हर गुज़रते क्षण के साथ भारत में ही नहीं वरन् विश्व स्तर पर शहरीकरण बढ़ता जा रहा है। शहरीकरण आम तौर पर किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास को इंगित करता है। शहरीकरण के लाभ भी हैं तो वहीं हानियाँ भी। एक बाज़ार अर्थव्यवस्था में, लाभ और हानि के मध्य तालमेल शहरीकरण के स्तर, गति और तीव्रता को निर्धारित करता है। वैश्विक स्तर पर, शहरीकरण दर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक दूसरे से सकारात्मक रूप से संबंधित हैं, लेकिन भारत की स्थिति अन्य देशों की तुलना में औसत स्तर से नीचे है।
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2011 की जनगणना के अनुसार, भारत का शहरीकरण स्तर 31% कम है, जिसका प्रमुख कारण है स्वतंत्रता के बाद भारतीय नीति निर्माताओं ने लंबे समय तक शहरी विकास पर विशेष ध्यान नहीं दिया था। क्योंकि भारत की जनसंख्या के बहुत बड़े हिस्से को गांवो में निवास करता हुआ मन जाता था। अतः ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग शहरी क्षेत्रों के सेवा क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में रोज़गार के अवसर प्रवासन को बढ़ावा दे रहे हैं जिस कारण बेरोज़गारी बढ़ रही है। भारत में ग्रामीण विकास करने तथा प्रवासन को रोकने के लिए मनरेगा जैसी योजनाएं चलायी जा रही हैं तथा औद्योगिक क्षेत्रों में सरकारी नियंत्रण कर दिया गया और स्थानीय स्तर पर कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई गयीं। जिसने शहरीकरण को सीमित कर दिया। भारतीय राज्यों के घरेलू उत्पाद में उद्योग और सेवाओं की हिस्सेदारी 80% है। भारत के शहरों में 37 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं, जो कि अमेरिका की जनसंख्या से अधिक है।
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यह माना जाता है कि शहरीकरण और औद्योगीकरण अत्यधिक सहसंबद्ध हैं। शहरीकरण उत्पादकता को बढ़ाता है, अधिक प्रतिभाशाली श्रमिकों को आकर्षित करता है, तथा नवाचार को प्रोत्साहित करता है। परिणामस्वरूप रोज़गार के अवसरों और आय के स्तर में भी सुधार होता है। 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के श्रम बाज़ार में असमानताएँ बड़ी हैं। एक भारतीय ग्रामीण श्रमिक और शहरी श्रमिक की आय के मध्य एक बड़ा अंतर मौजूद है। इस असमानता के कारण उच्च आय वाले शहरों में तीव्रता से जनसंख्या वृद्धि हुयी है। शहरी आय स्तर में वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों के सापेक्ष जीवन स्तर को बढ़ाती है, जो प्रवासन के लिए एक प्रेरणा उत्पन्न करती है। भारत में शहरी आबादी का घनत्व 2001 में 3,659 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर भूमि क्षेत्र था। 2011 में, यह बढ़कर 4,767 हो गया, अगर भूमि क्षेत्र समान माना जाता है।
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भारतीय राज्यों के शहरीकरण में क्षेत्रीय भिन्नता स्पष्ट देखी जा सकती है। दिल्ली 98% के साथ सबसे अधिक शहरीकृत है, इसके बाद चंडीगढ़ 97% है। जबकि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य होने के कारण मात्र 10% सबसे कम शहरीकृत है। जिसका प्रमुख कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भौतिक अवरोध है, जो शहरीकरण की लागत को बढ़ा देते हैं, परिणामस्वरूप यह ग्रामीण ही रह जाते हैं।
संदर्भ:
1.https://www.adb.org/publications/costs-and-benefits-urbanization-indian-case
2.https://www.adb.org/sites/default/files/publication/204406/adbi-wp607.pdf