून बैनर्जी और विदुषी मीरा बैनर्जी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। मीरा बैनर्जी अपनी गायन शैली के लिए सम्पूर्ण विश्व में जानी जाती हैं।
आज भी उनकी आवाज़ देश भर में विभिन्न संगीत प्रेमियों द्वारा सुनी जाती है। मीरा बैनर्जी ही वह नाम है जो कि मेरठ का संगीत से एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करती हैं। वास्तविकता में मीरा बैनर्जी मेरठ की रहने वाली थीं। उनका जन्म मेरठ में 28 मार्च सन 1930 में हुआ था। मीरा ने विभिन्न संगीतज्ञों के अंतर्गत शिक्षा ग्रहण की जिनमें से पंडित चिन्मय लहरी, पंडित हीराचन्द्र बाली, और उस्ताद बड़े गुलाम अली खान थे। उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के अंतर्गत उन्होंने शिक्षा लेना सन 1950 से शुरू किया और उस्ताद गुलाम अली खान की मृत्यु के समय तक उन्होंने उन्हीं के अंतर्गत शिक्षा ग्रहण की। वे पटियाला घराना गायकी की एक स्तम्भ के रूप में निखर कर सामने आईं। उनकी मृत्यु 28 जून सन 2012 में हुयी।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2kxteuy
2. https://bit.ly/2m0yrLI
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Bade_Ghulam_Ali_Khan
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Ramcharitmanas
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.